चंडीगढ़: हरियाणा कैबिनेट की 15 मई को अहम बैठक हो रही है. ये बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जी रही है क्योंकि एक तरफ लोकसभा चुनाव के लिए हरियाणा में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होना है, वहीं सरकार के अल्पमत में होने को लेकर विपक्षी पार्टियां राज्यपाल को पत्र लिखकर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुकी हैं. विपक्ष नायब सैनी के फ्लोर टेस्ट कराने की भी मांग कर रहा है. ऐसे में बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक पर सभी की नजरें बनी हुई हैं.
क्या फ्लोर टेस्ट करवाएगी सरकार?
एक तरफ लोकसभा चुनाव और दूसरी बीजेपी सरकार पर अल्पमत में होने का आरोप, चुनाव में बीजेपी के लिए महंगा साबित हो सकता है. प्रमुख विपक्षी दलों कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो ने इस मुद्दे पर राज्यपाल को पत्र लिखकर प्रदेश में सरकार का फ्लोर टेस्ट कराने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. हालांकि सीएम नायब सैनी लगातार कह रहे हैं कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन विपक्ष फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहा है.
विपक्ष से विधायकों की परेड कराने की मांग
माहौल चुनावी है. इसलिए विपक्ष इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रहा है. सत्ता पक्ष कह रहा है कि विपक्ष के पास अगर नंबर है तो वो अपने सदस्यों की राज्यपाल के सामने परेड करवाए. लेकिन सत्ता पक्ष जनता है कि विपक्ष चुनावी माहौल में इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश करेगा. इसलिए सीएम हो या पूर्व सीएम वो कह चुके हैं कि राज्यपाल कहेंगे तो वो फ्लोर टेस्ट के लिए भी तैयार हैं. सरकार चाहे तो खुद भी सेशन बुलाकर फ्लोर टेस्ट करवा सकती है.
क्या सरकार खुद फ्लोर टेस्ट करवा सकती है?
इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि जिस तरह से विपक्ष इसको चुनाव में मुद्दा बना रहा है, उसका लोकसभा चुनाव में असर हो सकता है इसलिए सत्ता पक्ष इसका जवाब देना चाहेगा. ऐसा संभव है कि सरकार खुद ही आगे आकर फ्लोर टेस्ट करवाकर विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेर दे. क्या फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल का आदेश जरूरी है या फिर सरकार खुद भी इसके लिए पहल कर सकती है? इस पर संवैधानिक मामलों के जानकार रामनारायण यादव कहते हैं कि सरकार खुद आगे आकर फ्लोर टेस्ट करवा सकती है. सरकार चाहे तो 24 घंटों में ऐसा कर सकती है.
सरकार को बागियों का सहारा
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का दावा है कि उनके साथ जेजेपी और कुछ कांग्रेस के विधायकों का भी साथ है. मनोहर लाल कई बार कह चुके हैं कि जेजेपी के पांच से छह विधायक उनके साथ हैं और कांग्रेस के भी कुछ नेता उनके संपर्क में हैं. यानी ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि सरकार खुद ही फ्लोर टेस्ट करवाए. ऐसे में नायब सैनी सरकार अब दूसरे दलों के बागियों के सहारे ही बच सकती है.
इस वक्त सबसे ज्यादा खलबली जेजेपी में मची हुई है. पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली लगातार अपने समर्थकों के साथ रायशुमारी करके विधायक दल के नेता को बदलने के लिए ताकत लगा रहे हैं. मौजूदा दौर में पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पार्टी के विधायक दल के नेता हैं. अगर बबली 10 में से 5 या 6 विधायक भी अपने पाले में करने में कामयाब हो गए तो वो खुद या उनका कोई साथी भी विधायक दल का नेता बन सकता है और जेजेपी का समर्थन सरकार को दे सकता है.
क्या है विधानसभा की मौजूदा स्थिति?
हरियाणा विधानसभा में मौजूदा आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो अभी 90 में से 88 सदस्य हैं. जिसमें बीजेपी 40, कांग्रेस 30, जेजेपी 10, इनेलो एक, हलोपा एक और छह निर्दलीय हैं. वहीं तीन निर्दलीय कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं. सत्ता पक्ष के 40 के साथ उसको हलोपा का एक और दो निर्दलीय का साथ है. इसलिए सरकार के पा विधायकों का कुल आंकड़ा 43 हो रहा है. जबकि विपक्ष में 30 कांग्रेस, 10 जेजेपी, एक इनेलो और चार निर्दलीय हैं. और विपक्ष का आंकड़ा 45 है. सरकार बनाने के लिए 88 सदस्यों वाले सदन में 45 की संख्या चाहिए.