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एनर्जी एंड एनर्जी डिवाइस पर IIP देहरादून में आयोजित 'वन वीक वन थीम' प्रोग्राम संपन्न, देश भर की CSIR लैब में चल रहा अभियान - CSIR One Week One Theme program

CSIR One Week One Theme program in IIP Dehradun देश में सस्टेनेबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए और नई तकनीक नवाचार के माध्यम से फॉसिल फ्यूल और कार्बन को घटाने के लिए CSIR द्वारा चलाए जा रहे "वन वीक वन थीम" प्रोग्राम का CSIR-IIP देहरादून में समापन हो गया है. इस मौके पर CSIR के पूर्व निदेशक मौजूद रहे.

CSIR One Week One Theme program
वन वीक वन थीम (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 29, 2024, 8:31 AM IST

Updated : Jun 29, 2024, 9:52 AM IST

सस्टेनेबल एनर्जी को बढ़ावा देने की कवायद (Video- ETV Bharat)

देहरादून: काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने "वन वीक वन थीम" पर इस बार एनर्जी एंड एनर्जी डिवाइस को लेकर के पूरे देश भर की CSIR लैब में कार्यक्रम किए गए. एनर्जी और एनर्जी डिवाइसेज थीम पर केंद्रित "वन वीक वन थीम" के इस कार्यक्रम की शुरुआत 24 जून को नेशनल केमिकल लैबोरेट्री पुणे में हुई थी. इसका समापन शुक्रवार को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम देहरादून में हो गया है.

आपको बता दें कि सेंट्रल मिनिस्टर साइंस एंड टेक्नोलॉजी डॉ जितेंद्र सिंह के निर्देशों पर पिछले साल शुरू हुए इस अभियान को वन वीक वन लैब कॉन्सेप्ट के साथ शुरू किया गया था. देश भर में CSIR की 37 लैबोरेट्री हैं जहां पर यह कार्यक्रम पिछले साल किया गया. इस बार इस कार्यक्रम में संशोधन करके "वन वीक वन थीम" कॉन्सेप्ट पर किया जा रहा है और हर लैब अपनी थीम के अनुसार इन कार्यक्रमों को आयोजित कर रही है. इसी के तहत देहरादून IIP ने अपने एनर्जी से जुड़े नवाचार ओर शोध के क्षेत्र में फोकस करते हुए चर्चा की.

ईटीवी से बातचीत करते हुए CSIR-IPP के निदेशक डॉ हरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि देहरादून आईआईपी ने पिछले कुछ सालों में एनर्जी में खास तौर से सस्टेनेबल एनर्जी में कई सारे नवाचार और शोध किए हैं। उन्होंने बताया कि एनर्जी अलग-अलग तरह की हो सकती है. इसमें इलेक्ट्रिकल एनर्जी, मैकेनिकल एनर्जी आती है. लेकिन देहरादून IIP के शोध का क्षेत्र केमिकल एनर्जी का है, जो कि ईंधन से आती है. उन्होंने कहा कि संस्थान का यह उद्देश्य है कि किस तरह से केमिकल एनर्जी यानी कि ईंधन से आने वाली ऊर्जा को एफिशिएंसी बनाया जाए. किस तरह से उसको सस्टेनेबल बनाया जाए, इसको लेकर लगातार संस्थान काम कर रहा है.

उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा ग्रीन फ्यूल बनाने और कार्बन एंबीशन कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इसमें उसे कुकिंग ऑयल से डीजल बनाना, इसके अलावा चीड़ की घास से सॉलिड ब्रिक बनाकर उसे डायरेक्ट फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने लायक बनाने में सफलता मिली है. इसके अलावा गन्ना भट्टी की एफिशिएंसी बढ़ाने को लेकर और बाय जेट फ्यूल जैसे संस्थान के अन्य बड़े प्रोजेक्ट हैं. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में इन सभी प्रोजेक्ट से जुड़े शोधकर्ता और काम करने वाले लोग शामिल हैं जो कि अपना अनुभव साझा कर रहे हैं.
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आपको बता दें कि सेंट्रल मिनिस्टर साइंस एंड टेक्नोलॉजी डॉ जितेंद्र सिंह के निर्देशों पर पिछले साल शुरू हुए इस अभियान को वन वीक वन लैब कॉन्सेप्ट के साथ शुरू किया गया था. देश भर में CSIR की 37 लैबोरेट्री हैं जहां पर यह कार्यक्रम पिछले साल किया गया. इस बार इस कार्यक्रम में संशोधन करके "वन वीक वन थीम" कॉन्सेप्ट पर किया जा रहा है और हर लैब अपनी थीम के अनुसार इन कार्यक्रमों को आयोजित कर रही है. इसी के तहत देहरादून IIP ने अपने एनर्जी से जुड़े नवाचार ओर शोध के क्षेत्र में फोकस करते हुए चर्चा की.

ईटीवी से बातचीत करते हुए CSIR-IPP के निदेशक डॉ हरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि देहरादून आईआईपी ने पिछले कुछ सालों में एनर्जी में खास तौर से सस्टेनेबल एनर्जी में कई सारे नवाचार और शोध किए हैं। उन्होंने बताया कि एनर्जी अलग-अलग तरह की हो सकती है. इसमें इलेक्ट्रिकल एनर्जी, मैकेनिकल एनर्जी आती है. लेकिन देहरादून IIP के शोध का क्षेत्र केमिकल एनर्जी का है, जो कि ईंधन से आती है. उन्होंने कहा कि संस्थान का यह उद्देश्य है कि किस तरह से केमिकल एनर्जी यानी कि ईंधन से आने वाली ऊर्जा को एफिशिएंसी बनाया जाए. किस तरह से उसको सस्टेनेबल बनाया जाए, इसको लेकर लगातार संस्थान काम कर रहा है.

उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा ग्रीन फ्यूल बनाने और कार्बन एंबीशन कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इसमें उसे कुकिंग ऑयल से डीजल बनाना, इसके अलावा चीड़ की घास से सॉलिड ब्रिक बनाकर उसे डायरेक्ट फ्यूल के रूप में इस्तेमाल करने लायक बनाने में सफलता मिली है. इसके अलावा गन्ना भट्टी की एफिशिएंसी बढ़ाने को लेकर और बाय जेट फ्यूल जैसे संस्थान के अन्य बड़े प्रोजेक्ट हैं. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में इन सभी प्रोजेक्ट से जुड़े शोधकर्ता और काम करने वाले लोग शामिल हैं जो कि अपना अनुभव साझा कर रहे हैं.
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Last Updated : Jun 29, 2024, 9:52 AM IST
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