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CAG रिपोर्ट को लेकर दिल्ली LG के पत्र से विधानसभा स्पीकर नाराज, बोले- रिपोर्ट टेबल करना सरकार का बिजनेस - Delhi Assembly CAG report

LG Vs Delhi Govt: दिल्ली विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल ने केजरीवाल सरकार पर कैग (CAG) रिपोर्ट दबाने संबंधी आरोप पत्र को लेकर नाराजगी जताई है. विधानसभा में लंबित सीएजी रिपोर्ट पेश करने के लिए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था.

दिल्ली LG के पत्र से विधानसभा स्पीकर नाराज
दिल्ली LG के पत्र से विधानसभा स्पीकर नाराज (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 17, 2024, 6:48 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा केजरीवाल सरकार पर कैग (CAG) रिपोर्ट दबाने संबंधी पत्र को लेकर विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल का पत्र उन्हें मिल चुका है. विधानसभा के पटल पर कैग व अन्य कोई रिपोर्ट पेश करना यह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. कैग रिपोर्ट को लेकर क्या करना है क्या नहीं, यह चुनी हुई सरकार का बिजनेस है. उपराज्यपाल को इस संबंध में दिल्ली सरकार को पत्र लिखना चाहिए था.

विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से जब पूछा कि उपराज्यपाल ने फिर उन्हें पत्र क्यों लिखा? इस पर उन्होंने कहा कि वे दिल्ली के मालिक हैं और वह तो कुछ भी कर सकते हैं. लेकिन कैग की रिपोर्ट पेश करना नहीं करना, विशुद्ध रूप से दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. वह बतौर विधानसभा अध्यक्ष उसे पेश करने के लिए सरकार को आदेश या निर्देश नहीं दे सकते हैं. उपराज्यपाल को यह बात सोचनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही वे अपनी पूरी बात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहेंगे.

केजरीवाल सरकार पर CAG रिपोर्ट दबाने का आरोप: शुक्रवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार पर अलग-अलग विभागों के कुल 11 कैग रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाते हुए विधानसभा के स्पीकर को पत्र लिखा था. एलजी ने पत्र लिखकर कैग रिपोर्ट विधानसभा में सदन पटल पर रखने की बात कही. पत्र में उपराज्यपाल ने सरकार के वित्त, प्रदूषण, दिल्ली में शराब की खरीद बिक्री, सार्वजनिक उपक्रमों और सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों से संबंधित विभागों के खातों और शेल्टर होम से संबंधित कुल 11 कैग रिपोर्ट वित्त मंत्री आतिशी के पास लंबित होने की बात कही है. इनमें से कुछ कैग रिपोर्ट 2022 से लंबित हैं.

केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय: विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इससे पहले भी, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली में निजी बिजली डिस्कॉम के कामकाज सहित कई कैग रिपोर्टों को आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जानबूझकर कई वर्षों तक लंबित रखा गया था. उन्होंने कहा दिल्ली में जब शीला दीक्षित की सरकार थी तब राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित परियोजनाओं में गड़बड़ी का आरोप केजरीवाल लगाते थे, वे कैग रिपोर्ट का हवाला देकर शीला सरकार से इस्तीफे की मांग करते थे. कांग्रेस की सरकार तो उसके बाद नहीं आई, अब आम आदमी पार्टी सरकार में घोटाले हुए हैं जिसकी जांच चल रही है, कैग की रिपोर्ट जब आएगी तो केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है.

मुख्यमंत्री से भी किया था अनुरोध: उपराज्यपाल सचिवालय ने बताया कि 22 फरवरी को उपराज्यपाल ने सभी लंबित 11 सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किए जाने में देरी के संबंध में सीएम अरविंद केजरीवाल को भी लिखा था. तब उनसे अनुरोध किया था कि वे "वित्त मंत्री को सलाह दें कि वे इन्हें विधानसभा के समक्ष पेश करें.

8 अक्टूबर से पहले बुलाया जाएगा विधानसभा का सत्र: दिल्ली विधानसभा का सत्र 6 महीने में बुलाना जरूरी होता है. इसलिए स्पीकर रामनिवास गोयल ने बताया कि 8 अक्टूबर से पहले सत्र नियम अनुसार बुलाना आवश्यक है. चुकी सत्र बुलाने के संबंध में कैबिनेट की राय ली जाती है. अभी मुख्यमंत्री जेल में है और कैबिनेट की मीटिंग नहीं हो पाई है. इसलिए देरी हो रही है. मार्च में बजट सत्र के बाद से दिल्ली विधानसभा की कोई बैठक नहीं हुई है.

