रांची: एनआईए के एक जज की हत्या की साजिश रांची जेल में रची जा रही थी. रांची पुलिस को मिले गुमनाम पत्र में यह बातें लिखी गई हैं. गुमनाम पत्र ने खलबली मचा दी है. मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.
दो करोड़ की सुपारी देने की बात
रांची के खेल गांव थाने के पत्र मिला है, जिसमें यह जिक्र किया गया है कि रांची जेल में बंद 6 कैदियों के द्वारा एनआईए कोर्ट के एक जज की हत्या के लिए बिहार के कुछ अपराधियों को दो करोड़ रुपए दिए गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए खेलगांव पुलिस के द्वारा स्वतः मामले में सनहा दर्ज किया गया और सभी छह कैदियों से पूछताछ की गई है. पत्र में जिक्र है कि जेल से इलाज के लिए रिम्स जाने के दौरान साजिश रची गई है.
एफआईआर दर्ज
खेलगांव थाने में तैनात दरोगा गजेश कुमार ने जांच के बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद 6 कैदियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. गजेश कुमार ने एफआईआर में लिखा है कि सनहा संख्या 20/24 की जांच का जिम्मा उन्हें मिला है. जिसमें एनआईए कोर्ट के जज की हत्या का षड्यंत्र रचने और बिहार के अपराधियों से 2 करोड़ रुपए में सौदा करने का आरोप लगाया था.
जांच में दरोगा ने क्या पाया
एफआईआर में दरोगा गजेश कुमार ने लिखा है कि गुमनाम का पत्र में बताया गया था, कि रांची जेल में बंद कुख्यात पीएलएफआई उग्रवादी प्रभु प्रसाद साहू और निवेश कुमार पोद्दार इलाज का बहाना बनाकर रांची के रिम्स अस्पताल गए थे और वहां जज की हत्या के लिए शूटरों को 75 लाख रुपए दिए थे. सनहा दर्ज करने के बाद जब जांच शुरू की ग कोई तो पता चला की एनआईए के केस में प्रभु प्रसाद साहू और निवेश कुमार रांची जेल में बंद है. जांच के दौरान अभी जानकारी मिली कि 7 अगस्त को दोनों कैदी इलाज के लिए रिम्स गए थे. 7 अगस्त के बाद 28 अगस्त को भी निवेश पोद्दार को इलाज के लिए रिम्स भेजा गया था. जांच में जानकारी मिली है कि प्रभु प्रसाद साहू को इलाज के लिए 13 अगस्त को रांची के दिन अस्पताल में भेजा गया था जिसके बाद वह 22 अगस्त तक रिम्स में ही भर्ती रहा था.
साजिश से इनकार
खेलगांव पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पूछताछ में दोनों उग्रवादियों ने किसी भी जज की हत्या की साजिश रचने की बात से इनकार किया है. हालांकि एफआईआर में यह लिखा गया है कि पूरे मामले की गहन जांच की जरूरत है.
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