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दूसरे चरण में सीमांचल की जंग कांग्रेस के लिए अहम! क्या लगा पाएगी जीत का चौका - Congress In Seemanchal

Congress In Seemanchal: सीमांचल की लोकसभा सीटें कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. एक बार फिर से उपजे नए राजनीतिक परिदृश्य ने कांग्रेस को उम्मीद दी है. ऐसे में दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस जीत का चौका लगाने की पूरी कोशिश करेगी.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 20, 2024, 4:53 PM IST

दूसरे चरण में सीमांचल की जंग कांग्रेस के लिए अहम! क्या लगा पाएगी जीत का चौका
दूसरे चरण में सीमांचल की जंग कांग्रेस के लिए अहम! क्या लगा पाएगी जीत का चौका
दूसरे चरण में सीमांचल की जंग

पटना: 2024 लोकसभा के प्रथम चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया है. बिहार की 4 सीट पर चुनाव सम्पन्न हो गया है. सभी राजनीतिक दल दूसरे चरण की तैयारी में जुट गए हैं. बिहार में दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा. सीमांचल की सीटों को साधने के लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. इसी के तहत राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत भागलपुर से की और यहां से सीमांचल की तीन सीटों को साधने प्रयास किया.

ईटीवी भारत GFX
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किन किन सीटों पर होगा चुनाव: बिहार में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 5 सीटों पर मतदान होगा. किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका में 26 अप्रैल को मतदान होगा. सभी राजनीतिक दल अब दूसरे चरण के चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुटे हैं. दूसरे चरण में कांग्रेस ने तीन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है.

कांग्रेस के हिस्से की सीट: इंडिया गठबंधन में सीट का बंटवारा हुआ जिसमें राजद के खाते में 26 सीट कांग्रेस के खाते में 9 सीट और वामपंथी दलों के खाते में 5 सीट गई थी. राजद ने अपने हिस्से की सीट में से तीन सीट मुकेश सहनी की पार्टी VIP को दिया.
इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस के खाते में 9 मिली थी. महागठबंधन गठबंधन के तहत , बिहार में कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर (सुरक्षित), मुजफ्फरपुर, सासाराम (सुरक्षित), महाराजगंज और पटना साहिब सीट शामिल है.

दूसरा चरण कांग्रेस के लिए अहम: दूसरा चरण कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि किशनगंज सीट उनकी सीटिंग सीट है. इसके अलावा कटिहार भागलपुर में उनके प्रत्याशी चुनावी मैदान में है. किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया है. जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर कटिहार सीट से और भागलपुर सीट से पार्टी विधायक अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं.

पप्पू पर भी है कांग्रेस की नजर!: वहीं पप्पू यादव भी पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. यदि पप्पू यादव चुनाव जीते हैं तो उनका भी रुख कांग्रेस पार्टी की तरफ ही होगा. इस लिहाज से कांग्रेस पार्टी जीत का चौका लगाने की फिराक में है. क्योंकि निर्दलीय नामांकन भरने के बावजूद कांग्रेस ने पप्पू यादव पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की. वहीं पप्पू यादव अपने को कांग्रेस का नेता बताते रहे हैं. पप्पू यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि उनकी लाश कांग्रेस के झंडे में लिपटकर जाएगी.

किशनगंज लोकसभा सीट: किशनगंज सीट कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण सीट है. 2019 लोकसभा के चुनाव में बिहार की 40 सीट में से महागठबंधन मात्र किशनगंज की सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी. बिहार से महागठबंधन के एकमात्र सांसद के रूप में जीतकर जाने वाले मोहम्मद जावेद को इस बार फिर से कांग्रेस ने वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.

किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया
किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया

कांग्रेस और AIMIM के बीच मुख्य मुकाबला: जातिगत समीकरण भी यदि देखें तो महागठबंधन के लिए बिहार के सबसे सुरक्षित सीटों में से यह है. 70 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज में 1996 में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन जीते थे. नहीं तो अधिकांश समय इस सीट पर कांग्रेस और उनके गठबंधन के साथियों की ही जीत होती रही है. इस बार कांग्रेस के खिलाफ एआईएमआईएम के अख्तरूल इमान चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि जेडीयू से मुजाहिद आलम को टिकट दिया गया है, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रत्याशी के बीच में ही होता दिख रहा है.

