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48 घंटे, 25 कैमरे और दो बस टिकट...ऐसे सॉल्व हुई ब्लाइंड ट्रिपल मर्डर मिस्ट्री - Dehradun triple murder mystery

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 27, 2024, 8:35 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 9:37 PM IST

Dehradun Triple Murder Mystery देहरादून पुलिस ने ब्लाइंड ट्रिपल मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व कर दिया है. 48 घंटे के भीतर, 25 कैमरों और बस टिकट की मदद से पुलिस हत्यारे तक पहुंची.

Dehradun Triple Murder Mystery
ट्रिपल मर्डर केस का खुलासा (PHOTO-ETV BHARAT GRAPHICS)

देहरादून पुलिस ने ब्लाइंड ट्रिपल मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व किया. (VIDEO-ETV BHARAT)

देहरादून: राजधानी देहरादून में ट्रिपल मर्डर केस को पुलिस ने सुलझा दिया है. 48 घंटे में सुलझाए गए इस मामले में पुलिस ने कई पहलुओं को लेकर जांच आगे बढ़ाई और नतीजा ये रहा कि आरोपी अब जेल की सलाखों के पीछे है. हत्याओं के बाद जो हकीकत सामने आई है, उससे ये साफ हो गया है कि हत्या अवैध संबंधों के शक के चलते हुई है. आइए बताते हैं कि कैसे दो दिनों के अंदर मिली तीन लाशों की इस गुत्थी को पुलिस ने आखिर कैसे सुलझाया.

तीन के पास दो बस टिकट क्यों? 25 जून को पुलिस को एक खबर मिली कि देहरादून के शिमला बाईपास रोड के पास के एक नाले से बदबू आ रही है. स्थानीय लोगों ने पहले तो यही सोचा कि हो सकता है कोई जानवर मर गया हो, लेकिन जब दुर्गंध ज्यादा फैलने लगी तो पुलिस को मौके पर बुलाया गया.

पुलिस ने जब बदबू आने का कारण ढूंढना शुरू किया तो पता लगा कि कूड़े में दो बच्चों के शव पड़े हुए हैं. पुलिस के लिए ये मामला चुनौती बन गया था क्योंकि दोनों ही शव छोटे बच्चों के थे. सर्चिंग में पुलिस को पास से ही एक बस का टिकट मिला जो बाद में इस केस का सबसे बड़ा सुराग बना. हालांकि, पहले पुलिस इस टिकट को देखकर उलझ गई थी क्योंकि टिकट में एक बालिग और एक नाबालिग का जिक्र था. जबकि दोनों नाबालिग बच्चों का शव मिला था.

इसके अगले दिन पुलिस ने दोबारा से उसी जगह पर सर्च अभियान शुरू किया. सर्चिंग के दौरान उस इलाके में स्थित फर्नीचर फैक्ट्री के पास एक महिला का शव भी बरामद हो गया. महिला का शव पहले मिले दो शवों से कुछ ही दूरी पर मिला था. इससे प्रथम दृष्टया पुलिस को ये लगा कि हो सकता है तीनों एक दूसरे से संबंधित हों. इसके साथ ही पुलिस को घटनास्थल से एक कूरियर कंपनी का नीले रंग का बैग भी मिला था जिसमें महिला और बच्चों का सामान था.

सीसीटीवी में नजर आई महिला: पुलिस को जो बस का टिकट मिला था उसके नंबर के आधार पर परिवहन विभाग से संपर्क किया गया और यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर ये बस कब चली थी और कौन से डिपो की है. पुलिस को जानकारी मिली कि गाड़ी मुरादाबाद डिपो की थी. इसमें एक महिला अपने दो बच्चों के साथ उत्तर प्रदेश के नहटौर से देहरादून के लिए बैठी थी.

बस कंडक्टर से हुई पूछताछ में भी ये साफ हो गया कि इस टिकट पर एक महिला देहरादून उतरी थी. पुलिस ने महिला की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए. कैमरे में दिखा कि महिला अपने दो बच्चों के साथ देहरादून आईएसबीटी में उतरी.

