देहरादून: समान नागरिक संहिता को पास करने के उद्देेश्य से आहुत उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में 7 फरवरी देर शाम आखिरकार बिल को ध्वनिमत से पास कर दिया गया है. दो दिन तक चली चर्चा और बहस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर फाइनल मुहर लगाई गई. सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद उत्तराखंड UCC लागू करने वाला स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन जाएगा.
गौर हो कि, समान नागरिक संहिता विधेयक पर 6 और 7 फरवरी को सदन में दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई. सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक पर लंबी चर्चा और बहस की. 7 फरवरी देर शाम सदन में विधेयक पर गहन चर्चा के बाद सदन ने इसे पास कर दिया. वहीं, यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पास होने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन को संबोधित किया. सीएम धामी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल कोई आम विधेयक नहीं है. इससे उत्तराखंड को इतिहास बनाने का मौका मिला है, जिसके कारण आज उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को पास कर इतिहास रचने जा रहा है.
सीएम धामी ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को विस्तार से बनाया गया है. इसमें कई लोगों के सुझाव लिये गए हैं. उन्होंने बताया कि माणा गांव से इसकी शुरुआत हुई थी. इसमें तमाम राजनीतिक दलों को भी शामिल किया गया. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल उत्तराखंड के जन-गण-मन की बात है. सीएम धामी ने कहा ये कानून सबको एकरूपता में लाने का काम करता है. उत्तराखंड का धरती आज आदर्श स्थापित करने जा रही है. उन्होंने कहा हम समरस समाज का निर्माण करने की ओर बढ़ रहे हैं.
पुष्कर सिंह धामी ने कहा हम सभी को एक होकर विरोध के विपक्ष में खड़ा होना चाहिए, जिससे विकास की नई गाथा लिखी जाएगी. सीएम ने बताया कि भारत का संविधान हमें लैंगिक समानता और धर्मनिपेक्षता की सीख देता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल इसी दिशा में उठाया गया कदम हैं. जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा, जब हम समान मन की बात करते हैं तो उसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि हम सभी के कार्यों में एकरूपता हो बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सभी समान विचार और व्यवहार द्वारा विधिसम्मत कार्य करें. सीएम धामी ने कहा कि, हम हमेशा से कहते आए हैं कि अनेकता में एकता और यही भारत की विशेषता है. यह बिल उसी एकता की बात करता है, जिस एकता का नारा हम वर्षों से लगाते आए हैं.
सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी का भी आभार जाताया. सीएम धामी ने बताया 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई. देश के सीमांत गांव माणा से प्रारंभ हुई यह जनसंवाद यात्रा करीब नौ माह बाद 43 जनसंवाद कार्यक्रम करके नई दिल्ली में पूरी हुई. 2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए. प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव दिए. हमारे प्रदेश की देवतुल्य जनता की जागरुकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है. जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी.
सीएम धामी ने आगे कहा कि, समान नागरिक संहिता के विषय पर उन्हें यह कहते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि जो संकल्प लिया गया था, आज इस सदन में उस संकल्प की सिद्धि होने जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारी देवभूमि समानता से सभी का सम्मान करना सिखाती है, जैसे यहां के चार धाम और कई मंदिर हमारे लिए पूजनीय है, वैसे ही पिरान कलियर भी हमारे लिए एक पवित्र स्थान है .आज समय आ गया है कि हम वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें हर स्तर पर समता हो. वैसी ही समानता जिसके आदर्श मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम हैं.
सीएम धामी ने कहा कि, उनका सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है. यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है. संविधान सभा ने इससे संबंधित विषयों को संविधान की समवर्ती सूची का अंग बनाया है, जिससे केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकें. आजादी से पहले हमारे देश में जो शासन व्यवस्था थी, उसकी सिर्फ एक ही नीति थी- फूट डालो और राज करो. अपनी उसी नीति को अपनाकर उन्होंने कभी भी सबके लिए समान कानून का निर्माण नहीं होने दिया. समान नागरिक संहिता विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा. यही प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है.
खबरें ये भी हैं
- यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी में धामी सरकार, उत्तराखंड में मचा घमासान, एक क्लिक में जानें यूसीसी ड्राफ्ट से जुड़ी सभी बातें
- Uniform Civil Code : फिर उठ खड़ा हुआ समान नागरिक संहिता विवाद, जानें क्या है यह मामला
- यूनिफॉर्म सिविल कोड की विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल फिर से बढ़ाया गया, चार महीने के लिए किया गया Extend
- उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के बाद देश में तलाशी जाएगी संभावनाएं, विपक्ष दाग रहा सवाल
- UCC पर बोले हरीश रावत- उत्तराखंड नहीं, केंद्र बनाए, सिर्फ चुनाव के लिए राज्य का पैसा बर्बाद