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खुले आसमान में छोड़ देते हैं शव, गिद्ध नोंच खाते हैं पार्थिव शरीर, जानें किस धर्म में है यह प्रथा - Cremation Ritual

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

Last Rides Ritaul: हिन्दू, सिख और बौध धर्म में शव को लकड़ी की शैय्या पर रखकर जलाया जाता है. वहीं, इस्लाम, ईसाई और मुस्लिम धर्म में शव को दफनामे की परंपरा है.

गिद्ध
गिद्ध (Getty Images)

नई दिल्ली: लगभग सभी धर्मों में मौत के बाद अंतिम संस्कार की अलग-अलग पद्धतियां हैं. हर धर्म के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के मुताबिक शव का अंतिम संस्कार करते हैं. हालांकि. सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका शव को दफनाना या फिर उसे जलाना का है.

हिन्दू, सिख और बौध धर्म में शव को लकड़ी की शैय्या पर रखकर जलाया जाता है. हालांकि, इन तीनों ही धर्मों में कई जगह दफनाने की भी परंपरा है. हिन्दू धर्म में बच्चों के शव को दफनाने जाता है, जबकि बहुत से जगहों पर शवों को नदियों में बहा दिया जाता है.

इस्लाम शरीर दफनाने की प्रथा
इसी तरह इस्लाम, ईसाइ और मुस्लिम धर्म में शव को दफनामे की परंपरा है. बता दें शव को दफनाने की परंपरा को सबसे ज्यादा इस्लाम में अपनाया गया है. इस्लाम के मानने वाले लोग मौत के बाद लोगों का शव जमीन में दफना देते हैं.

शव को खुले आसमान में छोड़ देते हैं पारसी समुदाय के लोग
हालांकि, इस मामले में पारसी धर्म बिल्कुल अलग है. पारसी धर्म मानने वाले शवों को ना जलाते हैं, ना दफनाते हैं और ना ही नदी में बहाते हैं, बल्कि वह मृत शरीर को खुली जगह पर गिद्धों को नोचने के लिए छोड़ देते हैं. इस जगह को 'टॉवर ऑफ साइलेंस' कहा जाता है.

भारत में गिद्धों की कमी
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के हैदराबाद में भी दो टॉवर ऑफ साइलेंस हैं. वहीं, एक टावर आफ साइलेंस मुंबई में भी है. हालांकि, अब भारत से गिद्ध लगभग विलुप्त हो चुके हैं. ऐसे में लंबे समय से किसी शव पर गिद्ध को झपटते नहीं देखा गया है. टॉवर ऑफ साइलेंस को पारसियों के कब्रिस्तान भी कहते हैं. यह गोलाकार खोखली इमारत के रूप में होता है. यहां पर पारसी लोग अपने मृत जनों का अंतिम संस्कार करते हैं.

गौरतलब है कि पारसी समुदाय के लोग पृथ्वी, जल और अग्नि को पवित्र मानते हैं, इसलिए समाज के किसी व्यक्ति के मर जाने पर उसकी देह को इन तीनों के हवाले नहीं करते. इसकी बजाय मृत देह को आकाश के हवाले किया जाता है.

यह भी पढ़ें- BJP के लिए सिरदर्द बनीं कंगना रनौत, कृषि कानून पर दिए बयान से मारी पलटी, पार्टी ने किया किनारा

नई दिल्ली: लगभग सभी धर्मों में मौत के बाद अंतिम संस्कार की अलग-अलग पद्धतियां हैं. हर धर्म के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के मुताबिक शव का अंतिम संस्कार करते हैं. हालांकि. सबसे ज्यादा प्रचलित तरीका शव को दफनाना या फिर उसे जलाना का है.

हिन्दू, सिख और बौध धर्म में शव को लकड़ी की शैय्या पर रखकर जलाया जाता है. हालांकि, इन तीनों ही धर्मों में कई जगह दफनाने की भी परंपरा है. हिन्दू धर्म में बच्चों के शव को दफनाने जाता है, जबकि बहुत से जगहों पर शवों को नदियों में बहा दिया जाता है.

इस्लाम शरीर दफनाने की प्रथा
इसी तरह इस्लाम, ईसाइ और मुस्लिम धर्म में शव को दफनामे की परंपरा है. बता दें शव को दफनाने की परंपरा को सबसे ज्यादा इस्लाम में अपनाया गया है. इस्लाम के मानने वाले लोग मौत के बाद लोगों का शव जमीन में दफना देते हैं.

शव को खुले आसमान में छोड़ देते हैं पारसी समुदाय के लोग
हालांकि, इस मामले में पारसी धर्म बिल्कुल अलग है. पारसी धर्म मानने वाले शवों को ना जलाते हैं, ना दफनाते हैं और ना ही नदी में बहाते हैं, बल्कि वह मृत शरीर को खुली जगह पर गिद्धों को नोचने के लिए छोड़ देते हैं. इस जगह को 'टॉवर ऑफ साइलेंस' कहा जाता है.

भारत में गिद्धों की कमी
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के हैदराबाद में भी दो टॉवर ऑफ साइलेंस हैं. वहीं, एक टावर आफ साइलेंस मुंबई में भी है. हालांकि, अब भारत से गिद्ध लगभग विलुप्त हो चुके हैं. ऐसे में लंबे समय से किसी शव पर गिद्ध को झपटते नहीं देखा गया है. टॉवर ऑफ साइलेंस को पारसियों के कब्रिस्तान भी कहते हैं. यह गोलाकार खोखली इमारत के रूप में होता है. यहां पर पारसी लोग अपने मृत जनों का अंतिम संस्कार करते हैं.

गौरतलब है कि पारसी समुदाय के लोग पृथ्वी, जल और अग्नि को पवित्र मानते हैं, इसलिए समाज के किसी व्यक्ति के मर जाने पर उसकी देह को इन तीनों के हवाले नहीं करते. इसकी बजाय मृत देह को आकाश के हवाले किया जाता है.

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