दूसरे कैमरे में नजर आया हेलमेट लगाए हुए आरोपी: इसके साथ ही पुलिस को दूसरे कैमरे में हेलमेट लगाए हुए एक व्यक्ति दिखा जो बाइक पर बैठकर उन तीनों को लेकर जा रहा था. पहला क्लू मिलने के बाद पुलिस ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया और ISBT से लेकर शिमला बाईपास पर स्थित फर्नीचर फैक्ट्री तक लगे तमाम कैमरे की रिकॉर्डिंग खंगाल डाली. CCTV की मदद से पुलिस उस जगह तक पहुंच गई जहां पर आरोपी तीनों को लेकर जा रहा था.

सीसीटीवी कैमरे से किया पीछा: देहरादून एसएसपी अजय सिंह बताते हैं कि, पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि महिला और उसके बच्चों को संबंधित फर्नीचर फैक्ट्री में ही ले जाया गया है क्योंकि फैक्ट्री के पास ही तीनों की बॉडी मिली थी. पुलिस को शक था कि हत्या करने वाला भी इसी इलाके में रहता है. लिहाजा, पुलिस ने लगभग 24 घंटे तक बड़ी बारीकी से सब चीजों को ऑब्जर्व किया और मौका लगते ही आरोपी को पकड़ लिया.

आसपास सर्च करने पर पुलिस को फर्नीचर फैक्ट्री को अंदर भी वैसा ही कूरियर कंपनी बैग बरामद हुआ जो शव के पास से मिला था, जिसने पुलिस के शक को पुख्ता किया. इस सबूत के साथ पुलिस ने फिर फैक्ट्री कर्मचारियों से बात की तो पता चला कि वहां एक हसीन नाम का कर्मचारी भी नहटौर का रहने वाला है, जहां से वो महिला भी आई थी.

बस फिर क्या था, सख्ती से पूछताछ करने पर हसीन ने जुर्म कबूल कर लिया. उसने बताया कि, 2 सालों से उसका मृतका रेशमा से प्रेम प्रसंग चल रहा था. रेशमा लगातार उस पर शादी करने और साथ रहने का दबाव बना रही थी. जिसे हसीन हर बार बहाने बनाकर टाल रहा था. इसके अलावा रेशमा खर्चों के लिए पैसों की डिमांड भी करती थी. इन सब से परेशान होकर हसीन, रेशमा से छुटकारा पाना चाहता था. और आखिरकार 23 जून को वो दिन आ गया.

ऐसे दिया हत्यारे ने घटना को अंजाम: आरोपी हसीन ने पुलिस को बताया कि 23 जून की शाम रेशमा अपनी 15 वर्षीय बेटी आयत और 8 महीने की बेटी आयशा के साथ अचानक देहरादून पहुंची और उसे फोन कर आने की जानकारी दी. इसी दौरान आरोपी हसीन ने भी सोच लिया था रेशमा से अब हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पाना है. हसीन बाइक से आईएसबीटी पहुंचा और रेशमा और दोनों बच्चों को फैक्ट्री में ले गया. जहां रात को नींद में उसने तीनों की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को सूखे नाले में कूड़े के ढेर में फेंक दिया.

इस पूरे घटनाक्रम में देहरादून पुलिस की तमाम टीम एसपी, एसपी सिटी और सीईओ 48 घंटे तक उसी इलाके में रहे, जहां से वारदात का पहला सबूत मिला था.

उत्तराखंड में पहले भी हुई हैं इस तरह की हत्याएं: ये पहला मामला नहीं है जब हत्या करके शव को इस तरह से जंगल, झाड़ी या नाले में छुपा दिया गया हो. राजधानी देहरादून और आसपास की जगहों पर हत्यारोपी कई बार सुनसान इलाकों का सहारा ले चुके हैं. खासकर चकराता में तो पुलिस ने कई बार इसी तरह से शव और कंकाल बरामद किए हैं. कभी स्थानीय तो कभी बाहरी राज्यों के लोग हत्या करके इन जगहों पर शवों को छुपा देते हैं, ताकि किसी को उनकी करतूत का पता न लगे.

