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छिंद झाड़ू चमकाती है किस्मत, दिवाली में लक्ष्मीजी के साथ करें पूजा

छिंद झाड़ू का दिवाली में विशेष महत्व है. लक्ष्मी पूजा में अगर छिंद की झाड़ू मिल जाए तो समझो आपकी किस्मत चमक गई.

CHHINDWARA CHHIND BROOM
छिंदवाड़ा की छिंद झाड़ू (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Chhind Broom Importance in Lakshmi Puja: दिवाली के मौके पर लक्ष्मी जी की पूजा तो होती ही है लेकिन इसके साथ एक विशेष पूजा की जाती है वह है झाड़ू की. ऐसा माना जाता है कि अगर छिंद की झाड़ू की पूजा की जाए तो किस्मत चमक सकती है. इसलिए लोग इस दिन छिंद की झाड़ू की भी विशेष पूजा करते हैं. लक्ष्मी पूजा में छिंद की झाड़ू की पूजा का विशेष महत्व है. इसलिए छिंद की झाड़ू और लक्ष्मी जी की पूजा साथ-साथ होती है.

छिंद की झाड़ू की डिमांड

दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही छिंद की झाड़ू की भी पूजा की जाती है, इसलिए बाजार में लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ-साथ छिंद की झाड़ू की भी स्पेशल डिमांड रहती है. पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि "झाड़ू स्वच्छता के लिए उपयोग की जाती है. दिवाली सफाई और स्वच्छता का ही त्यौहार है. झाड़ू जिस तरह घरों को चमकाती है इसी तरह की पूजा करने से किस्मत भी चमकती है. इसलिए लक्ष्मी जी के साथ दीपावली के दिन छिंद की झाड़ू की विशेष पूजा की जाती है."

लक्ष्मी पूजा में छिंद की झाड़ू का महत्व

पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री बताते हैं कि "लक्ष्मी जी वहीं विराजमान होती है जहां साफ सफाई और स्वच्छता रहती है इसलिए दिवाली के पहले घरों की साफ सफाई की जाती है. इस सफाई में झाड़ू सबसे मुख्य साधन होता है. छिंद यानी छोटा खजूर भी कहा जाता है. इसकी झाड़ू पूजा के लिए उपयोग की जाती है क्योंकि पूजन में जब पंचमेवा अर्पित किए जाते हैं तो खजूर को भी विशेष रूप से शामिल किया जाता है. इसलिए लक्ष्मी जी के साथ दीपावली के मौके पर छिंद की झाड़ू की पूजा करनी चाहिए.

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छिंद के नाम से ही छिंदवाड़ा की पहचान

छिंदवाड़ा जिले में अधिक मात्रा में छिंद के पेड़ पाए जाते हैं इसलिए इस शहर का नाम छिंदवाड़ा हो गया. छिंद के पेड़ छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण और आदिवासियों के लिए रोजगार का भी एक प्रमुख साधन है. छिंद से बनी राखियां, शादियों के मौके पर दूल्हे के सहरे, झाड़ू और घरों को सजावट के समान भी बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं इसके फल भी आयुर्वेद के तौर पर काफी लाभदायक होते हैं.

Chhind Broom Importance in Lakshmi Puja: दिवाली के मौके पर लक्ष्मी जी की पूजा तो होती ही है लेकिन इसके साथ एक विशेष पूजा की जाती है वह है झाड़ू की. ऐसा माना जाता है कि अगर छिंद की झाड़ू की पूजा की जाए तो किस्मत चमक सकती है. इसलिए लोग इस दिन छिंद की झाड़ू की भी विशेष पूजा करते हैं. लक्ष्मी पूजा में छिंद की झाड़ू की पूजा का विशेष महत्व है. इसलिए छिंद की झाड़ू और लक्ष्मी जी की पूजा साथ-साथ होती है.

छिंद की झाड़ू की डिमांड

दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही छिंद की झाड़ू की भी पूजा की जाती है, इसलिए बाजार में लक्ष्मी जी की मूर्ति के साथ-साथ छिंद की झाड़ू की भी स्पेशल डिमांड रहती है. पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि "झाड़ू स्वच्छता के लिए उपयोग की जाती है. दिवाली सफाई और स्वच्छता का ही त्यौहार है. झाड़ू जिस तरह घरों को चमकाती है इसी तरह की पूजा करने से किस्मत भी चमकती है. इसलिए लक्ष्मी जी के साथ दीपावली के दिन छिंद की झाड़ू की विशेष पूजा की जाती है."

लक्ष्मी पूजा में छिंद की झाड़ू का महत्व

पंडित शिवकुमार शर्मा शास्त्री बताते हैं कि "लक्ष्मी जी वहीं विराजमान होती है जहां साफ सफाई और स्वच्छता रहती है इसलिए दिवाली के पहले घरों की साफ सफाई की जाती है. इस सफाई में झाड़ू सबसे मुख्य साधन होता है. छिंद यानी छोटा खजूर भी कहा जाता है. इसकी झाड़ू पूजा के लिए उपयोग की जाती है क्योंकि पूजन में जब पंचमेवा अर्पित किए जाते हैं तो खजूर को भी विशेष रूप से शामिल किया जाता है. इसलिए लक्ष्मी जी के साथ दीपावली के मौके पर छिंद की झाड़ू की पूजा करनी चाहिए.

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छिंद के नाम से ही छिंदवाड़ा की पहचान

छिंदवाड़ा जिले में अधिक मात्रा में छिंद के पेड़ पाए जाते हैं इसलिए इस शहर का नाम छिंदवाड़ा हो गया. छिंद के पेड़ छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीण और आदिवासियों के लिए रोजगार का भी एक प्रमुख साधन है. छिंद से बनी राखियां, शादियों के मौके पर दूल्हे के सहरे, झाड़ू और घरों को सजावट के समान भी बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं इसके फल भी आयुर्वेद के तौर पर काफी लाभदायक होते हैं.

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