नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो गई. पूरे चुनाव में 47 कॉलेज और पांच विभागों के कुल 51 हजार 300 छात्र छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस तरह से डूसू चुनाव में कुल 35.2% मतदान हुआ. इसके साथ ही अब छात्र नेता वोटों की गिनती का इंतजार कर रहे हैं. इस बीच खबर है कि वोटों की गिनती 21 अक्टूबर के बाद ही होगी. पहले वोटों की गिनती शनिवार को होनी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को वोटों की गिनती पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि जब तक कि पोस्टर, होर्डिंग्स और वृतचित्रों से क्षतिग्रस्त हुई सार्वजनिक संपत्ति बहाल नहीं हो जाती, तब तक वोटों की गिनती नहीं होगी. डूसू चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर राजेश सिंह ने कहा कि वोटों की गिनती अदालत की अगली सुनवाई के बाद होगी. कोर्ट में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी. उसके बाद ही हम तय कर पाएंगे कि गिनती कब होगी. संभावना है कि अदालत की सुनवाई के बाद गिनती की जाएगी.
सुरक्षा निगरानी में ईवीएम: सिंह आगे कहा, "हमने नियमों का उल्लंघन करने वाले 90 फीसदी होर्डिंग, पोस्टर और बैनर हटा दिए हैं और बाकी को हटाने की प्रक्रिया जारी है." इससे पहले, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि जब तक अदालत वोटों की गिनती के लिए हरी झंडी नहीं दे देती, तब तक ईवीएम को सुरक्षा निगरानी में स्ट्रॉन्गरूम में रखा जाएगा.
पिछले साल से 7 फीसदी कम पड़ा वोटः इस साल डूसू चुनाव में कुल 35.2% मतदान हुआ है. यह मतदान प्रतिशत पिछले साल के मतदान प्रतिशत करीब 7% कम है. पिछले साल के चुनाव में 42% मतदान हुआ था. चुनाव में कुल एक लाख 45 हजार 893 मतदाता थेस लेकिन मतदाताओं ने चुनाव में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. इसके चलते मतदान की गति काफी धीमी रही.
पहले राउंड की वोटिंग सुबह 8:30 से मॉर्निंग कॉलेज में शुरू हुई, जो 1:00 तक चली. उसके बाद इवनिंग कॉलेज में शाम को 3:00 बजे से मतदान शुरू हुआ, जो 7:30 बजे तक चला. हालांकि, मतदान करने वाले छात्र छात्राओं ने करीब 6:30 बजे तक ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर लिया था. लेकिन, निर्धारित समय 7:30 के बाद ही ईवीएम और बैलट बॉक्स को सील किया गया. डूसू चुनाव में मुख्य मुकाबला एबीवीपी एवं एनएसयूआई के बीच है.
अदालत ने कही ये बात: हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों के अधिकारी लिंगदोह समिति के दिशा-निर्देशों के वास्तविक महत्व को समझने में विफल रहे, जो छात्रसंघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के विरूपण और मुद्रित पोस्टरों के उपयोग पर रोक लगाते हैं. अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय को सार्वजनिक संपत्ति को बहाल करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), सरकारी विभागों और दिल्ली मेट्रो सहित नागरिक अधिकारियों द्वारा किए गए खर्च का भुगतान करने का भी निर्देश दिया और कहा कि इसके बाद विश्वविद्यालय को उम्मीदवारों से राशि वसूलने का अधिकार होगा.
जीत का किया दावा: उधर, दूसरे फेज की वोटिंग में मतदान का प्रतिशत बहुत कम रहा. एबीवीपी की ओर से उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी भानू प्रताप सिंह ने अपने पैनल की 4-0 से जीत का दावा किया. साथ ही कहा कि एबीवीपी साल के 365 दिन छात्र छात्राओं के बीच में रहकर काम करती है. इसलिए हमें चुनाव में अच्छा समर्थन मिल रहा है. कुछ ऐसे छात्र संगठन हैं जो चुनाव के समय ही बाहर आते हैं. उन्हें प्रचार की जरूरत होती है.
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