नई दिल्ली: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के लिए 75 वरिष्ठ नेताओं को विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, ताकि 18 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में होने वाले विरोध प्रदर्शन से पहले पार्टी की संगठनात्मक क्षमताओं का परीक्षण किया जा सके.
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राज्य इकाई की सभी समितियों को भंग करने और जनवरी 2025 तक समितियों को फिर से गठित करने का आदेश देने के कुछ दिनों बाद मेगा विरोध की घोषणा की गई थी. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि राज्य की समितियों को भंग कर दिया गया है क्योंकि वे निष्क्रिय हो गई थीं और उनमें केवल कागज पर सदस्य थे.
सूत्रों के अनुसार, 75 विशेष पर्यवेक्षकों को 18 दिसंबर के कार्यक्रम के लिए समर्थन जुटाने का काम सौंपा गया है, जब कांग्रेस भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में खुद को मजबूत विपक्ष के रूप में पेश करने के लिए लखनऊ में विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस का यह कदम 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले खुद को सक्रिय करना और सत्तारूढ़ भाजपा के सामने चुनौती पेश करना है.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव तौकीर आलम ने ईटीवी भारत को बताया, "18 दिसंबर का विरोध प्रदर्शन एक बड़ा प्रदर्शन होगा. सभी जिलों के लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. हम बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की दुर्दशा और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे उठाएंगे, जिनसे लोग सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं."
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद नेताओं का मानना है कि पार्टी को यूपी में अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की जरूरत है, ऐसे समय में जब रायबरेली के सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता है. हालांकि कांग्रेस और उसकी सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन कांग्रेस हाईकमान राज्य में अपने संगठनात्मक कमियों को दूर करना चाहता है.
स्थानीय लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दे उठाएगी कांग्रेस
मथुरा जिले के पर्यवेक्षक बनाए गए वरिष्ठ नेता विवेक बंसल ने ईटीवी भारत को बताया, "सभी 75 पर्यवेक्षक अपने क्षेत्रों में हैं. वे स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय करेंगे और 18 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन में योगदान देंगे. कांग्रेस स्थानीय लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाएगी." उन्होंने कहा, "विपक्ष को लोगों की समस्याओं को उठाते हुए दिखना चाहिए."
पार्टी के सूत्रों ने कांग्रेस की 'लखनऊ रैली' के लिए जुटाए जा रहे लोगों की तुलना एक तरह के युद्ध खेल (War Game) से की है, जो राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की कांग्रेस की क्षमता का परीक्षण करेगा. सूत्रों ने कहा कि पार्टी के इस कदम से प्रत्येक जिले में नए चेहरों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी, जिन्हें पार्टी की नई समितियों में शामिल किया जा सकता है.
अजय राय कर रहे प्रदर्शन की तैयारियों की निगरानी
प्रियंका गांधी वाड्रा के विश्वासपात्र और यूपी कांग्रेस के प्रमुख अजय राय खुद इस बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं, ताकि वह हाईकमान के सामने अपनी बात साबित कर सकें, क्योंकि उनका व्यापक प्रभाव नहीं है.
हालांकि कांग्रेस सपा के साथ अपने गठबंधन को मजबूत करने के लिए उत्सुक है, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी अच्छी तरह से जानती है कि उसे राज्य में अपना जन आधार बढ़ाना होगा, जो लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सदस्य भेजता है. इसी वजह से, उसने सपा के साथ संयुक्त विरोध प्रदर्शन की योजना नहीं बनाई है. बंसल ने कहा कि यह केवल कांग्रेस का प्रदर्शन होगा.
राहुल और प्रियंका गांधी ने हाल ही में पश्चिमी यूपी में हिंसा प्रभावित संभल का दौरा करने की कोशिश की, लेकिन राज्य प्रशासन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं द. इसके बाद राहुल ने दिल्ली में संभल क्षेत्र के पीड़ितों से मुलाकात की. बाद में उन्होंने हाथरस का दौरा कर उन पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त की, जो पिछले चार वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे हैं.
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