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GEP Index लांच करने वाला दुनिया का पहला राज्य बना उत्तराखंड, जानें क्या है Gross Environment Product - GEP Index Launched

CM Dhami launched GEP Index in Dehradun उत्तराखंड के लिए बड़ी खबर है. सीएम धामी ने GEP Index लांच किया है. ऐसा करने वाले उत्तराखंड देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला राज्य बना गया है.

GEP INDEX LAUNCHED BY CM DHAMI.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लांच किया GEP Index. (Photo- Pushkar Dhami X Account)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 19, 2024, 5:51 PM IST

GEP Index लांच करने वाला दुनिया का पहला राज्य बना उत्तराखंड. (ETV Bharat)

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार 19 जुलाई को उत्तराखंड सचिवालय देहरादून में प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने जीईपी के आंकलन को लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (GEP Index) का उद्घाटन किया. ऐसा करने वाला उत्तराखंड दुनिया का पहला राज्य बन गया है.

इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला राज्य बना गया है, जिसने सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (GEP Index) को लांच किया है. इसका भविष्य में उत्तराखंड को काफी फायदा मिलेगा. साथ ही अन्य राज्यों के लिए भी ये काफी फायदेमंद होगा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान ग्रीन बोनस की परिकल्पना की थी, लेकिन उत्तराखंड राज्य को ग्रीन बोनस का लाभ नहीं मिल सका. जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने 21 दिसंबर 2021 को जीडीपी में पर्यावरण सेवाओं के मूल्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत के बीच अंतर को जोड़कर सकल पर्यावरण उत्पाद की परिभाषा को अधिसूचित किया था.

इसके साथ ही दिसंबर 2021 की अधिसूचना में सरकार जीईपी के लिए मूल्यांकन तंत्र को विकसित करना चाहती है. ताकि सकल पर्यावरण उत्पाद को राज्य की जीडीपी के साथ किस तरह से जोड़ा जाए. विभिन्न विकासपरक योजनाओं, औद्योगिक प्रक्रियाओं और सरकार की ओर से बनाये गये नियमों के अनुपालन का जो परिणाम है, वो सकल रूप से प्रदेश के लोकल एनवायरनमेंट क्वालिटी पर देखने की मिलेगी.

लोकल एनवायरनमेंट क्वालिटी में हवा, पानी, मिट्टी और जंगल समेत अन्य फैक्टर्स शामिल है. अगर इसकी क्वालिटी बढ़ती है तो जीईपी सूचकांक में वृद्धि देखने को मिलेगी. जिसके चलते ये कह सकते है कि प्रदेश में चल रहे विकास कार्य पर्यावरण के अनुकूल है.

उत्तराखंड के लिए बड़ा दिन: उत्तराखंड ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स को लांच करने के बाद सीएम धामी ने कहा कि राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है. क्योंकि हिमालय राज्य उत्तराखंड देश-दुनिया को पर्यावरण के क्षेत्र में एक दिशा देने का काम कर रहा है. ऐसे में यह उत्तराखंड राज्य के लिए एक ऐतिहासिक दिन है.

सीएम ने कहा कि हमारे पूर्वज हमें अच्छा वातावरण, अच्छी जमीन, अच्छी वायु और अच्छा जल देकर गए हैं. उत्तराखंड की नदियां 12 महीने जल देती है. साथ ही उत्तराखंड वनों, पर्वतों और हिम ग्लेशियर से आच्छादित है. ऐसे में जिस तरह से विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, उसी तरह पर्यावरण का किस तरह से संरक्षण करें, आज उसका सूचकांक जारी किया गया है.

सीएम ने कहा कि विकास के नाम पर अगर पेड़ों को काटा जा रहा है तो फिर उसकी भरपाई के लिए कितने पेड़ लगाए जा रहे हैं. इसका भी पता होना चाहिए. साथ ही इकोलॉजी और इकोनॉमी में किस तरह से तालमेल बैठाया जाए और किस तरह के विकास का मॉडल अपना रहे है, इन पर इसमें समीक्षा होगी.

