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टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर फैसला टला

-टेरर फंडिंग केस में जमानत याचिका पर फैसला. -दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में हुई सुनवाई - जमानत याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई

Decision on bail plea of ​​MP Rashid Engineer accused in terror funding case
टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर फैसला आज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 28, 2024, 2:01 PM IST

Updated : Oct 28, 2024, 2:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने जमानत याचिका पर 19 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया है. आज राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि खत्म हो रही थी, जिसके बाद उन्होंने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया है.

इस से पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला होने वाला था. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह फैसला सुनाने वाले थे. आज ही राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि खत्म हो रही थी. बता दें कि 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट राशिद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ा चुका है.

राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. आप को याद दिलादें के 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत से बोले इंजीनियर रशीद, 'मैंने तिहाड़ में खूब पीड़ा झेली, बॉलीवुड डायरेक्टर को दूंगा स्क्रिप्ट' - Jammu Kashmir

ये भी पढ़ें: टेरर फंडिंग मामले के आरोपी राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक बढ़ी

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने जमानत याचिका पर 19 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया है. आज राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि खत्म हो रही थी, जिसके बाद उन्होंने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया है.

इस से पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला होने वाला था. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह फैसला सुनाने वाले थे. आज ही राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि खत्म हो रही थी. बता दें कि 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट राशिद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ा चुका है.

राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. आप को याद दिलादें के 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.

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Last Updated : Oct 28, 2024, 2:22 PM IST
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