कटिहार लोकसभा सीट: कटिहार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने अपने पुराने दिग्गज नेता तारिक अनवर को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा है. तारिक अनवर कटिहार सीट से पांच बार लोकसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के दुलालचंद गोस्वामी वहां से सांसद चुने गए थे. इस बार भी जदयू ने उनको वहां से उम्मीदवार बनाया है. 2024 लोकसभा चुनाव में ही भी इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच में सीधा मुकाबला होता दिख रहा है.

तारिक अनवर
तारिक अनवर

भागलपुर लोकसभा सीट: बिहार में कांग्रेस का राजनीतिक पतन की शुरुआत भागलपुर दंगे के बाद से ही शुरू हुई थी. इसी दंगे के बाद धीरे-धीरे बिहार में कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती चली गई. पिछले 34 साल में कांग्रेस का जन आधार धीरे-धीरे बिहार में काम होता गया, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर से भागलपुर से चुनावी मैदान में उतरा है. पार्टी ने भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.

अजीत शर्मा
अजीत शर्मा

सामाजिक समीकरण के उस्ताद माने जाते हैं अजीत शर्मा: अजीत शर्मा का मुख्य मुकाबला जदयू के वर्तमान सांसद अजय मंडल के साथ ही होता दिख रहा है. 1984 के बाद इस सीट पर आज तक कांग्रेस जीत नहीं सकी है. दो दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस वहां चुनाव भी नहीं लड़ी है, लेकिन 2024 में अजीत शर्मा एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. अजीत शर्मा सामाजिक समीकरण के उस्ताद माने जाते हैं. इसके साथ इन्हें भूमिहार जाति से होने का फायदा, साथ में नेहा शर्मा के फैन फोलोविंग का भी साथ मिलता रहा है.

भागलपुर में जातिगत समीकरण: भागलपुर लोकसभा में मुस्लिम और यादव मतदाता की संख्या तीन-तीन लाख यानी छह लाख के पास है. भूमिहार वोट पर भी कांग्रेस की नजर है. यही कारण है कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लग रहा है कि वह भागलपुर की सीट जीत सकती है.

पूर्णिया लोकसभा सीट: 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीट में सबसे चर्चित सीट पूर्णिया की सीट है. पांच बार के सांसद पप्पू यादव पूर्णिया से चौथी बार सांसद बनने के लिए इस बार निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने के कारण ही उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था. उनको उम्मीद थी कि कांग्रेस के सिंबल पर वह पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन पप्पू यादव की पार्टी के कांग्रेस में विलय के एक दिन बाद ही राजद ने पूर्णिया सीट से जदयू की विधायक बीमा भारती को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया.

पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव
पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव

क्या कांग्रेस से नजदीकी बनी रहेगी?: कई दिनों तक राजनीतिक बयानबाजी होती रही. पप्पू यादव को कांग्रेस के तरफ से मनाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. 2024 लोकसभा चुनाव में जदयू के वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा का मुकाबला पप्पू यादव से होता दिख रहा है. सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस से बागी होकर पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेस के अधिकांश कार्यकर्ता पूर्णिया में पप्पू यादव की मदद कर रहे हैं. इसलिए लहजे से देखा जाए तो यदि पप्पू यादव चुनाव जीते हैं तो उनकी नजदीकी कांग्रेस से बनी रहेगी.