सीएम ने कहा कि यह सूचकांक रिपोर्ट इस बात को बयां करेगी कि सरकार विकास को लेकर सही दिशा में आगे बढ़ रही है. ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि अपने पायदान की कायम रखे. पिछले 3 सालों के आंकड़े सूचकांक में आए हैं. पिछले तीन सालों के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार राज्य सही दिशा में जा रहा है, लेकिन अभी भी सरकार को चेतने की आवश्यकता है. उत्तराखंड को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है, जिसको राज्य सरकार संरक्षित करते हुए आगे बढ़ाएगी. साथ ही कहा कि नीति आयोग, भारत सरकार और ग्रीन बोनस के तहत राज्य को जो अन्य लाभ लेने हैं, उसमें ये सूचकांक काफी फायदेमंद साबित होगी.

क्या होता है GEP और उत्तराखंड के लिए क्यों है जरूरी: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है. जिस तरह देश के विकास को नापने के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी Gross Domestic Product (GDP) है, उसी तरह पर्यावरण और हवा, मिट्टी, पानी, जंगल के बीच संतुलन का मार्ग सकल पर्यावरण उत्पाद यानी Gross Environmental Product (GEP) है.

Gross Environmental Product का मकसद है कि प्रदेश के वन्य क्षेत्रों के साथ पर्यावरण को बेहतर रखने के लिए कदम उठाना. GEP के जरिए ये पता चल सकेगा कि प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों का कितना नाश हुआ है, उसका कितना असर पड़ा है. इसके साथ ही पर्यावरणीय नुकसान का सही आकलन भी हो सकेगा. जिस तरह हर साल GDP रिपोर्ट की समीक्षा होती है, उसी तरह अब GEP रिपोर्ट का भी आकलन किया जाएगा. सालाना रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें ये अंकित होगा कि पर्यावरण को लेकर उत्तराखंड किस स्तर पर पहुंचा है.

GEP रिपोर्ट के जरिए प्राकृतिक पूंजी के साथ आर्थिक गतिविधियों से होने वाले नुकसान और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर असर को जाना जा सकेगा.

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GEP Index लांच करने वाला दुनिया का पहला राज्य बना उत्तराखंड. (ETV Bharat)

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार 19 जुलाई को उत्तराखंड सचिवालय देहरादून में प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने जीईपी के आंकलन को लेकर सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (GEP Index) का उद्घाटन किया. ऐसा करने वाला उत्तराखंड दुनिया का पहला राज्य बन गया है.

इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला राज्य बना गया है, जिसने सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (GEP Index) को लांच किया है. इसका भविष्य में उत्तराखंड को काफी फायदा मिलेगा. साथ ही अन्य राज्यों के लिए भी ये काफी फायदेमंद होगा.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान ग्रीन बोनस की परिकल्पना की थी, लेकिन उत्तराखंड राज्य को ग्रीन बोनस का लाभ नहीं मिल सका. जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने 21 दिसंबर 2021 को जीडीपी में पर्यावरण सेवाओं के मूल्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत के बीच अंतर को जोड़कर सकल पर्यावरण उत्पाद की परिभाषा को अधिसूचित किया था.

इसके साथ ही दिसंबर 2021 की अधिसूचना में सरकार जीईपी के लिए मूल्यांकन तंत्र को विकसित करना चाहती है. ताकि सकल पर्यावरण उत्पाद को राज्य की जीडीपी के साथ किस तरह से जोड़ा जाए. विभिन्न विकासपरक योजनाओं, औद्योगिक प्रक्रियाओं और सरकार की ओर से बनाये गये नियमों के अनुपालन का जो परिणाम है, वो सकल रूप से प्रदेश के लोकल एनवायरनमेंट क्वालिटी पर देखने की मिलेगी.

