ETV Bharat / bharat

देवगढ़ में पानी ही पानी, कुएं और बावड़ियों की उंगलियों पर नहीं कर सकते गिनती

एमपी में छिंदवाड़ा के इस गांव में आबादी से ज्यादा पानी के साधन मौजूद हैं. देवगढ़ कभी गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी.

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 32 minutes ago

CHHINDWARA WATER VILLAGE DEVGARH
आबादी से ज्यादा हैं इस गांव में पानी के साधन (ETV Bharat)

छिंदवाड़ा: यहां एक ऐसा गांव है जहां हर आदमी पर एक कुंआ और बावड़ी है. गांव छोटा सा है लेकिन धरोहर अनमोल है. पानी की कमी ना हो इसलिए 16वीं शताब्दी में यहां के राजाओं ने कुएं और बावड़ियों का निर्माण कराया था. समय के साथ-साथ ये विरासत विलुप्त हो रही थी लेकिन अब जिला प्रशासन ने इन्हें खोज निकाला है. इस गांव में करीब 800 कुएं और 900 बावड़ियां प्रशासन ने चिन्हित किए हैं जिन्हें सहेजने का काम किया जा रहा है.

आबादी से ज्यादा हैं इस गांव में पानी के साधन

छिंदवाड़ा जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की आबादी से भी ज्यादा उस गांव में पानी के लिए बनाए गए कुएं और बावड़ियां हैं. ये कुएं और बावड़ियां आज धरोहर के रूप में सहेजी जा रही हैं. देवगढ़ कभी गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी, दरअसल एक छोटा सा गांव देवगढ़ एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में कुओं और बावड़ियों को अपने आंचल में समेटे हुए है. कहा जाता है कि इलाके में पानी की कमी ना हो, इसलिए राजाओं ने यहां हजारों की संख्या में बावड़ी और कुओं का निर्माण 16 वीं शताब्दी में कराया था.

छिंदवाड़ा का देवगढ़ किला (ETV Bharat)

16वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी थी देवगढ़

16 वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी देवगढ़ हुआ करती थी. देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावड़ी और 800 कुएं हैं. जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवाये थे. मध्य प्रदेश सरकार अब इन्हें सहेजने का काम कर रही है. जिला प्रशासन में मनरेगा के तहत इन्हें सुधारने का काम शुरू गया किया है. जिसमें लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

DEVGARH 800 WELLS 900 STEPWELLS
देवगढ़ में हैं 800 कुएं और 900 बावड़ियां (ETV Bharat)
CHHINDWARA DEVGARH FORT
गोंड राजाओं की विरासत देवगढ़ किला (ETV Bharat)

गोंड राजाओं की विरासत देवगढ़ किला

देवगढ़ का किला देवगढ़ गांव में 650 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है. किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है. देवगढ़ का कोई प्रत्यक्ष लिखित इतिहास नहीं है परंतु बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है. अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था. किले में बावड़ियां एवं बारहमासी पहाड़ी झरनों से गिरनेवाली बूंदों से भरनेवाले मोती टांका को देखा जा सकता है.

CHHINDWARA TOURISM
छिंदवाड़ा में पर्यटन का हो रहा विकास (ETV Bharat)
GOND KINGS CAPITAL DEVGARH
16वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी थी देवगढ़ (ETV Bharat)

राजा जाटवा ने कराया था किले का निर्माण

इतिहासकार डॉ यू के शुक्ला ने बताया कि "गोंड समुदाय के राजा जाटवा ने देवगढ़ किले का निर्माण कराया था. भक्त बुलुंड राजा वंश में सबसे शक्तिशाली था और उन्होंने सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान मुस्लिम धर्म को अपना लिया था. बाद में कई शासकों ने यहां राज किया और आखिरकार मराठा शासन 1803 में खत्म हुआ. 17 सितंबर 1803 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश शासन शुरू होने से रघुजी द्वितीय को हराकर इस राज्य पर कब्जा कर लिया. स्वतंत्रता के बाद नागपुर को छिंदवाड़ा जिले की राजधानी बना दिया गया था और 1 नवंबर 1956 को इस जिले को छिंदवाड़ा के साथ राजधानी बना दिया गया था."

ये भी पढ़ें:

जल्द इतिहास को दोहराएगा पन्ना का अजयपाल किला, भारतीय पुरातत्व विभाग ने उठाया बड़ा कदम

आदेगांव फोर्ट का अनूठा रोशनदान, बिना दूरबीन-लेंस देख सकते हैं 10 मील दूर की हिलती डुलती चीजें

'छिंदवाड़ा में पर्यटन का हो रहा विकास'

जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी बलराम राजपूत ने बताया कि "देवगढ़ में जंगल, पहाड़, नदी के साथ ही गोंड शासन काल का आलीशान किला भी है, साथ ही सदियों पुरानी बावड़ियां भी देखने योग्य हैं. देवगढ़ के पास अद्भुत लिलाही जलप्रपात भी है. अभी तक यहां पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को देवगढ़ से वापस आना पड़ता था, लेकिन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की होम स्टे योजना का लाभ मिल जाने से 8 होम स्टे बन रहे हैं. जिससे देवगढ़ में रुकना आसान हो जायेगा."