क्या मानते हैं जानकर: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार के दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बेहतर दिख रही है। कटिहार सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता तारिक अनवर को मैदान में उतारा है वही किशनगंज सीट से वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद मैदान में है. महागठबंधन में तमाम विरोध के बावजूद पप्पू यादव पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

"पूर्णिया से पप्पू यादव मजबूत स्थिति में दिख रही है. भागलपुर से अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं जिनका चुनाव प्रचार राहुल गांधी ने किया. सीमांचल की जो सीट हैं वह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. 2024 में इस बार भी राजनीतिक और जातीय समीकरण कांग्रेस के साथ बनता दिख रहा है. यही कारण है कि इन चारों सीटों पर कांग्रेस आज की तारीख में मजबूत स्थिति में दिख रही है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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दूसरे चरण में सीमांचल की जंग

पटना: 2024 लोकसभा के प्रथम चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया है. बिहार की 4 सीट पर चुनाव सम्पन्न हो गया है. सभी राजनीतिक दल दूसरे चरण की तैयारी में जुट गए हैं. बिहार में दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव होगा. सीमांचल की सीटों को साधने के लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. इसी के तहत राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत भागलपुर से की और यहां से सीमांचल की तीन सीटों को साधने प्रयास किया.

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किन किन सीटों पर होगा चुनाव: बिहार में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 5 सीटों पर मतदान होगा. किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका में 26 अप्रैल को मतदान होगा. सभी राजनीतिक दल अब दूसरे चरण के चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुटे हैं. दूसरे चरण में कांग्रेस ने तीन प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है.

कांग्रेस के हिस्से की सीट: इंडिया गठबंधन में सीट का बंटवारा हुआ जिसमें राजद के खाते में 26 सीट कांग्रेस के खाते में 9 सीट और वामपंथी दलों के खाते में 5 सीट गई थी. राजद ने अपने हिस्से की सीट में से तीन सीट मुकेश सहनी की पार्टी VIP को दिया.
इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस के खाते में 9 मिली थी. महागठबंधन गठबंधन के तहत , बिहार में कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर (सुरक्षित), मुजफ्फरपुर, सासाराम (सुरक्षित), महाराजगंज और पटना साहिब सीट शामिल है.

दूसरा चरण कांग्रेस के लिए अहम: दूसरा चरण कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि किशनगंज सीट उनकी सीटिंग सीट है. इसके अलावा कटिहार भागलपुर में उनके प्रत्याशी चुनावी मैदान में है. किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया है. जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर कटिहार सीट से और भागलपुर सीट से पार्टी विधायक अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं.

पप्पू पर भी है कांग्रेस की नजर!: वहीं पप्पू यादव भी पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. यदि पप्पू यादव चुनाव जीते हैं तो उनका भी रुख कांग्रेस पार्टी की तरफ ही होगा. इस लिहाज से कांग्रेस पार्टी जीत का चौका लगाने की फिराक में है. क्योंकि निर्दलीय नामांकन भरने के बावजूद कांग्रेस ने पप्पू यादव पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की. वहीं पप्पू यादव अपने को कांग्रेस का नेता बताते रहे हैं. पप्पू यादव ने तो यहां तक कह दिया था कि उनकी लाश कांग्रेस के झंडे में लिपटकर जाएगी.

किशनगंज लोकसभा सीट: किशनगंज सीट कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण सीट है. 2019 लोकसभा के चुनाव में बिहार की 40 सीट में से महागठबंधन मात्र किशनगंज की सीट पर ही जीत हासिल कर सकी थी. बिहार से महागठबंधन के एकमात्र सांसद के रूप में जीतकर जाने वाले मोहम्मद जावेद को इस बार फिर से कांग्रेस ने वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.

किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया
किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद को उम्मीदवार बनाया

कांग्रेस और AIMIM के बीच मुख्य मुकाबला: जातिगत समीकरण भी यदि देखें तो महागठबंधन के लिए बिहार के सबसे सुरक्षित सीटों में से यह है. 70 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज में 1996 में बीजेपी के शाहनवाज हुसैन जीते थे. नहीं तो अधिकांश समय इस सीट पर कांग्रेस और उनके गठबंधन के साथियों की ही जीत होती रही है. इस बार कांग्रेस के खिलाफ एआईएमआईएम के अख्तरूल इमान चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि जेडीयू से मुजाहिद आलम को टिकट दिया गया है, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रत्याशी के बीच में ही होता दिख रहा है.

