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JDU के सांगठनिक चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने किया खारिज - JDU Organizational Election Case - JDU ORGANIZATIONAL ELECTION CASE

challenging JDU's organizational elections: दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें JDU के सांगठनिक चुनाव को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि जेडीयू के सांगठनिक चुनाव में हस्तक्षेप किया जाए.

जनता दल यूनाईटेड को राहत.
जनता दल यूनाईटेड को राहत. (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 30, 2024, 9:26 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) के सांगठनिक चुनाव को चुनौती देने वाली जेडीयू के पूर्व नेता गोविंद यादव की याचिका को खारिज कर दिया. शुक्रवार को जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि जेडीयू के सांगठनिक चुनाव में हस्तक्षेप किया जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है, ऐसे में याचिका खारिज की जाती है.

अनुच्छेद 226 हाईकोर्ट को ये अधिकार देता है कि अगर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो तो वो आदेश जारी कर सकती है. गोविंद यादव ने याचिका दायर कर कहा था कि जेडीयू का 2016, 2019 और 2022 में जो सांगठनिक चुनाव हुआ था, वो पार्टी के संविधान का उल्लंघन कर हुआ था.
याचिका में कहा गया था कि 1 अप्रैल 2016 को निर्वाचन आयोग को दी गई सूचना में कहा गया था कि पार्टी के सांगठनिक चुनाव के जरिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है. जबकि, नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष 10 अप्रैल 2016 को नेशनल एग्जीक्यूटिव ने चुना था.

याचिका में कहा गया था कि नेशनल एग्जीक्यूटिव की ओर से हुए चुनाव के विवादित होने के बावजूद नेशनल काउंसिल ने 23 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार के अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की पुष्टि की थी. नेशनल काउंसिल की ओर से नीतीश कुमार के अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की पुष्टि करना पार्टी के संविधान का उल्लंघन था.

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए के तहत निर्वाचन आयोग का काम केवल राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के आवेदन पर विचार करना और अगर कोई तथ्यात्मक बदलाव होता है तो उसकी सूचना रखना सुनिश्चित करना है. जैसे ही कोई राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन हो जाता है निर्वाचन आयोग की परीवीक्षण की भूमिका खत्म हो जाती है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) के सांगठनिक चुनाव को चुनौती देने वाली जेडीयू के पूर्व नेता गोविंद यादव की याचिका को खारिज कर दिया. शुक्रवार को जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि जेडीयू के सांगठनिक चुनाव में हस्तक्षेप किया जाए. कोर्ट ने कहा कि याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है, ऐसे में याचिका खारिज की जाती है.

अनुच्छेद 226 हाईकोर्ट को ये अधिकार देता है कि अगर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा हो तो वो आदेश जारी कर सकती है. गोविंद यादव ने याचिका दायर कर कहा था कि जेडीयू का 2016, 2019 और 2022 में जो सांगठनिक चुनाव हुआ था, वो पार्टी के संविधान का उल्लंघन कर हुआ था.
याचिका में कहा गया था कि 1 अप्रैल 2016 को निर्वाचन आयोग को दी गई सूचना में कहा गया था कि पार्टी के सांगठनिक चुनाव के जरिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है. जबकि, नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष 10 अप्रैल 2016 को नेशनल एग्जीक्यूटिव ने चुना था.

याचिका में कहा गया था कि नेशनल एग्जीक्यूटिव की ओर से हुए चुनाव के विवादित होने के बावजूद नेशनल काउंसिल ने 23 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार के अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की पुष्टि की थी. नेशनल काउंसिल की ओर से नीतीश कुमार के अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की पुष्टि करना पार्टी के संविधान का उल्लंघन था.

इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए के तहत निर्वाचन आयोग का काम केवल राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के आवेदन पर विचार करना और अगर कोई तथ्यात्मक बदलाव होता है तो उसकी सूचना रखना सुनिश्चित करना है. जैसे ही कोई राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन हो जाता है निर्वाचन आयोग की परीवीक्षण की भूमिका खत्म हो जाती है.

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