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छगन भुजबल के बयान ने बढ़ाई BJP की टेंशन, शिंदे ग्रुप ने कहा-बयान से सहमत नहीं - Lok Sabha election 2024

chhagan bhujbals statement : लोकसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे से जुड़ा सनसनीखेज बयान देकर कई लोगों की भौंहें चढ़ा दी हैं. भुजबल का बयान महायुति के लिए खतरनाक हो सकता है, वहीं यह भी कहा जा रहा है कि यह उनकी निजी राय है. जानिए क्या है पूरा मामला.

chhagan bhujbals statement
भुजबल ने बढ़ाई टेंशन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 29, 2024, 7:40 PM IST

मुंबई : अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल से एक पत्रकार ने पूछा कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं? भुजबल ने कहा कि 'पार्टी में फूट के कारण दोनों के प्रति सहानुभूति की लहर है, लेकिन किसी भी स्थिति में लोगों को मोदी पर भरोसा है और मोदी सरकार बनाएंगे.'

उन्होंने कहा कि 'राहुल गांधी कह रहे हैं कि अगर एनडीए को बहुमत मिला तो देश का संविधान बदल दिया जाएगा.' कर्नाटक से बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े के संविधान बदलन से जुड़े बयान पर भुजबल ने कहा 'विपक्ष की ओर से इस पर जोर-शोर से प्रचार चल रहा है. लोगों को भी यह लगता है कि मोदी 400 पार की जो बात कर रहे हैं वह संविधान बदलने की है. लेकिन मोदी जी बार-बार कह रहे हैं कि संविधान को खुद बाबा साहब अंबेडकर भी नहीं बदल सकते.' छगन भुजबल ने कहा कि 'लेकिन लोगों के बीच इस तरह का प्रचार चल रहा है और इसका असर मतपेटियां खुलने के बाद ही पता चलेगा.'

बारामती में पवार परिवार में सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच लड़ाई के बारे में बात करते हुए भुजबल ने कहा 'यह बहुत दुखद है. इतने सालों तक एक ही परिवार में रहने के बाद जो यह शुरू हुआ, वह उनके और लोगों के लिए उचित नहीं है. इसमें गलती किसकी है, यह बात अप्रासंगिक है. लेकिन ऐसा न होता तो बेहतर होता.'

शिंदे ग्रुप ने ये कहा : वहीं भुजबल के बयान को लेकर एकनाथ शिंदे ग्रुप के प्रवक्ता एडवोकेट वैजनाथ वाघमारे ने कहा 'महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी के कार्यकर्ता बहुत बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं. शिवसेना (शिंदे ग्रुप) एनसीपी (अजित पवार ग्रुप) ने राज्य की कई जातियों और जनजातियों तक पहुंच बनाई है जो वंचित थे. लोकसभा के लिए चुनाव लड़ रहे महायुति उम्मीदवार भारी बहुमत से चुने जाएंगे. ग्रामीण इलाकों में भी महायुति के नेता, कार्यकर्ता बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं. इसलिए आने वाले दिनों में महायुति बिना किसी चमत्कार के आएगी.

उन्होंने कहा कि 'विपक्ष अगले 25 साल तक सत्ता में नहीं आ सकता. उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधने के अलावा कोई काम नहीं बचा है. इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें सहानुभूति मिलेगी. काम के माध्यम से सहानुभूति प्राप्त करें. अब यह नया महाराष्ट्र है. यह महाराष्ट्र ही है जो नई अवधारणा के नए राजनीतिक समीकरण बनाता है.'

वाघमारे ने कहा, 'जब नए महाराष्ट्र में नई अवधारणा से राजनीतिक समीकरण बनते हैं, तो लोग काम करने वाले व्यक्ति को अपने दिमाग में रखते हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी महायुति में काम कर रही है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार महायुति में काम कर रहे हैं. इन सभी का काम संगठन का है और संगठन हर जगह पहुंच रहा है. इसलिए मैं छगन भुजबल की सोच से सहमत नहीं हूं.'

राजनीतिक विश्लेषक ने ये कहा : भुजबल के सहानुभूति वाले बयान पर बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक जयंत मैनकर ने कहा कि 'छगन भुजबल ने इस वक्त जो बयान दिया है, वह सच्चाई पर आधारित है. भले ही विभाजन के बाद शिवसेना और एनसीपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अलग हो गए हों, लेकिन कार्यकर्ता अभी भी बड़े पैमाने पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ हैं.'

उन्होंने कहा कि 'मौजूदा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी जिस तरह से शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट के साथ व्यवहार कर रही है, उससे न केवल कार्यकर्ता बल्कि नेता भी नाराज हैं. लेकिन वे सब चुप हैं.'

