नई दिल्ली: कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए जोर-शोर से तैयारियों में जुट गई है. खबरों के मुताबिक, राज्य में विपक्ष को चुनावी पटखनी देने के लिए कांग्रेस सहयोगी दलों, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के साथ मैदान में उतरने को इच्छुक है. हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू करने से पहले कांग्रेस जमीनी हकीकत का आकलन करना चाहती है. इस बीच कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाराष्ट्र टीम से राज्य में लोकसभा परिणामों का आकलन करने को कहा है, ताकि सबसे पुरानी पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार कर सके. महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव आशीष दुआ ने ईटीवी भारत को बताया कि, एआईसीसी प्रभारी रमेश चेन्निथला जल्द ही एक बैठक आयोजित करने वाले हैं. बता दें कि, 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के लिए नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, क्या सीटों के बंटवारे पर फंसेगा पेंच?
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव सहयोगी दलों शिव सेना यूबीटी और एनसीपी-एसपी के साथ लड़ने की इच्छुक है, लेकिन जुलाई में होने वाली संभावित सीट-बातचीत शुरू करने से पहले जमीनी स्तर की स्थिति का आकलन करना चाहती है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ईटीवी भारत को बताया कि, आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां संभावनाएं तलाश रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि, सीट-बंटवारे की बातचीत 27 जून से 12 जुलाई तक राज्य विधानसभा सत्र के बाद होने की संभावना है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि, कांग्रेस एमवीए के रूप में चुनाव मैदान में उतरना चाहती है. हालांकि, उन्होंने सीटों के बंटवारे पर कठिनाई उत्पन्न होने को लेकर भी आशंका जताई.
क्या है कांग्रेस की रणनीति?
पिछले 2019 के नेशनल इलेक्शन में, भाजपा ने महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से 23 सीटें जीती थीं, जबकि उसकी सहयोगी अविभाजित शिवसेना ने 18 सीटें जीती थीं. इसके विपरीत कांग्रेस केवल 1 सीट और एनसीपी 4 सीटें जीत सकी. 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने कुल 288 में से 105 सीटें, अविभाजित शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं. भाजपा और शिवसेना सहयोगी थे लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद अलग हो गए. शिवसेना ने एमवीए बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाया जो 2022 तक सत्ता में थी.
लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस
2024 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस कुल 48 सीटों में से 13 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि शिवसेना यूबीटी को 9 और एनसीपी-एसपी को 8 सीटें मिलीं. भाजपा ने 9 सीटें जीतीं और उसके सहयोगी दल शिव सेना शिंदे को 7 और एनसीपी को 1 सीट मिली. सांगली से एकमात्र निर्दलीय सांसद विशाल पाटिल ने कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल 2024 के लोकसभा नतीजों से उत्साहित हैं लेकिन विधानसभा चुनावों के लिए जोखिम नहीं उठाना चाहते।
क्या होंगे स्थानीय मुद्दे?
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य चुनाव में स्थानीय मुद्दे प्रमुख रहेंगे. उन्होंने कहा कि, 'हमें यह तय करने की ज़रूरत है कि क्या पिछले राष्ट्रीय या राज्य चुनाव आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान सीट-बंटवारे का आधार बनेंगे... लोकसभा नतीजों का आकलन किया जा रहा है. हमारी स्थिति यह रही है कि दी गई सीट पर सबसे मजबूत उम्मीदवार को नामांकित किया जाना चाहिए.गठबंधन में हम लड़ते नहीं हैं लेकिन हम अपने आकलन के अनुसार सीटों पर चर्चा और बातचीत करते हैं.'
कांग्रेस का पीएम मोदी पर निशाना
उन्होंने आगे कहा कि, उनकी पार्टी को पीएम मोदी की खराब आर्थिक नीतियों, पीएम के विभाजनकारी एजेंडे और 400 सीटों के उनके दोषपूर्ण नारे के कारण लोकसभा चुनावों में फायदा हुआ, लेकिन विधानसभा चुनावों में मुद्दे अलग होंगे. उन्होंने दावा किया एमवीए के सत्ता में आने की प्रबल संभावना है लेकिन भाजपा और उसके सहयोगी सत्ता में हैं और उनके पास सभी संसाधन हैं. इसलिए, हमें उन्हें हराने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करनी चाहिए.'
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