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चरित्र प्रमाण पत्र! नक्सल इलाके में युवाओं को कर रहा अपराध से दूर, प्राइवेट सेक्टर में भी हो रहा पुलिस वेरिफिकेशन - CHARACTER CERTIFICATE

Police verification effective in Palamu.लोगों को मुख्य धारा से जोड़े रखने में चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन कारगर साबित हो रहा है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 11, 2024, 7:35 PM IST

पलामूः चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन नक्सल इलाके में बदलाव ला रहा है. नक्सल प्रभावित इलाकों में अब लोग नक्सल और आपराधिक गतिविधि से दूर हो रहे हैं. नक्सल इलाकों में ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़े रखना एक बड़ी चुनौती रही है. इस चुनौती से निपटने में चरित्र प्रमाण पत्र एवं पुलिस वेरिफिकेशन कारगर साबित हो रहा है.

बता दें कि पहले सिर्फ सरकारी नौकरियों में ही चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्राइवेट सेक्टर में भी चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की शुरुआत हुई है. पलायन करने वाले मजदूरों का भी विभिन्न कंपनियों के द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जा रहा है. जिन शहरों में मजदूर और ग्रामीण नौकरी के लिए जाते हैं वहां भी मकान मालिक उनका पुलिस वेरिफिकेशन करवाते हैं.

बयान देतीं पलामू एसपी रीष्मा रमेशन. (वीडियो-ईटीवी भारत)

एक वर्ष में 6500 लोगों ने बनवाया चरित्र प्रमाण पत्र

पलामू देश के अतिनक्सल प्रभावित जिलों में से एक है. हालांकि हाल के दिनों में इलाके में नक्सल हिंसा में कमी आई है. पलामू की एक बड़ी आबादी नौकरी के लिए बड़े शहरों का रूख करती है. कोविड-19 काल में 53000 प्रवासी मजदूर के आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया था. कोरोना काल से पहले पलामू में नौकरी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या 2500 के करीब थी, जबकि पुलिस वेरिफिकेशन 200 से भी कम था.

2024 में 10 दिसंबर तक पलामू में 6501 व्यक्तियों ने चरित्र प्रमाण पत्र बनवाया है. वहीं 2300 के करीब लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है. दक्षिण और उत्तर भारत की कंपनियों ने सबसे अधिक वेरिफिकेशन के लिए पलामू पुलिस को पत्र लिखा है.

अपराध की दुनिया से लोग खुद कर रहे अलग

चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन को पलामू पुलिस महत्वपूर्ण मान रही है. पलामू पुलिस का मानना है कि चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की वजह से लोग सावधान हो रहे हैं और अपराध की दुनिया से खुद को अलग कर रहे हैं.

इस संबंध में पलामू एसपी रीष्मा रमेशन बताती हैं कि पहले ऐसा नहीं था. बेहद ही कम पुलिस वेरिफिकेशन होती थी. लेकिन हाल के दिनों में बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा समेत कई इलाकों से पुलिस वेरिफिकेशन के लिए कागजात पहुंच रहे हैं. एसपी बताती हैं कि लोगों में जागरुकता बढ़ी है और लोग सावधान हो रहे हैं. लोगों को यह समझ आने लगी है कि आपराधिक और नक्सली गतिविधि में शामिल रहने के बाद नौकरी नहीं मिलेगी. यही वजह है कि लोग धीरे-धीरे नक्सली और आपराधिक गतिविधि से दूर हुए हैं.

ग्रामीण इलाकों में घटी है नक्सल समर्थकों की संख्या

पिछले कुछ वर्षों में पलामू के इलाके में नक्सल गतिविधि में बड़े पैमाने पर कमी आई है. नक्सली समर्थकों की संख्या भी लगातार घट रही है. 2016-17 तक पलामू में 59 इनामी नक्सली हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर दो रह गई है. पलामू के कई ऐसे गांव थे जहां पुलिस ने 12 से 15 लोगों को नक्सल समर्थकों के रूप में चिन्हित किया था, लेकिन अब इन गांव में कोई भी नक्सल समर्थक नहीं बचा है. पिछले दो वर्षों में नक्सली घटनाओं को लेकर पलामू में 13 एफआईआर दर्ज हुई है. जबकि 2020-21 तक यह आंकड़ा 60 से 70 हुआ करता था.

