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असम का 'मोइदम' यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल - CHARAIDEO MOIDAM

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 8:04 PM IST

UNESCO World Heritage Site, असम में चराईदेव मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है. इस पर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने बधाई दी है. बता दें कि ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था. पढ़िए पूरी खबर...

Charaideo Moidam In Assam
असम में चराईदेव मोइदम (ETV Bharat)

गुवाहाटी : असम में अहोम वंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीलेनुमा ढांचे में दफनाने की व्यवस्था 'मोइदम' को शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. इसी के साथ 'मोइदम' इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई है. यह निर्णय नई दिल्ली में 21 जुलाई से आयोजित विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र में लिया गया. पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रसन्नता व्यक्त की है.

बता दें कि ऐतिहासिक चराईदेव मोइदम, अहोम राजवंश की पहाड़ी दफन प्रणाली, जो अहोम शासन के 600 साल के स्वर्णिम इतिहास को समेटे हुए है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है, अहोम राजवंश के पवित्र दफन स्थलों, स्मारकों को शामिल करने का निर्णय, जो अहोम साम्राज्य और उनके गौरव की कहानी बताते हैं.

भारत ने 2023-24 के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए देश की ओर से नामांकन के रूप में 'मोइदम' का नाम दिया था. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है कि 'मोइदम' ने डब्ल्यूएचसी सूची में जगह बनाई है. उन्होंने कहा कि चराई देव स्थित मोइदम उस गौरवशाली अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं, जो अपने पूर्वजों के प्रति अपार श्रद्धा रखती है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि महान अहोम शासन और संस्कृति के बारे में और अधिक लोग जान सकेंगे. मुझे खुशी है कि मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है.

वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐतिहासिक मोइदम को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने एक्स पर लिखा कि मोइदम को सांस्कृतिक संपत्ति श्रेणी के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया यह असम के लिए एक बड़ी जीत है. उन्होंने पीएम मोदी के अलावा यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के सदस्यों और असम के लोगों को धन्यवाद दिया.

fasfd
fasdf (afda)

मोइदम के नामांकन को बिना किसी रुकावट के यूनेस्को में स्वीकार किए जाने के तुरंत बाद ऐतिहासिक चराईदेव मोइदम के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल होने की राह को बहुत बढ़ावा मिला. चराईदेव मोइदम 2023 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा भेजा गया एकमात्र नामांकन है.

केंद्र सरकार द्वारा चराईदेव मोइदम का नाम यूनेस्को को भेजे जाने के बाद, जो 2014 में विश्व धरोहर स्थलों की प्रारंभिक सूची में जगह बनाने में सक्षम था, केंद्रीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक और यूनेस्को के प्रतिनिधियों ने कई बार चराईदेव मोइदम का दौरा किया. खास बात यह है कि यूनेस्को विश्व धरोहर समिति का 46वां सम्मेलन 21 जुलाई से 31 जुलाई तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया है. सम्मेलन में विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकन भेजने वाले स्थानों पर चर्चा की जाएगी.

'Moidams' stand for tombs
मोइदम का अर्थ है कब्रें (ETV Bharat)

गौरतलब है कि मोइदम पिरामिड सरीखी अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं, जिनका इस्तेमाल ताई-अहोम वंश द्वारा अपने राजवंश के सदस्यों को उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था. इसके अलावा ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था. यूनेस्को की वेबसाइट के मुताबिक मोइदम गुंबददार कक्ष (चाव-चाली) हैं, जो आम तौर पर दो मंजिला हैं और इनमें प्रवेश के लिए एक धनुषाकार मार्ग होता है. साथ ही अर्धगोलाकार मिट्टी के टीलों के ऊपर ईंटों और मिट्टी की परतें बिछाई जाती हैं.

ये भी पढ़ें - छत्रपति शिवाजी के किलों को UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव

गुवाहाटी : असम में अहोम वंश के सदस्यों को उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ टीलेनुमा ढांचे में दफनाने की व्यवस्था 'मोइदम' को शुक्रवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. इसी के साथ 'मोइदम' इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर भारत की पहली सांस्कृतिक संपत्ति बन गई है. यह निर्णय नई दिल्ली में 21 जुलाई से आयोजित विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 46वें सत्र में लिया गया. पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रसन्नता व्यक्त की है.

बता दें कि ऐतिहासिक चराईदेव मोइदम, अहोम राजवंश की पहाड़ी दफन प्रणाली, जो अहोम शासन के 600 साल के स्वर्णिम इतिहास को समेटे हुए है, को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है, अहोम राजवंश के पवित्र दफन स्थलों, स्मारकों को शामिल करने का निर्णय, जो अहोम साम्राज्य और उनके गौरव की कहानी बताते हैं.

भारत ने 2023-24 के लिए यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए देश की ओर से नामांकन के रूप में 'मोइदम' का नाम दिया था. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह भारत के लिए बेहद खुशी और गर्व की बात है कि 'मोइदम' ने डब्ल्यूएचसी सूची में जगह बनाई है. उन्होंने कहा कि चराई देव स्थित मोइदम उस गौरवशाली अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं, जो अपने पूर्वजों के प्रति अपार श्रद्धा रखती है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि महान अहोम शासन और संस्कृति के बारे में और अधिक लोग जान सकेंगे. मुझे खुशी है कि मोइदम को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है.

वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ऐतिहासिक मोइदम को विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल करने के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने एक्स पर लिखा कि मोइदम को सांस्कृतिक संपत्ति श्रेणी के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया यह असम के लिए एक बड़ी जीत है. उन्होंने पीएम मोदी के अलावा यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के सदस्यों और असम के लोगों को धन्यवाद दिया.

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fasdf (afda)

मोइदम के नामांकन को बिना किसी रुकावट के यूनेस्को में स्वीकार किए जाने के तुरंत बाद ऐतिहासिक चराईदेव मोइदम के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल होने की राह को बहुत बढ़ावा मिला. चराईदेव मोइदम 2023 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा भेजा गया एकमात्र नामांकन है.

केंद्र सरकार द्वारा चराईदेव मोइदम का नाम यूनेस्को को भेजे जाने के बाद, जो 2014 में विश्व धरोहर स्थलों की प्रारंभिक सूची में जगह बनाने में सक्षम था, केंद्रीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक और यूनेस्को के प्रतिनिधियों ने कई बार चराईदेव मोइदम का दौरा किया. खास बात यह है कि यूनेस्को विश्व धरोहर समिति का 46वां सम्मेलन 21 जुलाई से 31 जुलाई तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया है. सम्मेलन में विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकन भेजने वाले स्थानों पर चर्चा की जाएगी.

'Moidams' stand for tombs
मोइदम का अर्थ है कब्रें (ETV Bharat)

गौरतलब है कि मोइदम पिरामिड सरीखी अनूठी टीलेनुमा संरचनाएं हैं, जिनका इस्तेमाल ताई-अहोम वंश द्वारा अपने राजवंश के सदस्यों को उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ दफनाने के लिए किया जाता था. इसके अलावा ताई-अहोम राजवंश ने असम पर लगभग 600 साल तक शासन किया था. यूनेस्को की वेबसाइट के मुताबिक मोइदम गुंबददार कक्ष (चाव-चाली) हैं, जो आम तौर पर दो मंजिला हैं और इनमें प्रवेश के लिए एक धनुषाकार मार्ग होता है. साथ ही अर्धगोलाकार मिट्टी के टीलों के ऊपर ईंटों और मिट्टी की परतें बिछाई जाती हैं.

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