जयपुर. ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले शातिर साइबर ठगों की नजर अब बुजुर्ग पेंशनधारियों पर है. ऐसे बुजुर्गों को निशाना बनाकर साइबर ठग अकाउंट अपडेट करने, अकाउंट रिवीजन करने और पेंशन वेरिफिकेशन का झांसा देकर बैंक खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी ले रहे हैं. इसके बाद उनके खातों से लाखों रुपए निकलवा लिए जाते हैं. अगर कोई बुजुर्ग साइबर ठगों को खाते से जुड़ी जानकारी देने से इनकार करते हैं तो ये खाता बंद करने तक की धमकी देते हैं. पिछले दिनों जयपुर में हुई साइबर ठगी की दो वारदातों में शातिर साइबर ठगों ने दो पेंशनधारियों को 32 लाख रुपए की चपत लगा दी. ये ठग उन्हीं रिटायर्ड बुजुर्गों को अपना निशाना बना रहे हैं, जिनके बैंक खातों में लाखों रुपए की जमा पूंजी होती है.
केस 01- रिटायर्ड महिला से दस लाख की ठगी : पशुपालन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर पद से रिटायर्ड एक महिला को साइबर ठगों ने कॉल किया और पेंशन रिवीजन का झांसा देकर 10 लाख रुपए का चूना लगा दिया. दरअसल, साइबर ठगों ने पहले उनके बैंक की ऐप खोलने को कहा, लेकिन जब वह काम नहीं कर रहा तो उन्होंने उसे नजदीकी एटीएम पर भेजा. इसके बाद लाइव केवाईसी अपडेट करने का झांसा दिया. इस बीच उन्होंने उनके खाते में अपना मोबाइल नंबर अपडेट कर दिया और उनकी बैंक एफडी पर लोन लेकर 10 लाख रुपए का चूना लगा दिया.
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केस 02- पेंशन वेरिफिकेशन का झांसा देकर 22 लाख ठगे : मालवीय नगर निवासी एक रिटायर्ड बुजुर्ग को पेंशन रिवीजन का झांसा देकर शातिर साइबर ठगों ने 22 लाख रुपए ठग लिए. जनवरी में रिटायर्ड हुए बुजुर्ग को कॉल कर शातिर बदमाशों ने पेंशन वेरिफिकेशन का झांसा दिया. ठगों ने पहले उनका नाम, पता और जन्मतिथि जैसी जानकारी पूछी. फिर उनके मोबाइल पर आया ओटीपी मांगा. जैसे ही उन्होंने ओटीपी दिया तो उनके खाते से 20 हजार रुपए निकलने का मैसेज आया. बैंक जाकर पता किया तो पता चला कि उनके खाते से 22 लाख रुपए की ठगी हो चुकी है.
मुकदमा दर्ज कर पुलिस कर रही पड़ताल: जयपुर कमिश्नरेट के साइबर क्राइम थाने के थानाधिकारी चंद्रप्रकाश का कहना है कि बुजुर्गों के साथ साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं. उनकी शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर अनुसंधान किया जा रहा है. उनका कहना है कि सावधानी रखकर बड़ी अनहोनी से बचा जा सकता है. इसके लिए पुलिस की ओर से लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
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रिटायर्ड बुजुर्ग इसलिए बन रहे हैं सॉफ्ट टारगेट : पुलिस मुख्यालय के साइबर वॉलंटियर हेमराज सरावता का कहना है कि साइबर अपराधी लगातार अपनी स्ट्रेटेजी बदलते रहते हैं. रिटायर्ड बुजुर्ग इनके निशाने पर रहते हैं, क्योंकि वे तकनीक से फैमिलियर नहीं होते हैं. ऐसे में उन्हें बातों में उलझाकर साइबर ठग आसानी से शिकार बना लेते हैं. बुजुर्ग बैंक और पेंशन संबंधी खातों से जुड़े कामों के लिए ऑफिसों में चक्कर लगाने से बचने के प्रयास में भी ठगी के शिकार बन रहे हैं.
थोड़ी सावधानी रखकर बच सकते हैं ठगी से : साइबर वॉलंटियर हेमराज सरावता का कहना है कि ऐसे संदिग्ध कॉल आने पर सामने वाले को निजी और बैंक खाते से जुड़ी जानकारी देने से बचना चाहिए. खास तौर पर कोई ओटीपी मांगे तो हरगिज नहीं देना चाहिए. किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से और किसी के कहने से कोई भी ऐप इंस्टॉल करने से भी बचना चाहिए. फिर भी किसी तरह की साइबर ठगी का शिकार होने पर साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करवानी चाहिए, ताकि जल्द से जल्द संबंधित बैंक खाते को फ्रीज करवाया जा सके.