नई दिल्ली : जाति जनगणना पर कांग्रेस ने अनुभवी आनंद शर्मा द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को अधिक महत्व नहीं दिया. कांग्रेस ने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी हमेशा सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध रही है.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य सैयद नासिर हुसैन ने ईटीवी भारत से कहा कि 'कांग्रेस पार्टी ने सदैव समाज के सभी वर्गों के हितों का प्रतिनिधित्व किया है. पार्टी अपनी विचारधारा से नहीं भटकी है.'
वह पार्टी के दिग्गज नेता और सीडब्ल्यूसी सदस्य आनंद शर्मा द्वारा पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे गए पत्र का जवाब दे रहे थे, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी पहचान की राजनीति नहीं की और जाति जनगणना के मुद्दे को उठाने से बचना चाहिए.
शर्मा ने 19 मार्च को लिखे अपने पत्र में कहा, 'राष्ट्रीय जाति जनगणना चुनावी बहस में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है. कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले I.N.D.I.A गठबंधन ने इसका समर्थन किया है. गठबंधन में वे दल भी शामिल हैं जिन्होंने लंबे समय से जाति की राजनीति की है. लेकिन सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति परिपक्वता और भारतीय समाज की जटिलताओं की जानकारीपूर्ण समझ पर आधारित रही है. हालांकि जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और न ही इसका समर्थन करती है. यह क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता की समृद्ध विविधता वाले समाज में लोकतंत्र के लिए हानिकारक है. मेरे विचार में जाति जनगणना बेरोजगारी और व्याप्त असमानताओं का समाधान नहीं हो सकती.'
यदि कांग्रेस के नेतृत्व वाला I.N.D.I.A गठबंधन सत्ता में आता है तो नए सिरे से जाति जनगणना कराना कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में प्रमुख वादों में से एक होगा. पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी भी पिछले महीनों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के प्रभारी एआईसीसी सचिव चंदन यादव ने शर्मा के पत्र के पीछे के मकसद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि नीति निर्माण आधारित सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना की आवश्यकता थी.
चंदन यादव ने ईटीवी भारत से कहा कि 'मुझे नहीं पता कि उन्होंने अब यह पत्र क्यों लिखा है, लेकिन मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस हमेशा सामाजिक न्याय के बारे में चिंतित रही है और सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए हमेशा सकारात्मक कार्रवाई की है, चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा प्रिवी पर्स (Privy Purses) को समाप्त करना हो या पिछली पार्टी सरकार के दौरान शिक्षा और नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना. इस अवधारणा को दशकों से पार्टी सम्मेलनों के दौरान अनुमोदित किया गया था.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों को आश्चर्य हुआ कि जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच में थी और अपना घोषणापत्र जारी करने वाली थी तो शर्मा इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति क्यों व्यक्त कर रहे थे.
यादव ने कहा कि 'जाति जनगणना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह हमें सुशासन का आधार प्रदान करेगा. जाति भारतीय सामाजिक और राजनीतिक जीवन की एक वास्तविकता है और केंद्रीय धन को समान रूप से कैसे वितरित किया जाना चाहिए, यह तय करने के लिए विभिन्न सामाजिक समूहों की उचित गणना होनी चाहिए.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पिछली यूपीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सामाजिक-आर्थिक जनगणना की थी, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले डेटा जारी नहीं कर सकी. 2014 में भाजपा सत्ता में आई. 'डेटा प्रकाशित होता तो अच्छा होता' राहुल ने यह बात पिछले साल तब कही थी जब उनसे जाति जनगणना पर सवाल पूछा गया था. यादव ने कहा कि 'जाति, एक सामाजिक वास्तविकता और जातिवाद के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए, जिससे बचा जाना चाहिए.'