नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी घोटाला मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने की मांग करने वाली तीसरी याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता और आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक संदीप कुमार को फटकार लगाई है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ऐसी ही दो याचिकाएं पहले ही खारिज कर चुकी है, ऐसे में याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने इस याचिका को भी उसी डिवीजन बेंच को रेफर कर दिया जिसने पहले भी ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई की है. मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी.
संदीप कुमार को फटकार
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'ये याचिका पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन नहीं है, बल्कि पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन है. आप पर भारी जुर्माना लगना चाहिए क्योंकि ऐसी ही दो याचिकाएं कार्यकारी चीफ जस्टिस की बेंच खारिज कर चुकी है. अब वही बेंच आपकी याचिका सुनेगी.'
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बता दें कि नई याचिका आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली आबकारी घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हुई है. इस गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में काम करने में सक्षम नहीं हैं. याचिका में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति से संवैधानिक बाधा उत्पन्न हुई थी, वे जेल से मुख्यमंत्री के रुप में काम नहीं कर सकते हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान की धारा 239एए(4) के प्रावधानों के मुताबिक, उप-राज्यपाल को सलाह देने वाले मंत्रिपरिषद का मुखिया मुख्यमंत्री ही होता है. अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के बाद उप-राज्यपाल को सलाह देना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का आदेश जारी किया जाए.
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पहले भी दायर हो चुकी हैं दो याचिकाएं
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट अरविंद केजरीवाल को मुख्यंमत्री पद से हटाने की मांग करने वाली इसके पहले दो याचिकाएं खारिज कर चुका है। पहली याचिका सुरजीत सिंह यादव ने दायर की थी और दूसरी याचिका विष्णु गुप्ता ने दायर की थी. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जेल जाने के बाद किसी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है. विष्णु गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि ये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फैसला करना है कि वो राष्ट्रहित में क्या फैसला करते हैं. व्यक्तिगत हितों से राष्ट्र हित ऊपर रखना चाहिए.