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कांग्रेस को हरियाणा में जीत की उम्मीद, राज्य इकाई को एकजुट होने का संदेश - Congress Gears up For Haryana

Congress Gears up For Haryana Election : पिछले एक दशक से हरियाणा में सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को एहसास हो गया है कि वह दोबारा सत्ता हासिल कर सकती है, लेकिन उसे अंदरूनी कलह पर अंकुश लगाने की जरूरत है.

Congress Gears up For Haryana Election
प्रतीकात्मक फोटो (ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : Jun 17, 2024, 4:47 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने हरियाणा के नेताओं को एकजुट रहने और विधानसभा चुनाव से पहले मौके का फायदा उठाने के लिए राज्य भर में कार्यकर्ताओं को जुटाने का निर्देश दिया है. 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.

पिछले एक दशक से राज्य में सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को एहसास हो गया है कि वह दोबारा सत्ता हासिल कर सकती है, लेकिन उसे अंदरूनी कलह पर अंकुश लगाने और जमीनी ताकत जुटाने की जरूरत है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि तदनुसार, राज्य के नेताओं को एक संदेश दिया गया है.

हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत को बताया, 'लोकसभा चुनाव के नतीजे हमारे लिए उत्साह बढ़ाने वाले रहे हैं. हम राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए निश्चित हैं लेकिन हमें एक टीम के रूप में लड़ना होगा.'

लोकसभा चुनाव से पहले बाबरिया ने सभी वरिष्ठ नेताओं बीएस हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी से अपने क्षेत्रों में अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के दौरान इसे ध्यान में रखा जाएगा.

कांग्रेस के रणनीतिकार इस बात से उत्साहित हैं कि सबसे पुरानी पार्टी ने महत्वपूर्ण वोट शेयर हासिल किया, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर वोट शेयर खो दिया.

कांग्रेस 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें हार गई थी, लेकिन 2024 में AAP के साथ गठबंधन के तहत 9 सीटों पर चुनाव लड़ा. 9 में से कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं जबकि AAP हार गई.

पार्टी नेताओं के मुताबिक, कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट शेयर का फायदा हिसार में 33 फीसदी, उसके बाद सिरसा में 24 फीसदी, भिवानी में 21 फीसदी, फरीदाबाद में 20 फीसदी, अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल में 18 फीसदी, रोहतक में 16 फीसदी और गुड़गांव और सोनीपत में 11 फीसदी रहा.

'बीजेपी का वोट शेयर घटा' : पार्टी नेताओं के मुताबिक, बीजेपी को अंबाला में 11 फीसदी, भिवानी में 13 फीसदी, फरीदाबाद में 15 फीसदी, गुड़गांव में 10 फीसदी, हिसार में 8 फीसदी, करनाल में 15 फीसदी, कुरुक्षेत्र में 11 फीसदी, रोहतक में 12 फीसदी, सिरसा में 18 फीसदी और सोनीपत में 5 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ है.

पार्टी नेताओं के अनुसार, कांग्रेस ने रविवार को कुरुक्षेत्र से कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करना शुरू किया और 14 जुलाई तक राज्य के सभी जिलों को कवर किया जाएगा. सीएलपी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने ईटीवी भारत को बताया, 'लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया ब्लॉक का वोट शेयर हरियाणा में सबसे ज्यादा 47.6 प्रतिशत था. उसके बाद तमिलनाडु. अब हम अपने कार्यकर्ताओं को जुटाने के लिए सभी विधानसभा सीटों पर जा रहे हैं, जो आने वाले दिनों में हर घर में जाएंगे.'

सीएलपी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि 'सभी 36 बिरादरी के लोगों ने विधानसभा चुनाव में बदलाव का मन बना लिया है.' उन्होंने कहा कि 'कुरुक्षेत्र धर्म और न्याय की भूमि का प्रतीक है. वहां से हमारी विजय यात्रा शुरू हो गई है. आज हमने करनाल में कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और उनका हौसला बढ़ाया.'

हुड्डा ने कहा कि राज्य भाजपा, जिसे कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री बदलना पड़ा था, अंदरूनी कलह से पीड़ित है और उसकी सरकार बहुमत खो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से भाजपा का समर्थन करने वाली जेजेपी अब भगवा पार्टी के साथ नहीं है. उन्होंने कहा कि जेजेपी ने 2019 में भाजपा विरोधी मुद्दे पर विधानसभा सीटें जीती थीं, लेकिन हाल के लोकसभा चुनावों में पता चला कि उन्हें नोटा विकल्प से भी कम वोट मिले.