कटिहार लोकसभा सीट: कटिहार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने अपने पुराने दिग्गज नेता तारिक अनवर को एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतारा है. तारिक अनवर कटिहार सीट से पांच बार लोकसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के दुलालचंद गोस्वामी वहां से सांसद चुने गए थे. इस बार भी जदयू ने उनको वहां से उम्मीदवार बनाया है. 2024 लोकसभा चुनाव में ही भी इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच में सीधा मुकाबला होता दिख रहा है.

तारिक अनवर
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भागलपुर लोकसभा सीट: बिहार में कांग्रेस का राजनीतिक पतन की शुरुआत भागलपुर दंगे के बाद से ही शुरू हुई थी. इसी दंगे के बाद धीरे-धीरे बिहार में कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती चली गई. पिछले 34 साल में कांग्रेस का जन आधार धीरे-धीरे बिहार में काम होता गया, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर से भागलपुर से चुनावी मैदान में उतरा है. पार्टी ने भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.

अजीत शर्मा
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सामाजिक समीकरण के उस्ताद माने जाते हैं अजीत शर्मा: अजीत शर्मा का मुख्य मुकाबला जदयू के वर्तमान सांसद अजय मंडल के साथ ही होता दिख रहा है. 1984 के बाद इस सीट पर आज तक कांग्रेस जीत नहीं सकी है. दो दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस वहां चुनाव भी नहीं लड़ी है, लेकिन 2024 में अजीत शर्मा एक बार फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. अजीत शर्मा सामाजिक समीकरण के उस्ताद माने जाते हैं. इसके साथ इन्हें भूमिहार जाति से होने का फायदा, साथ में नेहा शर्मा के फैन फोलोविंग का भी साथ मिलता रहा है.

भागलपुर में जातिगत समीकरण: भागलपुर लोकसभा में मुस्लिम और यादव मतदाता की संख्या तीन-तीन लाख यानी छह लाख के पास है. भूमिहार वोट पर भी कांग्रेस की नजर है. यही कारण है कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को लग रहा है कि वह भागलपुर की सीट जीत सकती है.

पूर्णिया लोकसभा सीट: 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीट में सबसे चर्चित सीट पूर्णिया की सीट है. पांच बार के सांसद पप्पू यादव पूर्णिया से चौथी बार सांसद बनने के लिए इस बार निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने के कारण ही उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था. उनको उम्मीद थी कि कांग्रेस के सिंबल पर वह पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन पप्पू यादव की पार्टी के कांग्रेस में विलय के एक दिन बाद ही राजद ने पूर्णिया सीट से जदयू की विधायक बीमा भारती को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया.

पूर्णिया से निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव
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क्या कांग्रेस से नजदीकी बनी रहेगी?: कई दिनों तक राजनीतिक बयानबाजी होती रही. पप्पू यादव को कांग्रेस के तरफ से मनाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. 2024 लोकसभा चुनाव में जदयू के वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा का मुकाबला पप्पू यादव से होता दिख रहा है. सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस से बागी होकर पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेस के अधिकांश कार्यकर्ता पूर्णिया में पप्पू यादव की मदद कर रहे हैं. इसलिए लहजे से देखा जाए तो यदि पप्पू यादव चुनाव जीते हैं तो उनकी नजदीकी कांग्रेस से बनी रहेगी.

क्या मानते हैं जानकर: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार के दूसरे चरण के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बेहतर दिख रही है। कटिहार सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता तारिक अनवर को मैदान में उतारा है वही किशनगंज सीट से वर्तमान सांसद मोहम्मद जावेद मैदान में है. महागठबंधन में तमाम विरोध के बावजूद पप्पू यादव पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

"पूर्णिया से पप्पू यादव मजबूत स्थिति में दिख रही है. भागलपुर से अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं जिनका चुनाव प्रचार राहुल गांधी ने किया. सीमांचल की जो सीट हैं वह कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. 2024 में इस बार भी राजनीतिक और जातीय समीकरण कांग्रेस के साथ बनता दिख रहा है. यही कारण है कि इन चारों सीटों पर कांग्रेस आज की तारीख में मजबूत स्थिति में दिख रही है."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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