भिलाई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज आईआईटी भिलाई के तीसरे और चौथे संयुक्त दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं. राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति के साथ ईको सिस्टम डेवलप करने में आदिवासी माहिर होते हैं. अगर हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाना सीखना है तो इनसे सीखना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समुदाय की सक्रिय भागी के बिना देश का विकास संभव नहीं होगा. दीक्षांत समारोह के मंच से राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के जरिए आदिवासी समुदाय के समस्याओं का हल निकाला जाना चाहिए, छत्तीसगढ़ में इस दिशा में बेहतर काम किया जा रहा है.
''आदिवासियों से सीखने की जरुरत है'': आईआईटी भिलाई के दीक्षांत समारोह में में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी संस्कृति और परंपरा बहुत ही समृद्ध है. आदिवासी प्रकृति को बहुत करीब से समझते हैं. आदिवासी समाज के लोग सदियों से जंगल में रहते आ रहे हैं. सदियों से पर्यावरण के बीच तालमेल बिठाने में उनका कोई सानी नहीं है. प्रकृति से जुड़े उनके पास असीम ज्ञान के भंडार भरे पड़े हैं. आज जरुरत इस बात की है कि हम उनकी जीवनशैली से सीखें और उसका इस्तेमाल भारत के विकास में करें. उनके ज्ञान का इस्तेमाल विकास के क्षेत्र में काम आएगा.
आदिवासी भाई बहनों की भागीदारी जरुरी: राष्ट्रपति ने कहा कि देश का समावेशी विकास हमारे आदिवासी भाई बहनों की भागीदारी से ही पूरा होगा. आईआईटी भिलाई इस दिशा में लगातार काम कर रहा है. आदिवासियों के विकास और उनकी भलाई के लिए ये संस्थान लगातार तकनीक की मदद से उनको आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.
आदिवासियों के पास जड़ी बूटियों की जानकारी: राष्ट्रपति ने कहा कि मलेरिया, टीबी और फाइलेरिया जेसी बीमारियां आज भी लोगों को हो रही है. ये बीमारियां आज भी देश से खत्म नहीं हुई. आदिवासियों में सिकल सेल एनीमिया बड़ी समस्या है. राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन के तहत इन बीमारियों पर काबू पाने का प्रयास भी जारी है. राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासी समाज के पास जड़ी बूटियों की जानकारी है. औषधीय पौधों के बारे में उनको पास भरपूर ज्ञान है. आज जरुरत है उनके ज्ञान को सहेजने और उस कागजों में दर्ज करने की.
क्रॉप डॉक्टर एप की तारीफ की: राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी भिलाई विशेष रूप से एग्रीटेक, हेल्थटेक और फिनटेक पर ध्यान केंद्रित कर काम रहा है. आईआईटी भिलाई ने एम्स रायपुर के सहयोग से एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जिसका नाम क्रॉप डॉक्टर एप है. इस एप के जरिए लोगों को उनके घर पर ही चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव दिए जा रहे हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि संस्थान ने किसानों के लिए तकनीकी समाधान बनाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के साथ भी सहयोग किया है.
छह लाख किसान एप का कर रहे इस्तेमाल: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि छह लाख किसान 'क्रॉप डॉक्टर' नामक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं. ये बड़ी खुशी की बात है कि इस तरह के एप का इस्तेमाल इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. लाखों लोग इससे फायदा भी उठा रहे हैं. भिलाई आईआईटी में राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबंधित कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं.
लघु वनोपज है महुआ: राष्ट्रपति ने कहा कि भिलाई आईआईटी संस्थान लघु वनोपज 'महुआ' के संग्रहण में लगे आदिवासी समुदायों के लोगों के विकास पर भी काम कर रही है. लघु वनोपज का काम करने वाले लोगों की मदद के लिए भी ये संस्थान लगातार अपनी महती जिम्मेदारी निभा रही है. उनके काम से जुड़े समस्याओं का समाधान भी ये संस्थान खोज रही है.
''देश और दुनिया की प्रगति में आपका योगदान'': राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आईआईटीयनों ने ज्ञान और बेहतर सोच, प्रयोग करने की मानसिकता और भविष्य की योजना के तहत देश और दुनिया के विकास में अहम योगदान दे रहे हैं. आईआईटी से पास होने के बाद दुनिया के कोने कोने में बड़ी वैश्विक कंपनियों की लीड कर रहे हैं. 21 वीं सदी की नई दुनिया को नया आकार देने में ये लोग जुटे हैं. डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में लगातार आप दुनिया को आगे ले जा रहे हैं. स्टार्ट अप की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं.
''जोखिम उठाना जरुरी'': राष्ट्रपति ने कहा कि जोखिम उठाने की प्रवृत्ति को अच्छा माना जाता है. प्रेसीडेंट ने कहा कि मुझे यकीन है कि आप अपनी जोखिम उठाने की प्रवृत्ति के साथ आगे बढ़ते रहेंगे. तकनीक के दम पर आप सायबर सुरक्षा को लेकर काम करेंगे. तकनीक का फायदा सबको मिले समय से मिले इसपर काम करेंगे. पहले के आईआईटी और नए आईआईटी भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत तरीके से आगे बढ़ रहे हैं. वर्तमान में देश में कुल 23 आईआईटी हैं.
जगन्नाथ मंदिर में की देश की समृद्धि की कामना: शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सबसे पहले रापयुर के गायत्री नगर पहुंची. राष्ट्रपति ने यहां जगन्नाथ स्वामी के मंदिर में पूजा अर्चना की. राष्ट्रपति ने देश में सुख समृद्धि और शांति के साथ विकास की कामना की. इस मौके पर जगन्नाथ सेवा समिति के सदस्यों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. मान्यता है कि ओडिशा के जगन्नाथ पुरी स्थित महाप्रभु भगवान श्री जगन्नाथ के पांव छत्तीसगढ़ के सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम के तट पर स्थित प्रयाग नगरी राजिम में पड़े थे, जिसे वर्तमान में भगवान कुलेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है. आज भी यहां लाखों श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं. इसी की याद में गायत्री नगर में भी महाप्रभु भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया गया.