जयपुर. लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही तारीखों का ऐलान न हुआ हो, लेकिन राजस्थान की सियासत में माहौल बनने शुरू हो गए हैं. साथ ही शुरू हो गया है बड़े नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला. प्रदेश के वागड़ क्षेत्र के आदिवासियों के बड़े नेता के तौर पर पहचान रखने वाले कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य व कद्दावर नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने सोमवार को कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. पहले आदिवासी समाज से आने वाले चुन्नीलाल गरासिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाना और अब इस समाज में बड़ी पकड़ रखने वाले मालवीय को पार्टी ज्वाइन करा कर भाजपा ने न केवल लोकसभा के लिहाज से, बल्कि भविष्य की राजनीति के लिहाज से एक बड़े वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. वहीं, इसका असर दूसरे राज्यों में भी देखने को मिलेगा. भाजपा का दामन थामने के बाद मालवीय ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति से प्रभावित होकर ही वो अपने पुराने घर लौटे हैं. वहीं, भाजपा में शामिल होने के साथ ही उन्होंने मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की.
जानें कौन हैं महेन्द्रजीत सिंह मालवीय : पूर्व कैबिनेट मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय वर्तमान में बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा विधानसभा सीट से विधायक हैं. दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी नेता के रूप में मालवीय की पहचान है. मालवीय पूर्व में कांग्रेस सरकार में चार बार विधायक, एक बार सांसद और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे. साथ ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य थे. बताया जा रहा नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने से मालवीय नाराज चल रहे थे. कुछ दिन पहले ही जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से उन्होंने मुलाकात की थी. उसके बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी. रविवार को देर शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से उनकी दिल्ली में मुलाकात हुई थी. उसके बाद जयपुर में सदस्यता ग्रहण करने का कार्यक्रम तय हुआ था. वहीं, सदस्यता ग्रहण करने के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उनका स्वागत किया और उन्हें दुपट्टा पहना कर पार्टी की सदस्यता दिलाई.
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इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं मालवीय : इस दौरान जोशी ने कहा कि मालवीय आदिवासी समाज के बड़े नेता हैं. इनका लंबा सियासी अनुभव रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से प्रभावित होकर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है. ऐसे में भाजपा में उनका स्वागत है. चर्चा है कि भाजपा डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है. फिलहाल इस सीट से कनकमल कटारा सांसद हैं.
राजस्थान ही नहीं, अन्य राज्यों में भी मिलेगा फायदा : पहले आदिवासी समाज से आने वाले चुन्नीलाल गरासिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाना और अब इस समाज में बड़ी पकड़ रखने वाले मालवीय को पार्टी ज्वाइन करा कर भाजपा ने न केवल लोकसभा के लिहाज से, बल्कि भविष्य की राजनीति के लिहाज से एक बड़े वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, जिसका असर अन्य राज्यों में भी देखने को मिलेगा. मालवा और गुजरात से सटे इस लोकसभा क्षेत्र में हुए बदलाव के बाद राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर देखा जा रहा है. बता दें कि पिछले दो चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के परंपरागत गढ़ को काफी हद तक ढहाया है. बांसवाड़ा जिले की पांच और डूंगरपुर की तीन सीटों वाले इस बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर गत चुनाव में बीटीपी ने ढाई लाख से अधिक वोट से बड़ी जीत दर्ज की थी.
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मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए : भाजपा में शामिल होने के बाद महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कहा कि उनका छात्र जीवन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ शुरू हुआ था. हालांकि बाद में वो कांग्रेस से चुनाव लड़े और दो बार मंत्री भी रहे, लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस ने मंदिर जाने से मना किया उससे उनका मन बहुत दुखी हुआ था. उन्होंने कहा कि वो सनातन को मानने वाले व्यक्ति हैं. मंदिर में पूजा करते हैं. कांग्रेस ने राम का अपमान किया. इससे वो बहुत आहत हुए. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है.
इस दौरान उन्होंने आदिवासी समाज के परंपरागत गीत को गाकर भी सुनाया और कहा कि मानगढ़ धाम आदिवासी समाज का एक बड़ा धार्मिक स्थल है. ऐसे में राजस्थान और केंद्र सरकार से उनकी मांग है कि मानगढ़ स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए. इसके साथ ही मालवीय ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिले और इसके लिए पार्टी ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे हासिल करने के लिए अब हम सब को जुट जाना है.