देहरादून: बीते कुछ दिनों पहले सियाचीन में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. ये पुरस्कार शहीद की पत्नी और मां मंजू सिंह ने ग्रहण किया. इसके बाद से शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह का परिवार सुर्खियों में हैं. शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के परिजनों ने उनकी बहू पर गंभीर आरोप लगाये हैं. परिजनों ने कहा बेटे के शहीद होने के बाद उनकी बहू अलग रह रही हैं. शहीद की पेंशन के साथ ही दूसरी सभी वित्तीय सुविधाओं का लाभ बहू को मिल रहा है. ऐसा ही कुछ देहरादून के शहीद निशांत सिंह के परिवार के साथ भी हुआ.
एयर क्राफ्ट क्रैश में शहीद हुआ निशांत, बहू ने अकेला छोड़ा: ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शहीद निशांत की मां प्रोमिला सिंह ने बताया कि, एयर क्राफ्ट क्रैश के दौरान ट्रेनी पायलट को बचाने में निशांत शहीद हो गये थे. तब निशांत शहीद हुआ तब उसकी शादी को महज चार महीने ही हुए थे. प्रोमिला सिंह ने बताया बेटे के शहीद होने के बाद बहू अपने पति निशांत की सभी यादों को अपने साथ ले गई. पेंशन का पूरा लाभ भी सिर्फ बहू को मिल रहा है, जिसके चलते शहीद निशांत की मां के पास जीवन जीने का कोई सहारा नहीं बचा और न ही उनके पास कमाई का कोई जरिया है. जब उनका बेटा शहीद हुआ तो उन्होंने अपनी बहू से कहा था कि वो देहरादून में उनके साथ ही रहे, लेकिन उसने साफ मना कर दिया. यहां तक वह अब उनका हालचाल भी नहीं पूछती है.
शहीद होने से चार महीने पहले हुई थी शादी: प्रोमिला सिंह ने बताया उनका बेटा कमांडर निशांत अपने पिता नौसेना कमांडर यशवीर सिंह के नक्शेकदम पर चलता था. उसने गोवा और विशाखापत्तनम में नेवी चिल्ड्रन स्कूल से पढ़ाई की. यही से ही निशांत ने नौसेना में करियर बनाने की नींव रखी गई. साथ ही, एक जुलाई 2008 को महज 22 साल की उम्र में ही उनका बेटा भारतीय नौसेना में कमीशंड हो गया. 2020 में एयर क्राफ्ट क्रैश के दौरान ट्रेनी पायलट को बचाने के चक्कर में निशांत शहीद हो गये. प्रोमिला सिंह ने बताया इस घटना के कुछ दिन पहले से ही उनका बेटा काफी परेशान था. बेटे और बहू के बीच किसी बात को लेकर अनबन चल रही थी.
बेटे की यादों के सहारे जीवन काट रही प्रोमिला सिंह: अपने बुरे दौर से गुजर रही शहीद निशांत की मां ने कहा अंशुमान के माता-पिता की आवाज जायज है. शहीद बेटे की पेंशन में उनकी पत्नी के साथ ही माता-पिता को भी हिस्सा मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, अगर ऐसे ही हर मां की उपेक्षा होती रही तो, कोई भी मां अपने बेटे को सेना में नहीं भेजेगी. देहरादून सहस्त्रधारा रोड पर रहने वाली 68 वर्षीय प्रोमिला देवी ने बताया कि, उनके घर में उनके बेटे के साथ लगी कुछ तस्वीरें ही उनके जीने का सहारा हैं.
निशांत सिंह को मरणोपरांत मिला नौ सेना पदक: प्रोमिला सिंह ने बताया नवंबर 2020 में उनका बेटे निशांत ने मिग-29 एयर क्राफ्ट में उड़ान भरी. इसी दौरान अरब सागर में प्लेन क्रैश हो गया. जिसकी सूचना मिलने के बाद से मानो वो टूट गई. पति से अलग होने के बाद उनका एकमात्र सहारा उनका बेटा ही था. भारतीय नौसेना ने कमांडर निशांत सिंह को मरणोपरांत नौसेना पदक से नवाजा गया. प्रोमिला ने बताया वो अकेले ही इस घर में जीवन यापन कर रही हैं. काफी साल पहले ही उनका तलाक हो गया था. उसके बाद से ही वो अपने बेटे के सहारे ही जी रही थी.
रक्षामंत्री से मिलकर सुनाई आपबीती: उनके बेटे निशांत सिंह ने शहीद होने से करीब चार महीने पहले ही शादी की थी. बहू को एक लाख 80 हजार रुपये पेंशन मिलती है. उन्होंने अपने बेटे का 35 साल तक पालन किया, बावजूद इसके उनको पेंशन का एक रुपया भी नहीं मिला. ऐसे में सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. शहीद की मां ने बताया इस मामले को लेकर वो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिली थीं. उन्हें अपनी समस्या भी बताई थी. तब इस दौरान रक्षामंत्री ने उन्हें मदद का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं हुई है. इतना जरूर है कि उनके बेटे का करीब एक करोड़ रुपए का इंश्योरेंस था, जिसका 30 फीसदी हिस्सा उनको मिला है, बाकी 70 फीसदी हिस्सा उनकी बहू को मिला.
माता-पिता को भी मिले शहीद बेटे की पेंशन: प्रोमिला सिंह ने कहा कि, बेटे के बलिदान की सूचना मिलने के बाद वो गोवा स्थित घर भी गई थी. उनकी बहू भी कुछ दिन के लिए देहरादून आई, मगर पैसा मिलने के बाद बहू ने हालचाल लेना भी बंद कर दिया. प्रोमिला सिंह ने बताया उनका भी तलाक हुआ था. उस दौरान बेटे ने पिता से कोई गुजारा भत्ता नहीं लेने दिया. उसने कहा वो पूरी जिंदगी उनका ख़्याल रखेगा, लेकिन अब वो पूरी तरह से अकेली पड़ गई हैं. उनके पास आय का कोई साधन नहीं है. उनके जानने वाले और रिश्तेदार उनका ख़्याल रख रहे हैं. प्रोमिला सिंह ने कहा वो चाहती हैं कि बेटे के शहीद होने के बाद बहू को मिलने वाली पेंशन में से आधी माता-पिता को भी मिले, जिससे बेटे पर आश्रित माता-पिता भी अपना गुजर बसर कर सकें.
एनओके में बदलाव की मांग: बता दें कि, शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के परिजनों ने एनओके में बदलाव की मांग की. उन्होंने कहा एक ऐसा नियम बनना चाहिए जिससे दोनों परिवारों को बराबर हिस्सा मिले. इसमें किसी के अधिकारों और कर्तव्यों का हनन न हो. उन्होंने एनओके में रचनात्मक बदलाव की मांग की है.