नई दिल्ली: साइबर क्रिमिनल्स से निपटने के लिए 1000 कमांडो की ट्रेनिंग हो रही. ये कमांडो 6 महीने तक प्रतिष्ठित संस्थानों में साइबर क्राइम से जुड़ी बारीकियों को समझेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि इन समस्याओं से कैसे निपटा जा सकता है.
बता दें कि इंडियन इंस्टिटियूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन ने पूरे भारत में लॉ इंफोर्समेंट अधिकारियों के बीच 'साइबर कमांडो' तैयार करने के लिए एक नया ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है.
साइबर रक्षा क्षमता होगी मजबूत
केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल, 'साइबर कमांडो' कार्यक्रम भारत की साइबर रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह विशेष बल साइबर हमलों के खिलाफ राष्ट्र की रक्षा करने, संवेदनशील डेटा की सुरक्षा करने और डिजिटल संप्रभुता बनाए रखने में सबसे आगे होगा.
साइबर अपराधों की जांच पर ध्यान केंद्रित
साइबर कमांडो मौजूदा साइबर अपराध सेल से एक महत्वपूर्ण उन्नयन का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि ये सेल मुख्य रूप से साइबर अपराधों की जांच और अभियोजन जैसे उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगी. ट्रेंनिग प्रोग्राम का शुभारंभ 3 अक्टूबर से आईआईटी मद्रास में प्रोफेसर वी. कामकोटि, निदेशक, आईआईटी मद्रास द्वारा डॉ. संदीप मित्तल, आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), साइबर अपराध विंग, तमिलनाडु, कर्नल की उपस्थिति में किया गया.
ट्रेनिंग में क्या है शामिल?
ट्रेनिंग लेने वाली अधिकारियों में कानून प्रवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र के अधिकारी शामिल होंगे, जिन्हें साइबर कमांडो के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. कोर्स में सिस्टम फोरेंसिक, सिस्टम तक अनैतिक एक्सेस का पता लगाने और रोकथाम, साइबर डोमेन में अपराधों का पता लगाने आदि पर एडवांस मॉड्यूल शामिल हैं.
ट्रेनिंग के दौरान साइबर कमांडो को डिजिटल क्राइम और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में अपराधियों को दबोचने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके अलावा उन्हें प्रिवेंटिव मॉडल पर काम करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे साइबर हमलों को रोकने में सक्षम बनेंगे.
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