नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी 10 वर्षीय बेटी के साथ दो वर्षों तक रेप करने के आरोपी को दोषी करार दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच आरोपी को सजा की अवधि पर 24 मई को सुनवाई करेगा.
हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़ित ने सोचा होगा कि उसे अपने पिता की गोद में एक आश्रय मिलेगा, लेकिन उसने इस बात का अहसास नहीं था कि वह एक राक्षस है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोपी को बरी करने के आदेश को निरस्त करते हुए दोषी करार दिया. कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता की धारा 506 और धारा 323 के तहत दोषी करार दिया.
घटना 19 जनवरी 2013 की है, जब एक 12 वर्षीया लड़की पटेल नगर पुलिस थाने पहुंची और अपनी आपबीती बताई. पीड़ित लड़की के मुताबिक उसके पिता ने उसके साथ दो वर्षों तक रेप किया. पीड़िता के मुताबिक 18 जनवरी 2013 को उसका पिता शराब के नशे में धुत था. जब उसकी मां घर लौटी तो उसके पिता ने उसकी मां के साथ गाली गलौज की. अगली सुबह उसके भाई की भी पिटाई की गई, जिसके बाद पीड़िता थाने पहुंची.
मामले की सूचना देने में देरी पर ट्रायल कोर्ट की ओर से आरोपी को बरी करने के मामले पर हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान पर संदेह की कोई वजह नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तीन गवाहों के बयान पूरी घटना को बयां करते हैं. हाईकोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि ये सुनियोजित केस है.
बता दें, आरोपी और उसकी पत्नी दोनों सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे. दोनों की दो संतानें थी. एक लड़की (पीड़िता) और एक लड़का. पीड़िता के मुताबिक, एक दिन उसके पिता की नौकरी नहीं थी और मां ड्यूटी पर गई थी. जबकि भाई स्कूल गया हुआ था. उस दिन उसके पिता ने उसे स्कूल जाने से रोक दिया. पिता ने पीड़िता को अपने बगल में बुलाकर सुलाया और उसके निजी अंगों को छूने लगा, जिसका उसने विरोध किया. विरोध करने पर पिता ने उसे डांट दिया.
पीड़िता ने ये घटना अपनी मां को बताया जिसके बाद मां ने पिता से पूछा. तब पिता ने मां को भी डांट दिया. पिता ने पीड़िता को इस बात के लिए डांटा कि वो हर बात अपनी मां से क्यों बताती है. उसके बाद उसके पिता उसका यौन शोषण करते रहे. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 13 गवाहों के बयान दर्ज कराए थे.