इस संबंध में नक्सल मामलों के जानकार सुरेंद्र यादव बताते हैं कि पूर्व में नक्सली घटना को अंजाम देने के लिए स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लेते थे. ग्रामीण अतिउत्साह या विभिन्न कारणों से नक्सलियों का सहयोग करते थे. बाद में उन्हें मुकदमों का सामना करना पड़ता था. कई मौके पर नौकरी के लिए ऐसे युवाओं का प्रमाण पत्र नहीं बन पाता था.

कैसे बनता है चरित्र प्रमाण पत्र

नौकरी और शैक्षणिक कार्य के लिए चरित्र प्रमाण पत्र पुलिस के द्वारा बनाया जाता है. संबंधित व्यक्ति आवेदन पर सबसे पहले अपने क्षेत्र के वार्ड आयुक्त या पंचायत जनप्रतिनिधि एवं चौकीदार से चरित्र प्रमाण पत्र के लिए अनुमोदन करवाता है. व्यक्ति आवेदन को एसपी के कार्यालय में जमा करता है. बाद में एसपी कार्यालय के द्वारा आवेदक को संबंधित व्यक्ति के थाना में भेजा जाता है.

थाना में सीसीटीएनएस के द्वारा संबंधित व्यक्ति का वेरिफिकेशन किया जाता है कि उससे संबंधित किसी प्रकार का मुकदमा तो दर्ज नहीं है. थाना में पुलिस अधिकारी द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद आवेदन वापस एसपी कार्यालय लौटता है. जहां एसपी या उनके नोडल अधिकारी के हस्ताक्षर से चरित्र प्रमाण पत्र जारी होता है. अगर किसी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होता है तो उसके आवेदन पर पूरी जानकारी लिख दी जाती है. ठेकेदारी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र डीसी कार्यालय से बनाया जाता है. इसके लिए भी पुलिस वेरिफिकेशन करवाई जाती है.

कैसे होता है पुलिस वेरिफिकेशन

वहीं अगर कोई व्यक्ति बाहर के शहर में नौकरी करने जाता है तो वहां की कंपनी पुलिस को एक पत्र लिखती है और संबंधित व्यक्ति के बारे में जानकारी मांगती है. कंपनी यह जानकारी मांगती है कि नौकरी करने वाला व्यक्ति पर किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज है या नहीं . सरकारी नौकरी के मामले में भी पुलिस वेरिफिकेशन होती है. मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है.

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पलामूः चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन नक्सल इलाके में बदलाव ला रहा है. नक्सल प्रभावित इलाकों में अब लोग नक्सल और आपराधिक गतिविधि से दूर हो रहे हैं. नक्सल इलाकों में ग्रामीणों को मुख्यधारा में जोड़े रखना एक बड़ी चुनौती रही है. इस चुनौती से निपटने में चरित्र प्रमाण पत्र एवं पुलिस वेरिफिकेशन कारगर साबित हो रहा है.

बता दें कि पहले सिर्फ सरकारी नौकरियों में ही चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्राइवेट सेक्टर में भी चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की शुरुआत हुई है. पलायन करने वाले मजदूरों का भी विभिन्न कंपनियों के द्वारा पुलिस वेरिफिकेशन करवाया जा रहा है. जिन शहरों में मजदूर और ग्रामीण नौकरी के लिए जाते हैं वहां भी मकान मालिक उनका पुलिस वेरिफिकेशन करवाते हैं.

बयान देतीं पलामू एसपी रीष्मा रमेशन. (वीडियो-ईटीवी भारत)

एक वर्ष में 6500 लोगों ने बनवाया चरित्र प्रमाण पत्र

पलामू देश के अतिनक्सल प्रभावित जिलों में से एक है. हालांकि हाल के दिनों में इलाके में नक्सल हिंसा में कमी आई है. पलामू की एक बड़ी आबादी नौकरी के लिए बड़े शहरों का रूख करती है. कोविड-19 काल में 53000 प्रवासी मजदूर के आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया था. कोरोना काल से पहले पलामू में नौकरी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या 2500 के करीब थी, जबकि पुलिस वेरिफिकेशन 200 से भी कम था.

2024 में 10 दिसंबर तक पलामू में 6501 व्यक्तियों ने चरित्र प्रमाण पत्र बनवाया है. वहीं 2300 के करीब लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है. दक्षिण और उत्तर भारत की कंपनियों ने सबसे अधिक वेरिफिकेशन के लिए पलामू पुलिस को पत्र लिखा है.