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हरियाणा कांग्रेस में 'गड़बड़', राहुल की रैली से पहले एकजुट होने का 'फरमान'

नई दिल्ली : कांग्रेस ने हरियाणा के नेताओं को एकजुट रहने और विधानसभा चुनाव से पहले मौके का फायदा उठाने के लिए राज्य भर में कार्यकर्ताओं को जुटाने का निर्देश दिया है. 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.

पिछले एक दशक से राज्य में सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को एहसास हो गया है कि वह दोबारा सत्ता हासिल कर सकती है, लेकिन उसे अंदरूनी कलह पर अंकुश लगाने और जमीनी ताकत जुटाने की जरूरत है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि तदनुसार, राज्य के नेताओं को एक संदेश दिया गया है.

हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत को बताया, 'लोकसभा चुनाव के नतीजे हमारे लिए उत्साह बढ़ाने वाले रहे हैं. हम राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए निश्चित हैं लेकिन हमें एक टीम के रूप में लड़ना होगा.'

लोकसभा चुनाव से पहले बाबरिया ने सभी वरिष्ठ नेताओं बीएस हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी से अपने क्षेत्रों में अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के दौरान इसे ध्यान में रखा जाएगा.

कांग्रेस के रणनीतिकार इस बात से उत्साहित हैं कि सबसे पुरानी पार्टी ने महत्वपूर्ण वोट शेयर हासिल किया, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर वोट शेयर खो दिया.

कांग्रेस 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटें हार गई थी, लेकिन 2024 में AAP के साथ गठबंधन के तहत 9 सीटों पर चुनाव लड़ा. 9 में से कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं जबकि AAP हार गई.

पार्टी नेताओं के मुताबिक, कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट शेयर का फायदा हिसार में 33 फीसदी, उसके बाद सिरसा में 24 फीसदी, भिवानी में 21 फीसदी, फरीदाबाद में 20 फीसदी, अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल में 18 फीसदी, रोहतक में 16 फीसदी और गुड़गांव और सोनीपत में 11 फीसदी रहा.

'बीजेपी का वोट शेयर घटा' : पार्टी नेताओं के मुताबिक, बीजेपी को अंबाला में 11 फीसदी, भिवानी में 13 फीसदी, फरीदाबाद में 15 फीसदी, गुड़गांव में 10 फीसदी, हिसार में 8 फीसदी, करनाल में 15 फीसदी, कुरुक्षेत्र में 11 फीसदी, रोहतक में 12 फीसदी, सिरसा में 18 फीसदी और सोनीपत में 5 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ है.

पार्टी नेताओं के अनुसार, कांग्रेस ने रविवार को कुरुक्षेत्र से कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करना शुरू किया और 14 जुलाई तक राज्य के सभी जिलों को कवर किया जाएगा. सीएलपी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने ईटीवी भारत को बताया, 'लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया ब्लॉक का वोट शेयर हरियाणा में सबसे ज्यादा 47.6 प्रतिशत था. उसके बाद तमिलनाडु. अब हम अपने कार्यकर्ताओं को जुटाने के लिए सभी विधानसभा सीटों पर जा रहे हैं, जो आने वाले दिनों में हर घर में जाएंगे.'

सीएलपी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि 'सभी 36 बिरादरी के लोगों ने विधानसभा चुनाव में बदलाव का मन बना लिया है.' उन्होंने कहा कि 'कुरुक्षेत्र धर्म और न्याय की भूमि का प्रतीक है. वहां से हमारी विजय यात्रा शुरू हो गई है. आज हमने करनाल में कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और उनका हौसला बढ़ाया.'

हुड्डा ने कहा कि राज्य भाजपा, जिसे कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री बदलना पड़ा था, अंदरूनी कलह से पीड़ित है और उसकी सरकार बहुमत खो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 से भाजपा का समर्थन करने वाली जेजेपी अब भगवा पार्टी के साथ नहीं है. उन्होंने कहा कि जेजेपी ने 2019 में भाजपा विरोधी मुद्दे पर विधानसभा सीटें जीती थीं, लेकिन हाल के लोकसभा चुनावों में पता चला कि उन्हें नोटा विकल्प से भी कम वोट मिले.

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