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा केजरीवाल सरकार पर कैग (CAG) रिपोर्ट दबाने संबंधी पत्र को लेकर विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल का पत्र उन्हें मिल चुका है. विधानसभा के पटल पर कैग व अन्य कोई रिपोर्ट पेश करना यह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. कैग रिपोर्ट को लेकर क्या करना है क्या नहीं, यह चुनी हुई सरकार का बिजनेस है. उपराज्यपाल को इस संबंध में दिल्ली सरकार को पत्र लिखना चाहिए था.

विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से जब पूछा कि उपराज्यपाल ने फिर उन्हें पत्र क्यों लिखा? इस पर उन्होंने कहा कि वे दिल्ली के मालिक हैं और वह तो कुछ भी कर सकते हैं. लेकिन कैग की रिपोर्ट पेश करना नहीं करना, विशुद्ध रूप से दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. वह बतौर विधानसभा अध्यक्ष उसे पेश करने के लिए सरकार को आदेश या निर्देश नहीं दे सकते हैं. उपराज्यपाल को यह बात सोचनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही वे अपनी पूरी बात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहेंगे.

केजरीवाल सरकार पर CAG रिपोर्ट दबाने का आरोप: शुक्रवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार पर अलग-अलग विभागों के कुल 11 कैग रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाते हुए विधानसभा के स्पीकर को पत्र लिखा था. एलजी ने पत्र लिखकर कैग रिपोर्ट विधानसभा में सदन पटल पर रखने की बात कही. पत्र में उपराज्यपाल ने सरकार के वित्त, प्रदूषण, दिल्ली में शराब की खरीद बिक्री, सार्वजनिक उपक्रमों और सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों से संबंधित विभागों के खातों और शेल्टर होम से संबंधित कुल 11 कैग रिपोर्ट वित्त मंत्री आतिशी के पास लंबित होने की बात कही है. इनमें से कुछ कैग रिपोर्ट 2022 से लंबित हैं.

केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय: विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इससे पहले भी, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली में निजी बिजली डिस्कॉम के कामकाज सहित कई कैग रिपोर्टों को आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जानबूझकर कई वर्षों तक लंबित रखा गया था. उन्होंने कहा दिल्ली में जब शीला दीक्षित की सरकार थी तब राष्ट्रमंडल खेल से संबंधित परियोजनाओं में गड़बड़ी का आरोप केजरीवाल लगाते थे, वे कैग रिपोर्ट का हवाला देकर शीला सरकार से इस्तीफे की मांग करते थे. कांग्रेस की सरकार तो उसके बाद नहीं आई, अब आम आदमी पार्टी सरकार में घोटाले हुए हैं जिसकी जांच चल रही है, कैग की रिपोर्ट जब आएगी तो केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है.

मुख्यमंत्री से भी किया था अनुरोध: उपराज्यपाल सचिवालय ने बताया कि 22 फरवरी को उपराज्यपाल ने सभी लंबित 11 सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किए जाने में देरी के संबंध में सीएम अरविंद केजरीवाल को भी लिखा था. तब उनसे अनुरोध किया था कि वे "वित्त मंत्री को सलाह दें कि वे इन्हें विधानसभा के समक्ष पेश करें.

8 अक्टूबर से पहले बुलाया जाएगा विधानसभा का सत्र: दिल्ली विधानसभा का सत्र 6 महीने में बुलाना जरूरी होता है. इसलिए स्पीकर रामनिवास गोयल ने बताया कि 8 अक्टूबर से पहले सत्र नियम अनुसार बुलाना आवश्यक है. चुकी सत्र बुलाने के संबंध में कैबिनेट की राय ली जाती है. अभी मुख्यमंत्री जेल में है और कैबिनेट की मीटिंग नहीं हो पाई है. इसलिए देरी हो रही है. मार्च में बजट सत्र के बाद से दिल्ली विधानसभा की कोई बैठक नहीं हुई है.

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