लोकल एनवायरनमेंट क्वालिटी में हवा, पानी, मिट्टी और जंगल समेत अन्य फैक्टर्स शामिल है. अगर इसकी क्वालिटी बढ़ती है तो जीईपी सूचकांक में वृद्धि देखने को मिलेगी. जिसके चलते ये कह सकते है कि प्रदेश में चल रहे विकास कार्य पर्यावरण के अनुकूल है.

उत्तराखंड के लिए बड़ा दिन: उत्तराखंड ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स को लांच करने के बाद सीएम धामी ने कहा कि राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है. क्योंकि हिमालय राज्य उत्तराखंड देश-दुनिया को पर्यावरण के क्षेत्र में एक दिशा देने का काम कर रहा है. ऐसे में यह उत्तराखंड राज्य के लिए एक ऐतिहासिक दिन है.

सीएम ने कहा कि हमारे पूर्वज हमें अच्छा वातावरण, अच्छी जमीन, अच्छी वायु और अच्छा जल देकर गए हैं. उत्तराखंड की नदियां 12 महीने जल देती है. साथ ही उत्तराखंड वनों, पर्वतों और हिम ग्लेशियर से आच्छादित है. ऐसे में जिस तरह से विकास के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, उसी तरह पर्यावरण का किस तरह से संरक्षण करें, आज उसका सूचकांक जारी किया गया है.

सीएम ने कहा कि विकास के नाम पर अगर पेड़ों को काटा जा रहा है तो फिर उसकी भरपाई के लिए कितने पेड़ लगाए जा रहे हैं. इसका भी पता होना चाहिए. साथ ही इकोलॉजी और इकोनॉमी में किस तरह से तालमेल बैठाया जाए और किस तरह के विकास का मॉडल अपना रहे है, इन पर इसमें समीक्षा होगी.

सीएम ने कहा कि यह सूचकांक रिपोर्ट इस बात को बयां करेगी कि सरकार विकास को लेकर सही दिशा में आगे बढ़ रही है. ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि अपने पायदान की कायम रखे. पिछले 3 सालों के आंकड़े सूचकांक में आए हैं. पिछले तीन सालों के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार राज्य सही दिशा में जा रहा है, लेकिन अभी भी सरकार को चेतने की आवश्यकता है. उत्तराखंड को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है, जिसको राज्य सरकार संरक्षित करते हुए आगे बढ़ाएगी. साथ ही कहा कि नीति आयोग, भारत सरकार और ग्रीन बोनस के तहत राज्य को जो अन्य लाभ लेने हैं, उसमें ये सूचकांक काफी फायदेमंद साबित होगी.

क्या होता है GEP और उत्तराखंड के लिए क्यों है जरूरी: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है. जिस तरह देश के विकास को नापने के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी Gross Domestic Product (GDP) है, उसी तरह पर्यावरण और हवा, मिट्टी, पानी, जंगल के बीच संतुलन का मार्ग सकल पर्यावरण उत्पाद यानी Gross Environmental Product (GEP) है.

Gross Environmental Product का मकसद है कि प्रदेश के वन्य क्षेत्रों के साथ पर्यावरण को बेहतर रखने के लिए कदम उठाना. GEP के जरिए ये पता चल सकेगा कि प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों का कितना नाश हुआ है, उसका कितना असर पड़ा है. इसके साथ ही पर्यावरणीय नुकसान का सही आकलन भी हो सकेगा. जिस तरह हर साल GDP रिपोर्ट की समीक्षा होती है, उसी तरह अब GEP रिपोर्ट का भी आकलन किया जाएगा. सालाना रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें ये अंकित होगा कि पर्यावरण को लेकर उत्तराखंड किस स्तर पर पहुंचा है.

GEP रिपोर्ट के जरिए प्राकृतिक पूंजी के साथ आर्थिक गतिविधियों से होने वाले नुकसान और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर असर को जाना जा सकेगा.

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