छतरपुर (मप्र). सौम्या सोनी के घर पर एक या दो नहीं बल्कि 33 बिल्लियां हैं. वे इन सभी बिल्लियों को अपने लिए लकी मानती हैं. इसलिए पड़ोस के बच्चे उन्हें 'बिल्ली वाली दीदी' भी कहते हैं. सौम्या के 33 बिल्लियों के कुनबे में अलग-अलग प्रजातियां की बिल्ली शामिल हैं, जिसमें से कई विदेशी ब्रीड की हैं. 33 बिल्लियां पालने के इस अनोखे शौक के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.
एक बिल्ली की मौत के बाद उठाया ये कदम
छतरपुर के फौलादी कलम मार्ग की रहने वाली सौम्या सोनी फिलहाल इंदौर में पढ़ाई कर रही हैं. सौम्या अपने इस शौक को लेकर बताती हैं कि वो जब सातवीं क्लास में थीं, तो उन्होंने घर पर एक बिल्ली पाली और उसका काफी ध्यान रखा. लेकिन किसी कारणवश एक साल में ही उसकी मौत हो गई और सौम्या को इससे गहरा सदमा पहुंचा. सौम्या को बिल्ली से काफी लगाव था और अपनी बेटी को गमगीन देखकर परिवार ने उन्हें और बिल्ली पालने की सलाह दी. इसके बाद सौम्य फिर अपने घर दूसरी बिल्ली ले आईं. सौम्या एक-एक करके अलग-अलग प्रजातियों की बिल्लियां पालने लगीं और उनका कुनबा बढ़ता चला गया.
इंदौर साथ लेकर गईं कुछ बिल्लियां
सौम्या सोनी फिलहाल इंदौर में अपनी पढ़ाई कर रही हैं. जब उन्हों घर छोड़कर पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ा तो वे अपने साथ कुछ बिल्लियां इंदौर भी ले गईं. पिछले 9 साल से बिल्ली पालने के शौक के कारण उनके घर पर बिल्लियों की संख्या 33 पहुंच चुकी है. सौम्या कहती हैं कि लोग बिल्लियों को लेकर तरह-तरह के अपशकुन मानते हैं लेकिन बिल्लियां मेरे लिए काफी लकी हैं. उनका कहना है कि बिल्लियों की खासियत ये है कि उनकी देखभाल दूसरे पालतू जानवरों की तरह ज्यादा नहीं करनी होती. डॉग पालने में जो खर्चा होता है, बिल्ली पालने में उससे कम खर्च होता है.
बिल्लियों के हावभाव से समझ जाती हैं हर बात
सौम्या सोनी कहती हैं, '' कोई भी जानवर हो, भले हम उसकी और वो हमारी भाषा नहीं समझ पाता हो लेकिन प्यार की भाषा हर कोई जानता है. मुझे पिछले 9 साल में इतना अनुभव हो गया है कि बिल्लियों की हरकत और इशारे से उनकी परेशानी और जरूरत समझ जाती हूं. सौम्या का कहना है कि जानवरों को उनकी चाल ढाल और बर्ताव से समझा जा सकता है.
Read more - इस नस्ल के कुत्तों पर कभी न करें भरोसा, पार्क में पांच साल की बच्ची को नोचकर किया लहूलुहान |
स्कूटी में रहती है जानवरों की फर्स्ट ऐड किट
सौम्या सिर्फ बिल्ली ही नहीं, बल्कि दूसरे जानवरों से भी काफी लगाव रखती है. उनकी स्कूटी में एक फर्स्ट ऐड बाॅक्स हमेशा रहता है, जिसमें जानवरों की दवाएं रखी रहती हैं. उन्हें रास्ते में कहीं कोई जानवर घायल या बीमार अवस्था में नजर आता है तो वे उसका खुद इलाज करती हैं. और अगर उनके इलाज से ठीक नहीं होता है, तो फिर पशु चिकित्सक के पास ले जाती हैं.