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'दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति का LG को है अधिकार', सुप्रीम कोर्ट का फैसला - Decision on alderman appointment

Decision on alderman appointment in MCD: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 10 'एल्डरमैन' को नामित करने के दिल्ली के उपराज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा है. बता दें कि एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार किसे है. इसपर आज फैसला आना था. दिल्ली सरकार ने एमसीडी में मनोनीत सदस्यों को उपराज्यपाल द्वारा तय किए जाने के अधिकार को चुनौती दी थी.

दिल्ली नगर निगम
दिल्ली नगर निगम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 5, 2024, 10:33 AM IST

Updated : Aug 5, 2024, 12:20 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) की नियुक्ति का अधिकार एलजी के पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया है. यह मामला पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. आम आदमी शासित एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) की उपराज्यपाल द्वारा नियुक्ति करने के विरोध में आम आदमी पार्टी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी.

यह संसद द्वारा बनाया गया कानून: न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एलजी स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं. उन्हें निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है, जो एलजी द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को संतुष्ट करता है. क्योंकि कानून के लिए उन्हें ऐसा करना आवश्यक है और यह अनुच्छेद 239 के अपवाद के अंतर्गत आता है. यह सन् 1993 का दिल्ली नगर निगम का अधिनियम था, जिसने सबसे पहले नामांकन की शक्ति एलजी को दी थी. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने के एलजी के फैसले को चुनौती दी गई थी. अदालत द्वारा मामले पर सुनवाई पूरी होने के लगभग 15 महीने बाद यह फैसला आया.

पहले कही थी यह बात: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने पिछले साल 17 मई को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा था कि एलजी को एल्डरमैन को नामित करने की शक्ति देने का प्रभावी रूप से मतलब यह होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं, क्योंकि ये एल्डरमैन स्थायी समितियों में नियुक्त हो जाते हैं और उनके पास मतदान की शक्ति होती है.

सरकार के वकील ने दी ये दलील: वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने दलील दी थी कि उपराज्यपाल ने इस मुद्दे पर राज्य कैबिनेट की सहायता और सलाह को नजरअंदाज कर दिया है. राज्य सरकार ने तर्क दिया कि 1991 में संविधान के अनुच्छेद 239AA के लागू होने के बाद यह पहला मामला है, जहां उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार से परामर्श किए बिना एमसीडी में एल्डरमैन को नामित किया है.

फैसले से असहमत हैं: आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, "मुझे लगता है कि ये भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा झटका है और आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सारे अधिकार एलजी को दे रहे हैं. ये लोकतंत्र और भारत के संविधान के लिए अच्छा नहीं है.' मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हम इस फैसले से पूरी तरह असहमत हैं. ये फैसला लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है और सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणियों के बिल्कुल विपरीत है. पूरा आदेश पढ़ने के बाद हम रणनीति बनाएंगे कि आगे क्या करना है."

यह भी पढ़ें- 'फूट रहा व‍िज्ञापन, दुष्‍प्रचार पर 10 साल से चल रहा कुशासन', केजरीवाल सरकार पर LG का तंज

एमसीडी में मनोनीत 10 पार्षदों (एल्डरमैन) के नाम: पिछले वर्ष चार जनवरी में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 लोगों को निगम सदन में मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) नियुक्त किए थे. इनके नाम हैं- रोहताश कुमार, कमलजीत सिंह, राजपाल राणा, संजय त्यागी, मोहन गोयल, राजकुमार भाटिया, महेश सिंह तोमर, मुकेश मान, लक्ष्मण आर्य और विनोद कुमार.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के अस्पतालों में षड्यंत्र के तहत रिक्त पदों पर नहीं हो रही भर्ती, हेल्थ मिनिस्टर सौरभ भारद्वाज ने एलजी पर लगाया आरोप

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) की नियुक्ति का अधिकार एलजी के पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया है. यह मामला पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. आम आदमी शासित एमसीडी में 10 मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) की उपराज्यपाल द्वारा नियुक्ति करने के विरोध में आम आदमी पार्टी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी.

यह संसद द्वारा बनाया गया कानून: न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एलजी स्वतंत्र रूप से एमसीडी में 10 एल्डरमैन को नामित कर सकते हैं. उन्हें निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है, जो एलजी द्वारा प्रयोग किए गए विवेक को संतुष्ट करता है. क्योंकि कानून के लिए उन्हें ऐसा करना आवश्यक है और यह अनुच्छेद 239 के अपवाद के अंतर्गत आता है. यह सन् 1993 का दिल्ली नगर निगम का अधिनियम था, जिसने सबसे पहले नामांकन की शक्ति एलजी को दी थी. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना एमसीडी में एल्डरमैन को नामित करने के एलजी के फैसले को चुनौती दी गई थी. अदालत द्वारा मामले पर सुनवाई पूरी होने के लगभग 15 महीने बाद यह फैसला आया.

पहले कही थी यह बात: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने पिछले साल 17 मई को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कहा था कि एलजी को एल्डरमैन को नामित करने की शक्ति देने का प्रभावी रूप से मतलब यह होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं, क्योंकि ये एल्डरमैन स्थायी समितियों में नियुक्त हो जाते हैं और उनके पास मतदान की शक्ति होती है.

सरकार के वकील ने दी ये दलील: वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने दलील दी थी कि उपराज्यपाल ने इस मुद्दे पर राज्य कैबिनेट की सहायता और सलाह को नजरअंदाज कर दिया है. राज्य सरकार ने तर्क दिया कि 1991 में संविधान के अनुच्छेद 239AA के लागू होने के बाद यह पहला मामला है, जहां उपराज्यपाल ने निर्वाचित सरकार से परामर्श किए बिना एमसीडी में एल्डरमैन को नामित किया है.

फैसले से असहमत हैं: आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, "मुझे लगता है कि ये भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा झटका है और आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सारे अधिकार एलजी को दे रहे हैं. ये लोकतंत्र और भारत के संविधान के लिए अच्छा नहीं है.' मैं पूरे सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि हम इस फैसले से पूरी तरह असहमत हैं. ये फैसला लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है और सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणियों के बिल्कुल विपरीत है. पूरा आदेश पढ़ने के बाद हम रणनीति बनाएंगे कि आगे क्या करना है."

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एमसीडी में मनोनीत 10 पार्षदों (एल्डरमैन) के नाम: पिछले वर्ष चार जनवरी में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 लोगों को निगम सदन में मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन) नियुक्त किए थे. इनके नाम हैं- रोहताश कुमार, कमलजीत सिंह, राजपाल राणा, संजय त्यागी, मोहन गोयल, राजकुमार भाटिया, महेश सिंह तोमर, मुकेश मान, लक्ष्मण आर्य और विनोद कुमार.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के अस्पतालों में षड्यंत्र के तहत रिक्त पदों पर नहीं हो रही भर्ती, हेल्थ मिनिस्टर सौरभ भारद्वाज ने एलजी पर लगाया आरोप

Last Updated : Aug 5, 2024, 12:20 PM IST
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