रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ओडिशा के पुरी से भगवान जगन्नाथ मंदिर के रथ का चक्का पहुंचा है. रविवार 11 फरवरी से इस रथ के चक्के का दर्शन आम श्रद्धालु कर सकेंगे. रविवार को रायपुर के गायत्री मंदिर स्थित जगन्नाथ मंदिर मंदिर से जिस रथ को दर्शन के लिए रवाना करने की तैयारी की गई है उसमे इस चक्के को लगाया गया है. यह रथ रायपुर के कलेक्टोरेट, सीएम निवास, राजभवन होते हुए रायपुर के कई इलाकों का भ्रमण करेगा. कुल 21 दिनों तक रथ के चक्के का दर्शन और पूजा पाठ श्रद्धालु कर सकेंगे.
पुरी जगन्नाथ धाम का रथ बेहद पावन: रायपुर जगन्नाथ मंदिर के पुजारी पंडित पुरंदर मिश्रा ने बताया कि "पुरी धाम के रथ का पहिया काफी पवित्र माना जाता है. यही वजह है कि लोग इसकी पूजा अर्चना को जुटते हैं. 11 फरवरी को सुबह 11 बजे से श्रद्धालु इस रथ के चक्के का दर्शन कर सकेंगे. श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए लगातार 21 दिनों तक पुरी धाम के रथ के चक्के का दर्शन भक्त कर सकेंगे. इस तरह पूजा पाठ करने से लोगों में जगन्नाथपुरी में निकलने वाले रथ यात्रा के भाव जागृत होंगे"
"भगवान जगन्नाथ जी के रथ को नदी घोष कहा जाता है. बलभद्र जी के रथ को तलध्वज कहते हैं और सुभद्रा जी के रथ को दर्पदलन कहा जाता है. प्रभु जगन्नाथ जी के रथ में 16 चक्के होते हैं. भगवान बलभद्र जी के रथ में 14 चक्के होते हैं और सुभद्रा जी के रथ में 12 चक्के होते हैं. भगवान जगन्नाथ जी के रथ की ऊंचाई 44.2 फीट और बलभद्र जी के रथ की ऊंचाई 43.3 फीट है. देवी सुभद्रा जी की रथ की ऊंचाई 42.3 फीट होती है. " पुरंदर मिश्रा,: रायपुर जगन्नाथ मंदिर के पुजारी
पंडित पुरंदर मिश्रा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ का कलर अलग अलग होता है. प्रभु जगन्नाथ जी के रथ का रंग लाल और पीला होता है. भगवान बलभद्र जी के रथ का रंग लाल हरा और नीला होता है. माता सुभद्रा जी के रथ का रंग काला होता है. हिंदू शास्त्रों में यह रथ शुभ और पवित्र माना जाता है. यही वजह है कि श्रद्धालु इसके दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं.