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साइबर फ्रॉड में उच्चतम स्तर पर केरल; 23,753 लोगों ने 2023 में 201 करोड़ रु गंवाए - Cyber Fraud in Kerala

Cyber Fraud in Kerala: ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर केरल पुलिस ने कहा है कि पिछले साल राज्य में 23,753 लोगों को लगभग 201 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. वहीं, पिछले दो महीने में 6700 लोगों के लगभग 98 करोड़ चुरा लिए गए. साइबर विंग इस राशि का केवल 20 फीसदी वसूलने में ही सफल रही, जबकि 5,107 बैंक खाते, 3,289 मोबाइल नंबर ब्लॉक कर कर दिए गए, जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी करने के लिए किया गया था.

Cyber fraud cases at an all time high in Kerala
साइबर फ्रॉड में उच्चतम स्तर पर केरल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 26, 2024, 4:42 PM IST

कोझिकोड: ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में केरल सर्वकालिक रिकॉर्ड पर है. साल 2023 में कुल 23,753 शिकायतें मिलीं. जनवरी और फरवरी महीने के आंकड़े ने खुद पुलिस को चौंका दिया है. एसपी साइबर ऑपरेशंस हरिशंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 2024 के पहले दो महीनों में राज्य में 6700 मामले दर्ज किए गए हैं. इन साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के माध्यम से, 98 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि पुलिस और जांच एजेंसियां 15 करोड़ रुपये बरामद करने में सफल रहीं. डेटा केवल रिपोर्ट किए गए मामलों और प्राप्त शिकायतों के बारे में बताता है. लेकिन जांच में पता चला कि हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पैसे गंवाने के बावजूद शिकायत दर्ज नहीं कराई है.

पिछले साल जालसाजों ने 201 करोड़ रुपये और पिछले दो महीनों में 98 करोड़ रुपये चुराए. पिछले साल साइबर धोखाधड़ी की जांच के बाद 5107 बैंक खाते और 3289 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए थे. मात्र 20 प्रतिशत राशि ही वसूल की गई.

आम चुनाव के लिए देश के मुखिया बनने के साथ ही धोखेबाज भी धन उगाही की रणनीति के साथ सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने चुनावी मौसम के लिए नई परियोजनाएं भी डिजाइन कीं. नया तरीका इलेक्शन रिचार्ज योजना के नाम पर ग्राहक के खाते में पैसे जमा करना है.

किसी राजनीतिक दल का नाम इस्तेमाल कर जालसाज ग्राहकों को ऑफर देते हैं. वे व्यक्तियों के खाते में बड़ी रकम जमा करने की पेशकश करेंगे. भरोसा कायम करने के लिए वे छोटी-छोटी रकम खातों में ट्रांसफर करेंगे. खाते में पैसे डलवाने के बहाने सारी बैंक डिटेल हासिल कर ली जाएगी. प्रामाणिकता के लिए वे ओटीपी भी प्रदान करेंगे. इसके जरिए जालसाज उस फोन की सारी जानकारी अपने कब्जे में ले लेगा. वह अवसर की प्रतीक्षा करता है और धोखा देता है. जालसाज सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाने के लिए एक और तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों के स्मार्टफ़ोन में प्रवेश करने के लिए वे चुनाव ड्यूटी के लिए आपकी तैनाती की संभावनाओं की जांच करने के लिए एक लिंक प्रदान करेंगे. आपकी चुनाव ड्यूटी के बारे में, उनके द्वारा दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही उन्हें आपके सभी पासवर्ड आपके स्मार्ट फोन में सेव मिल जाएंगे.

अधिकांश पीड़ितों ने टेलीग्राम ट्रेडिंग के माध्यम से अपना पैसा खो दिया. यह एक घोटाला है जो ट्रेडिंग में पैसा निवेश करके दोगुना करने का वादा करता है. अगले दिन पांच हजार रुपये जमा करने पर यह बढ़कर छह हजार हो जाता है. ग्राहकों को एक मैसेज मिलेगा. इसमेंं बताया जाएगा कि पैसा हर दिन बढ़ रहा है. जो लोग इससे आकर्षित होंगे वे बड़ी रकम का निवेश करेंगे. आखिरकार जालसाज एक भी पैसा छोड़े बिना पूरी रकम निकाल लेंगे. जांच अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकतर जालसाज उच्च शिक्षित लोग हैं.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर घोटाले इन साइबर धोखाधड़ी का अगला स्तर है. कॉलेज के छात्र वर्तमान में साइबर दुनिया में पीड़ितों का एक और बड़ा समूह हैं. घोटालेबाज उन बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं जिनके पास अपने मनोरंजन और आराम के खर्चों के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं. बैंक खाते की जानकारी लेकर धोखाधड़ी की जाती है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए एक उत्तर भारतीय लॉबी लगातार काम कर रही है.

चुनावी मौसम के साथ ही पुलिस अधिकारियों का भी बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किया जा रहा है. इसके साथ ही वे शिकायत लेने में भी अनिच्छा दिखाते हैं. मामला तभी आगे बढ़ेगा, जब शिकायत थाने के प्रभारी निरीक्षक या साइबर सेल के माध्यम से पहुंचेगी. वहीं, स्टेशन पीआरओ, स्टेशन आईएन प्रभारी आदि के बीच शिकायत करने आने वाले लोगों को इतनी पूछताछ के बाद वापस भेजने का चलन बढ़ रहा है. इसके परिणामस्वरूप शिकायतें दर्ज करने में देरी होती है.

यदि पैसे खोने के दो घंटे के भीतर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दी जाए तो पैसे वापस मिलने की संभावना बहुत अधिक होती है. लेकिन, अक्सर पुलिस को पैसे खोने के दस दिन बाद शिकायत मिलती है. इससे जालसाजों को रकम निकालने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. पुलिस अधिकारियों की सलाह है कि पैसा जमा करने से पहले लोगों को भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट देख लेनी चाहिए. निवेश घोटालों में फंसने से बचने के लिए संस्थानों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी चाहिए.

देश में साइबर मामलों में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है. 2021 में 4.52 लाख, 2022 में 9.66 लाख और 2023 में 15.56 लाख साइबर मामले सामने आए. इनमें से आधे से ज्यादा मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं.

पढ़ें: अगर आप 'डिजिटल धोखेबाजी' से बचना चाहते हैं तो आपके काम की है यह खबर

कोझिकोड: ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में केरल सर्वकालिक रिकॉर्ड पर है. साल 2023 में कुल 23,753 शिकायतें मिलीं. जनवरी और फरवरी महीने के आंकड़े ने खुद पुलिस को चौंका दिया है. एसपी साइबर ऑपरेशंस हरिशंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 2024 के पहले दो महीनों में राज्य में 6700 मामले दर्ज किए गए हैं. इन साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के माध्यम से, 98 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि पुलिस और जांच एजेंसियां 15 करोड़ रुपये बरामद करने में सफल रहीं. डेटा केवल रिपोर्ट किए गए मामलों और प्राप्त शिकायतों के बारे में बताता है. लेकिन जांच में पता चला कि हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पैसे गंवाने के बावजूद शिकायत दर्ज नहीं कराई है.

पिछले साल जालसाजों ने 201 करोड़ रुपये और पिछले दो महीनों में 98 करोड़ रुपये चुराए. पिछले साल साइबर धोखाधड़ी की जांच के बाद 5107 बैंक खाते और 3289 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए थे. मात्र 20 प्रतिशत राशि ही वसूल की गई.

आम चुनाव के लिए देश के मुखिया बनने के साथ ही धोखेबाज भी धन उगाही की रणनीति के साथ सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने चुनावी मौसम के लिए नई परियोजनाएं भी डिजाइन कीं. नया तरीका इलेक्शन रिचार्ज योजना के नाम पर ग्राहक के खाते में पैसे जमा करना है.

किसी राजनीतिक दल का नाम इस्तेमाल कर जालसाज ग्राहकों को ऑफर देते हैं. वे व्यक्तियों के खाते में बड़ी रकम जमा करने की पेशकश करेंगे. भरोसा कायम करने के लिए वे छोटी-छोटी रकम खातों में ट्रांसफर करेंगे. खाते में पैसे डलवाने के बहाने सारी बैंक डिटेल हासिल कर ली जाएगी. प्रामाणिकता के लिए वे ओटीपी भी प्रदान करेंगे. इसके जरिए जालसाज उस फोन की सारी जानकारी अपने कब्जे में ले लेगा. वह अवसर की प्रतीक्षा करता है और धोखा देता है. जालसाज सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाने के लिए एक और तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग कर रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, सरकारी अधिकारियों के स्मार्टफ़ोन में प्रवेश करने के लिए वे चुनाव ड्यूटी के लिए आपकी तैनाती की संभावनाओं की जांच करने के लिए एक लिंक प्रदान करेंगे. आपकी चुनाव ड्यूटी के बारे में, उनके द्वारा दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही उन्हें आपके सभी पासवर्ड आपके स्मार्ट फोन में सेव मिल जाएंगे.

अधिकांश पीड़ितों ने टेलीग्राम ट्रेडिंग के माध्यम से अपना पैसा खो दिया. यह एक घोटाला है जो ट्रेडिंग में पैसा निवेश करके दोगुना करने का वादा करता है. अगले दिन पांच हजार रुपये जमा करने पर यह बढ़कर छह हजार हो जाता है. ग्राहकों को एक मैसेज मिलेगा. इसमेंं बताया जाएगा कि पैसा हर दिन बढ़ रहा है. जो लोग इससे आकर्षित होंगे वे बड़ी रकम का निवेश करेंगे. आखिरकार जालसाज एक भी पैसा छोड़े बिना पूरी रकम निकाल लेंगे. जांच अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकतर जालसाज उच्च शिक्षित लोग हैं.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर घोटाले इन साइबर धोखाधड़ी का अगला स्तर है. कॉलेज के छात्र वर्तमान में साइबर दुनिया में पीड़ितों का एक और बड़ा समूह हैं. घोटालेबाज उन बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं जिनके पास अपने मनोरंजन और आराम के खर्चों के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं. बैंक खाते की जानकारी लेकर धोखाधड़ी की जाती है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए एक उत्तर भारतीय लॉबी लगातार काम कर रही है.

चुनावी मौसम के साथ ही पुलिस अधिकारियों का भी बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किया जा रहा है. इसके साथ ही वे शिकायत लेने में भी अनिच्छा दिखाते हैं. मामला तभी आगे बढ़ेगा, जब शिकायत थाने के प्रभारी निरीक्षक या साइबर सेल के माध्यम से पहुंचेगी. वहीं, स्टेशन पीआरओ, स्टेशन आईएन प्रभारी आदि के बीच शिकायत करने आने वाले लोगों को इतनी पूछताछ के बाद वापस भेजने का चलन बढ़ रहा है. इसके परिणामस्वरूप शिकायतें दर्ज करने में देरी होती है.

यदि पैसे खोने के दो घंटे के भीतर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दी जाए तो पैसे वापस मिलने की संभावना बहुत अधिक होती है. लेकिन, अक्सर पुलिस को पैसे खोने के दस दिन बाद शिकायत मिलती है. इससे जालसाजों को रकम निकालने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. पुलिस अधिकारियों की सलाह है कि पैसा जमा करने से पहले लोगों को भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट देख लेनी चाहिए. निवेश घोटालों में फंसने से बचने के लिए संस्थानों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी चाहिए.

देश में साइबर मामलों में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है. 2021 में 4.52 लाख, 2022 में 9.66 लाख और 2023 में 15.56 लाख साइबर मामले सामने आए. इनमें से आधे से ज्यादा मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं.

पढ़ें: अगर आप 'डिजिटल धोखेबाजी' से बचना चाहते हैं तो आपके काम की है यह खबर

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