राजनांदगांव: जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज को विनयांजलि देने के लिए देशभर से लोग डोंगरगढ़ पहुंच रहे हैं. जैन समाज के मुताबिक जल्द ही ब्रह्मलीन महाराज के उत्तराधिकारी मुनि श्री समय सागर जी महाराज चंद्रगिरी पर्वत पहुंचेंगे. मुनि श्री समय सागर जी महाराज के साथ कई जैन मुनि भी डोंगरगढ़ पहुंचेंगे. जैन मुनि के निधन पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी उनको याद कर भावुक हुए थे. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी उनके निधन पर दुख जताया था. पीएम और सीएम ने कहा कि उनका निधन समाज के लिए एक बड़ी क्षति है. उनका ज्ञान समाज को हमें प्रकाश देता रहेगा.
मुनि श्री समय सागर जी महाराज पदयात्रा करते हुए बालाघाट मध्य प्रदेश से होते हुए संभवत 20 फरवरी को सुबह या शाम के वक्त चंद्रगिरी डोंगरगढ़ पहुंचेंगे. उनके साथ संघ के अन्य मुनि भी पहुंच रहे हैं. आचार्य जी को विनयांजलि देेन के लिए देश के कोने-कोने से मुनियों का आने का सिलसिला शुरू हो गया है. जैन धर्म से संबंधित लोग चंद्रगिरी पहुंच रहे हैं. आचार्य विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्म लोक गमन से हम सभी दुखी हैं - अशोक झांझरी, ट्रस्टी चंद्रगिरी तीर्थ ट्रस्ट डोंगरगढ़
कौन हैं आचार्य समय सागर जी महाराज: आचार्य विद्यासागर जी महाराज के ब्रह्म लोक गमन के बाद उनके शिष्य आचार्य सागर जी महाराज अत्तराधिकारी बनेंगे. 65 साल की आयु के जैन मुनि आचार्य श्री समय सागर जी महाराज भी कर्नाटक के रहने वाले हैं. बेलगाम में उनका जन्म हुआ. आचार्य विद्यासागर जी महाराज की तरह ही समय सागर जी महाराज कठोर सात्विक जीवन जीते हैं. अपने गुरु की तरह ये भी कठिन तप और ज्ञान के चलते जैन धर्म के बड़े गुरुओं में गिने जाते हैं.
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जीवन समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज पूरे जीवन भर सात्विक जीवन बिताते रहे. महाराज के पास नहीं को बैंक खाता था नहीं मोह माया का जंजाल. गुरुदेव ने कभी भी धान को छुआ तक नहीं, महाराज ने आजीवन चीनी की त्याग किया और नमक से दूर रहे. हरी सब्जियों को भी महाराज ने कभी हाथ नहीं लगाया. जीवन के आरंभ से लेकर अंत तक महाराज सात्विक जीवन के अनुयायी रहे. - अशोक झांझरी, ट्रस्टी चंद्रगिरी तीर्थ ट्रस्ट डोंगरगढ़
क्या होती है विनयांजलि सभा?: विनयांजलि सभा में भक्त अपने मुनि महाराज का चित्र उंचे स्थान पर रखकर उनको अपनी श्रद्धांजलि विनय भाव से देते हैं. विनयांजलि देने के दौरान भक्त या अनुयायी अपने साथ फूल माला भी लेकर आते हैं. विनयांजलि सभा के माध्यम से लोगों को ये संदेश दिया जाता है कि वो भी महाराज के बताए गए रास्ते पर चलकर देश और समाज की सेवा करेंगे.
बचपन से ही धर्म कर्म में थी खास रुचि: विद्यासागर जी महाराज का जन्म दक्षिण भारत के कर्नाटक में हुआ था. स्कूल के समय से ही उनका झुकाव धर्म और जैनिस्म की ओर था. विद्यासागर जी ने राजस्थान में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज से मुनि दीक्षा हासिल की. उनके तप और ज्ञान को देखकर उनके गुरुजी ने उनको आचार्य का पद सौंपा. जैन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए उनके किए गए काम सदियों तक लोग याद करेंगे.