अपराध की दुनिया से लोग खुद कर रहे अलग

चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन को पलामू पुलिस महत्वपूर्ण मान रही है. पलामू पुलिस का मानना है कि चरित्र प्रमाण पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन की वजह से लोग सावधान हो रहे हैं और अपराध की दुनिया से खुद को अलग कर रहे हैं.

इस संबंध में पलामू एसपी रीष्मा रमेशन बताती हैं कि पहले ऐसा नहीं था. बेहद ही कम पुलिस वेरिफिकेशन होती थी. लेकिन हाल के दिनों में बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा समेत कई इलाकों से पुलिस वेरिफिकेशन के लिए कागजात पहुंच रहे हैं. एसपी बताती हैं कि लोगों में जागरुकता बढ़ी है और लोग सावधान हो रहे हैं. लोगों को यह समझ आने लगी है कि आपराधिक और नक्सली गतिविधि में शामिल रहने के बाद नौकरी नहीं मिलेगी. यही वजह है कि लोग धीरे-धीरे नक्सली और आपराधिक गतिविधि से दूर हुए हैं.

ग्रामीण इलाकों में घटी है नक्सल समर्थकों की संख्या

पिछले कुछ वर्षों में पलामू के इलाके में नक्सल गतिविधि में बड़े पैमाने पर कमी आई है. नक्सली समर्थकों की संख्या भी लगातार घट रही है. 2016-17 तक पलामू में 59 इनामी नक्सली हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर दो रह गई है. पलामू के कई ऐसे गांव थे जहां पुलिस ने 12 से 15 लोगों को नक्सल समर्थकों के रूप में चिन्हित किया था, लेकिन अब इन गांव में कोई भी नक्सल समर्थक नहीं बचा है. पिछले दो वर्षों में नक्सली घटनाओं को लेकर पलामू में 13 एफआईआर दर्ज हुई है. जबकि 2020-21 तक यह आंकड़ा 60 से 70 हुआ करता था.

इस संबंध में नक्सल मामलों के जानकार सुरेंद्र यादव बताते हैं कि पूर्व में नक्सली घटना को अंजाम देने के लिए स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लेते थे. ग्रामीण अतिउत्साह या विभिन्न कारणों से नक्सलियों का सहयोग करते थे. बाद में उन्हें मुकदमों का सामना करना पड़ता था. कई मौके पर नौकरी के लिए ऐसे युवाओं का प्रमाण पत्र नहीं बन पाता था.

कैसे बनता है चरित्र प्रमाण पत्र

नौकरी और शैक्षणिक कार्य के लिए चरित्र प्रमाण पत्र पुलिस के द्वारा बनाया जाता है. संबंधित व्यक्ति आवेदन पर सबसे पहले अपने क्षेत्र के वार्ड आयुक्त या पंचायत जनप्रतिनिधि एवं चौकीदार से चरित्र प्रमाण पत्र के लिए अनुमोदन करवाता है. व्यक्ति आवेदन को एसपी के कार्यालय में जमा करता है. बाद में एसपी कार्यालय के द्वारा आवेदक को संबंधित व्यक्ति के थाना में भेजा जाता है.

थाना में सीसीटीएनएस के द्वारा संबंधित व्यक्ति का वेरिफिकेशन किया जाता है कि उससे संबंधित किसी प्रकार का मुकदमा तो दर्ज नहीं है. थाना में पुलिस अधिकारी द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद आवेदन वापस एसपी कार्यालय लौटता है. जहां एसपी या उनके नोडल अधिकारी के हस्ताक्षर से चरित्र प्रमाण पत्र जारी होता है. अगर किसी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होता है तो उसके आवेदन पर पूरी जानकारी लिख दी जाती है. ठेकेदारी के लिए चरित्र प्रमाण पत्र डीसी कार्यालय से बनाया जाता है. इसके लिए भी पुलिस वेरिफिकेशन करवाई जाती है.

कैसे होता है पुलिस वेरिफिकेशन

वहीं अगर कोई व्यक्ति बाहर के शहर में नौकरी करने जाता है तो वहां की कंपनी पुलिस को एक पत्र लिखती है और संबंधित व्यक्ति के बारे में जानकारी मांगती है. कंपनी यह जानकारी मांगती है कि नौकरी करने वाला व्यक्ति पर किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज है या नहीं . सरकारी नौकरी के मामले में भी पुलिस वेरिफिकेशन होती है. मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति नौकरी के लिए अयोग्य माना जाता है.

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