ये भी पढ़ेंः देहरादून ट्रिपल मर्डर केस: प्रेमी ने छुटकारा पाने के लिए कर दी मां-बच्चों की हत्या, एक बस टिकट से खुला राज

देहरादून पुलिस ने ब्लाइंड ट्रिपल मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व किया. (VIDEO-ETV BHARAT)

देहरादून: राजधानी देहरादून में ट्रिपल मर्डर केस को पुलिस ने सुलझा दिया है. 48 घंटे में सुलझाए गए इस मामले में पुलिस ने कई पहलुओं को लेकर जांच आगे बढ़ाई और नतीजा ये रहा कि आरोपी अब जेल की सलाखों के पीछे है. हत्याओं के बाद जो हकीकत सामने आई है, उससे ये साफ हो गया है कि हत्या अवैध संबंधों के शक के चलते हुई है. आइए बताते हैं कि कैसे दो दिनों के अंदर मिली तीन लाशों की इस गुत्थी को पुलिस ने आखिर कैसे सुलझाया.

तीन के पास दो बस टिकट क्यों? 25 जून को पुलिस को एक खबर मिली कि देहरादून के शिमला बाईपास रोड के पास के एक नाले से बदबू आ रही है. स्थानीय लोगों ने पहले तो यही सोचा कि हो सकता है कोई जानवर मर गया हो, लेकिन जब दुर्गंध ज्यादा फैलने लगी तो पुलिस को मौके पर बुलाया गया.

पुलिस ने जब बदबू आने का कारण ढूंढना शुरू किया तो पता लगा कि कूड़े में दो बच्चों के शव पड़े हुए हैं. पुलिस के लिए ये मामला चुनौती बन गया था क्योंकि दोनों ही शव छोटे बच्चों के थे. सर्चिंग में पुलिस को पास से ही एक बस का टिकट मिला जो बाद में इस केस का सबसे बड़ा सुराग बना. हालांकि, पहले पुलिस इस टिकट को देखकर उलझ गई थी क्योंकि टिकट में एक बालिग और एक नाबालिग का जिक्र था. जबकि दोनों नाबालिग बच्चों का शव मिला था.

इसके अगले दिन पुलिस ने दोबारा से उसी जगह पर सर्च अभियान शुरू किया. सर्चिंग के दौरान उस इलाके में स्थित फर्नीचर फैक्ट्री के पास एक महिला का शव भी बरामद हो गया. महिला का शव पहले मिले दो शवों से कुछ ही दूरी पर मिला था. इससे प्रथम दृष्टया पुलिस को ये लगा कि हो सकता है तीनों एक दूसरे से संबंधित हों. इसके साथ ही पुलिस को घटनास्थल से एक कूरियर कंपनी का नीले रंग का बैग भी मिला था जिसमें महिला और बच्चों का सामान था.

सीसीटीवी में नजर आई महिला: पुलिस को जो बस का टिकट मिला था उसके नंबर के आधार पर परिवहन विभाग से संपर्क किया गया और यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर ये बस कब चली थी और कौन से डिपो की है. पुलिस को जानकारी मिली कि गाड़ी मुरादाबाद डिपो की थी. इसमें एक महिला अपने दो बच्चों के साथ उत्तर प्रदेश के नहटौर से देहरादून के लिए बैठी थी.

बस कंडक्टर से हुई पूछताछ में भी ये साफ हो गया कि इस टिकट पर एक महिला देहरादून उतरी थी. पुलिस ने महिला की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए. कैमरे में दिखा कि महिला अपने दो बच्चों के साथ देहरादून आईएसबीटी में उतरी.