कई राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले दो चरण के मतदान में राज्य में महाविकास अघाड़ी की ताकत देखने को मिल चुकी है. इसी वजह से महायुति के नेता डरे हुए हैं. इसीलिए छगन भुजबल का बयान यथार्थवादी है और भले ही महायुति के नेता इसे नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इस तथ्य को कोई नहीं बदल सकता. जयंत मैनकर ने भी ये कहा है कि इसका जवाब 4 जून को नतीजे के दिन देखने को मिलेगा.

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उन्होंने कहा कि 'राहुल गांधी कह रहे हैं कि अगर एनडीए को बहुमत मिला तो देश का संविधान बदल दिया जाएगा.' कर्नाटक से बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगड़े के संविधान बदलन से जुड़े बयान पर भुजबल ने कहा 'विपक्ष की ओर से इस पर जोर-शोर से प्रचार चल रहा है. लोगों को भी यह लगता है कि मोदी 400 पार की जो बात कर रहे हैं वह संविधान बदलने की है. लेकिन मोदी जी बार-बार कह रहे हैं कि संविधान को खुद बाबा साहब अंबेडकर भी नहीं बदल सकते.' छगन भुजबल ने कहा कि 'लेकिन लोगों के बीच इस तरह का प्रचार चल रहा है और इसका असर मतपेटियां खुलने के बाद ही पता चलेगा.'

बारामती में पवार परिवार में सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार के बीच लड़ाई के बारे में बात करते हुए भुजबल ने कहा 'यह बहुत दुखद है. इतने सालों तक एक ही परिवार में रहने के बाद जो यह शुरू हुआ, वह उनके और लोगों के लिए उचित नहीं है. इसमें गलती किसकी है, यह बात अप्रासंगिक है. लेकिन ऐसा न होता तो बेहतर होता.'

शिंदे ग्रुप ने ये कहा : वहीं भुजबल के बयान को लेकर एकनाथ शिंदे ग्रुप के प्रवक्ता एडवोकेट वैजनाथ वाघमारे ने कहा 'महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी के कार्यकर्ता बहुत बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं. शिवसेना (शिंदे ग्रुप) एनसीपी (अजित पवार ग्रुप) ने राज्य की कई जातियों और जनजातियों तक पहुंच बनाई है जो वंचित थे. लोकसभा के लिए चुनाव लड़ रहे महायुति उम्मीदवार भारी बहुमत से चुने जाएंगे. ग्रामीण इलाकों में भी महायुति के नेता, कार्यकर्ता बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं. इसलिए आने वाले दिनों में महायुति बिना किसी चमत्कार के आएगी.

उन्होंने कहा कि 'विपक्ष अगले 25 साल तक सत्ता में नहीं आ सकता. उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधने के अलावा कोई काम नहीं बचा है. इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें सहानुभूति मिलेगी. काम के माध्यम से सहानुभूति प्राप्त करें. अब यह नया महाराष्ट्र है. यह महाराष्ट्र ही है जो नई अवधारणा के नए राजनीतिक समीकरण बनाता है.'

वाघमारे ने कहा, 'जब नए महाराष्ट्र में नई अवधारणा से राजनीतिक समीकरण बनते हैं, तो लोग काम करने वाले व्यक्ति को अपने दिमाग में रखते हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी महायुति में काम कर रही है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार महायुति में काम कर रहे हैं. इन सभी का काम संगठन का है और संगठन हर जगह पहुंच रहा है. इसलिए मैं छगन भुजबल की सोच से सहमत नहीं हूं.'

राजनीतिक विश्लेषक ने ये कहा : भुजबल के सहानुभूति वाले बयान पर बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक जयंत मैनकर ने कहा कि 'छगन भुजबल ने इस वक्त जो बयान दिया है, वह सच्चाई पर आधारित है. भले ही विभाजन के बाद शिवसेना और एनसीपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अलग हो गए हों, लेकिन कार्यकर्ता अभी भी बड़े पैमाने पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के साथ हैं.'

उन्होंने कहा कि 'मौजूदा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी जिस तरह से शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट के साथ व्यवहार कर रही है, उससे न केवल कार्यकर्ता बल्कि नेता भी नाराज हैं. लेकिन वे सब चुप हैं.'

कई राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि लोकसभा चुनाव के लिए पहले दो चरण के मतदान में राज्य में महाविकास अघाड़ी की ताकत देखने को मिल चुकी है. इसी वजह से महायुति के नेता डरे हुए हैं. इसीलिए छगन भुजबल का बयान यथार्थवादी है और भले ही महायुति के नेता इसे नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन इस तथ्य को कोई नहीं बदल सकता. जयंत मैनकर ने भी ये कहा है कि इसका जवाब 4 जून को नतीजे के दिन देखने को मिलेगा.

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