रांची: अगर आपके मोबाइल पर कोई फोन कर यह कहता है कि आपका बच्चा ड्रग्स बेचते हुए पकड़ा गया है या फिर रेप केस में गिरफ्तार कर लिया गया है तो आप सावधान हो जाएं, क्योंकि यह फोन पुलिस का नहीं है बल्कि साइबर अपराधियों का है. नेशनल साइबर पोर्टल पर दर्जनों से मामले रिपोर्ट किए गए हैं, इसके बाद साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने इसे लेकर गाइडलाइंस भी जारी किया है.
साइबर अपराधी हर दिन नए तरह के तरीके आजमा कर लोगों से ठगी की जगत में लगे रहते हैं. आप साइबर अपराधियों ने ठगी का एक नया तरीका इजाद कर लिया है. इस तरीके में साइबर अपराधी व्हाट्सएप कॉल के जरिए किसी को भी फोन कर यह बोलते हैं कि उनका बच्चा ड्रग्स बेचते हुए पकड़ा गया है, अगर आधे घंटे के अंदर में बताए गए खाते में पैसे ट्रांसफर कर देंगे तो उनके बच्चे को जेल न भेज कर रिहा कर दिया जाएगा. वहीं कई लोगों को साइबर अपराधियों ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए ही परिवार के बच्चे को रेप केस में पकड़े जाने की बात कह ब्लैकमेल कर रहे हैं. राजधानी रांची में कैसे मामले सामने आ चुके हैं जिसकी रिपोर्ट साइबर क्राइम ब्रांच में की गई है.
पिछले सप्ताह ही रांची की जानी-मानी समाजसेविका मोनिका आर्य गुंजन के फोन पर एक साइबर अपराधी में फोन कर यह बताया कि उनकी बेटी को ड्रग्स बेचने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया है. अगर बेटी को बचाना है तो फोन पर या फिर गूगल पे पर तुरंत 20 हजार रुपये भेजे. हालांकि जिस समय साइबर अपराधियों ने मोनिका गुंजन को कॉल किया उनकी बेटी उनके सामने ही मौजूद थी. वह तुरंत समझ गई की यह साइबर अपराधियों की चाल है, जिसके बाद उन्होंने साइबर पोर्टल पर कंप्लेंट दर्ज करवाया.
ईटीवी भारत के पास साइबर अपराधीयों के काल की रिकॉर्डिंग है, जिसको सुनने के बाद यह पता चलता है कि किस तरह से साइबर अपराधी स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों को लेकर ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं. मोनिका गुंजन आर्य ने बताया कि यह तो गनीमत थी कि उनकी बेटी उनके सामने बैठी हुई थी. जिस समय साइबर अपराधियों का कॉल आया, अगर जिनके बच्चे बाहर पढ़ते हैं और उनके पास अगर ऐसे कॉल आते हैं तो निश्चित रूप से वह डर जाएंगे.
गार्जियन से पैसे थमने के लिए साइबर अपराधी अपने व्हाट्सएप प्रोफाइल में किसी भी पुलिस अफसर की तस्वीर लगा देते हैं, ताकि लोगों को यह पता चलेगी फोन पुलिस के द्वारा ही किया गया है. साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार इस तरह के मामले लगातार साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट किया जा रहे हैं जिसके बाद ऐसे दर्जनों नंबरों को बंद करवाया गया है.
सावधानी बरतें, रिपोर्ट करें
साइबर क्राइम ब्रांच ने ऐसे मामलों को लेकर गाइडलाइंस में जारी किया है बाकायदा इसके लिए साइबर हेल्पलाइन के वेबसाइट के साथ-साथ नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल रिपोर्टिंग को आम लोगों तक पहुंचा जा रहा है, ताकि लोग पहले थाने ना पहुंचकर सीधे पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाएं. इसका फायदा यह है कि तुरंत सभी एजेंसी अलर्ट होगी और जिस नंबर से कॉल आ रहा है इसकी मॉनिटरिंग शुरू हो जाएगी. साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार इस तरह के अधिकांश कॉल +92 कोड से आते हैं. यह कोड भारत का नहीं है, यह ध्यान में रखना होगा ऐसे कोड से फोन आने पर आप सीधे रिपोर्ट करें.
यहां दर्ज करवा सकते हैं शिकायत
साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर संदिग्ध वेबसाइट, व्हाट्सएप/टेलीग्राम नंबर, फोन नम्बर, ईमेल आईडी/ एसएमएस हेडर/सोशल मीडिया प्रोफाइल यूआरएल की रिपोर्ट सबमिट किए जाने की सुविधा प्रदान की गई हैं.
https://cybercrime.gov.in/Webform/cyber_suspect.aspx
cybercrime.gov.in पोर्टल पर जाएं.
डैशबोर्ड में Suspected Data पर जाएं, यहां Report Suspect पर क्लिक करें.
Suspect को सेलेक्ट करें
कॉलम अनुसार डाटा भरकर सबमिट करें
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