दूसरे कैमरे में नजर आया हेलमेट लगाए हुए आरोपी: इसके साथ ही पुलिस को दूसरे कैमरे में हेलमेट लगाए हुए एक व्यक्ति दिखा जो बाइक पर बैठकर उन तीनों को लेकर जा रहा था. पहला क्लू मिलने के बाद पुलिस ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया और ISBT से लेकर शिमला बाईपास पर स्थित फर्नीचर फैक्ट्री तक लगे तमाम कैमरे की रिकॉर्डिंग खंगाल डाली. CCTV की मदद से पुलिस उस जगह तक पहुंच गई जहां पर आरोपी तीनों को लेकर जा रहा था.

सीसीटीवी कैमरे से किया पीछा: देहरादून एसएसपी अजय सिंह बताते हैं कि, पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि महिला और उसके बच्चों को संबंधित फर्नीचर फैक्ट्री में ही ले जाया गया है क्योंकि फैक्ट्री के पास ही तीनों की बॉडी मिली थी. पुलिस को शक था कि हत्या करने वाला भी इसी इलाके में रहता है. लिहाजा, पुलिस ने लगभग 24 घंटे तक बड़ी बारीकी से सब चीजों को ऑब्जर्व किया और मौका लगते ही आरोपी को पकड़ लिया.

आसपास सर्च करने पर पुलिस को फर्नीचर फैक्ट्री को अंदर भी वैसा ही कूरियर कंपनी बैग बरामद हुआ जो शव के पास से मिला था, जिसने पुलिस के शक को पुख्ता किया. इस सबूत के साथ पुलिस ने फिर फैक्ट्री कर्मचारियों से बात की तो पता चला कि वहां एक हसीन नाम का कर्मचारी भी नहटौर का रहने वाला है, जहां से वो महिला भी आई थी.

बस फिर क्या था, सख्ती से पूछताछ करने पर हसीन ने जुर्म कबूल कर लिया. उसने बताया कि, 2 सालों से उसका मृतका रेशमा से प्रेम प्रसंग चल रहा था. रेशमा लगातार उस पर शादी करने और साथ रहने का दबाव बना रही थी. जिसे हसीन हर बार बहाने बनाकर टाल रहा था. इसके अलावा रेशमा खर्चों के लिए पैसों की डिमांड भी करती थी. इन सब से परेशान होकर हसीन, रेशमा से छुटकारा पाना चाहता था. और आखिरकार 23 जून को वो दिन आ गया.

ऐसे दिया हत्यारे ने घटना को अंजाम: आरोपी हसीन ने पुलिस को बताया कि 23 जून की शाम रेशमा अपनी 15 वर्षीय बेटी आयत और 8 महीने की बेटी आयशा के साथ अचानक देहरादून पहुंची और उसे फोन कर आने की जानकारी दी. इसी दौरान आरोपी हसीन ने भी सोच लिया था रेशमा से अब हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पाना है. हसीन बाइक से आईएसबीटी पहुंचा और रेशमा और दोनों बच्चों को फैक्ट्री में ले गया. जहां रात को नींद में उसने तीनों की गला दबाकर हत्या कर दी और शव को सूखे नाले में कूड़े के ढेर में फेंक दिया.

इस पूरे घटनाक्रम में देहरादून पुलिस की तमाम टीम एसपी, एसपी सिटी और सीईओ 48 घंटे तक उसी इलाके में रहे, जहां से वारदात का पहला सबूत मिला था.

उत्तराखंड में पहले भी हुई हैं इस तरह की हत्याएं: ये पहला मामला नहीं है जब हत्या करके शव को इस तरह से जंगल, झाड़ी या नाले में छुपा दिया गया हो. राजधानी देहरादून और आसपास की जगहों पर हत्यारोपी कई बार सुनसान इलाकों का सहारा ले चुके हैं. खासकर चकराता में तो पुलिस ने कई बार इसी तरह से शव और कंकाल बरामद किए हैं. कभी स्थानीय तो कभी बाहरी राज्यों के लोग हत्या करके इन जगहों पर शवों को छुपा देते हैं, ताकि किसी को उनकी करतूत का पता न लगे.

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Last Updated : Jun 27, 2024, 9:37 PM IST
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