छिंदवाड़ा: यहां एक ऐसा गांव है जहां हर आदमी पर एक कुंआ और बावड़ी है. गांव छोटा सा है लेकिन धरोहर अनमोल है. पानी की कमी ना हो इसलिए 16वीं शताब्दी में यहां के राजाओं ने कुएं और बावड़ियों का निर्माण कराया था. समय के साथ-साथ ये विरासत विलुप्त हो रही थी लेकिन अब जिला प्रशासन ने इन्हें खोज निकाला है. इस गांव में करीब 800 कुएं और 900 बावड़ियां प्रशासन ने चिन्हित किए हैं जिन्हें सहेजने का काम किया जा रहा है.

आबादी से ज्यादा हैं इस गांव में पानी के साधन

छिंदवाड़ा जिले का एक गांव ऐसा है, जहां की आबादी से भी ज्यादा उस गांव में पानी के लिए बनाए गए कुएं और बावड़ियां हैं. ये कुएं और बावड़ियां आज धरोहर के रूप में सहेजी जा रही हैं. देवगढ़ कभी गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी, दरअसल एक छोटा सा गांव देवगढ़ एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में कुओं और बावड़ियों को अपने आंचल में समेटे हुए है. कहा जाता है कि इलाके में पानी की कमी ना हो, इसलिए राजाओं ने यहां हजारों की संख्या में बावड़ी और कुओं का निर्माण 16 वीं शताब्दी में कराया था.

छिंदवाड़ा का देवगढ़ किला (ETV Bharat)

16वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी थी देवगढ़

16 वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी देवगढ़ हुआ करती थी. देवगढ़ का किला व उसके आसपास 900 बावड़ी और 800 कुएं हैं. जिन्हें तत्कालीन शासकों ने बनवाये थे. मध्य प्रदेश सरकार अब इन्हें सहेजने का काम कर रही है. जिला प्रशासन में मनरेगा के तहत इन्हें सुधारने का काम शुरू गया किया है. जिसमें लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

DEVGARH 800 WELLS 900 STEPWELLS
देवगढ़ में हैं 800 कुएं और 900 बावड़ियां (ETV Bharat)
CHHINDWARA DEVGARH FORT
गोंड राजाओं की विरासत देवगढ़ किला (ETV Bharat)

गोंड राजाओं की विरासत देवगढ़ किला

देवगढ़ का किला देवगढ़ गांव में 650 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है. किला 16वीं सदी में गोंड राजाओं द्वारा निर्मित माना जाता है. देवगढ़ का कोई प्रत्यक्ष लिखित इतिहास नहीं है परंतु बादशाहनामा व अन्य मुगल साहित्य में देवगढ़ की चर्चा की गई है. अकबर के समय देवगढ़ पर जाटवा शाह राज्य करता था. किले में बावड़ियां एवं बारहमासी पहाड़ी झरनों से गिरनेवाली बूंदों से भरनेवाले मोती टांका को देखा जा सकता है.

CHHINDWARA TOURISM
छिंदवाड़ा में पर्यटन का हो रहा विकास (ETV Bharat)
GOND KINGS CAPITAL DEVGARH
16वीं सदी में गोंड राजाओं की राजधानी थी देवगढ़ (ETV Bharat)

राजा जाटवा ने कराया था किले का निर्माण

इतिहासकार डॉ यू के शुक्ला ने बताया कि "गोंड समुदाय के राजा जाटवा ने देवगढ़ किले का निर्माण कराया था. भक्त बुलुंड राजा वंश में सबसे शक्तिशाली था और उन्होंने सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान मुस्लिम धर्म को अपना लिया था. बाद में कई शासकों ने यहां राज किया और आखिरकार मराठा शासन 1803 में खत्म हुआ. 17 सितंबर 1803 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश शासन शुरू होने से रघुजी द्वितीय को हराकर इस राज्य पर कब्जा कर लिया. स्वतंत्रता के बाद नागपुर को छिंदवाड़ा जिले की राजधानी बना दिया गया था और 1 नवंबर 1956 को इस जिले को छिंदवाड़ा के साथ राजधानी बना दिया गया था."

ये भी पढ़ें:

जल्द इतिहास को दोहराएगा पन्ना का अजयपाल किला, भारतीय पुरातत्व विभाग ने उठाया बड़ा कदम

आदेगांव फोर्ट का अनूठा रोशनदान, बिना दूरबीन-लेंस देख सकते हैं 10 मील दूर की हिलती डुलती चीजें

'छिंदवाड़ा में पर्यटन का हो रहा विकास'

जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद के नोडल अधिकारी बलराम राजपूत ने बताया कि "देवगढ़ में जंगल, पहाड़, नदी के साथ ही गोंड शासन काल का आलीशान किला भी है, साथ ही सदियों पुरानी बावड़ियां भी देखने योग्य हैं. देवगढ़ के पास अद्भुत लिलाही जलप्रपात भी है. अभी तक यहां पर्यटकों के रुकने की व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को देवगढ़ से वापस आना पड़ता था, लेकिन मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की होम स्टे योजना का लाभ मिल जाने से 8 होम स्टे बन रहे हैं. जिससे देवगढ़ में रुकना आसान हो जायेगा."

Last Updated : 32 minutes ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.