शिमला: बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत को बीजेपी का टिकट मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट देश की सबसे हॉट सीटों में शुमार हो गई है. हिमाचल बीजेपी के तमाम नेता मंडी सीट पर कंगना की जीत के लिए हर कोशिश में जुटे हुए हैं. हालांकि अब तक कांग्रेस ने मंडी सीट पर अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. लेकिन जानकारों की मानें तो मंडी सीट पर बहुत ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है.
मंडी में 'रानी' vs 'क्वीन' !
मंडी जिला का भांबला गांव कंगना का पैतृक गांव है और मनाली में भी उनका घर है. फिल्मी पर्दे की 'क्वीन' किसी पहचान की मोहताज नहीं है. कंगना लंबे वक्त से मोदी सरकार, बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा की समर्थक भी रही हैं. ऐसे में बीजेपी ने उनके नेम और फेम को भुनाने के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया है. बीजेपी ने हिमाचल की सभी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस अभी तक खाली 'हाथ' है. ऐसे में मंडी के रण में कंगना के खिलाफ कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा ये अभी तक साफ नहीं है.
वैसे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और मंडी से मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह कांग्रेस का चेहरा हो सकती हैं. प्रतिभा सिंह भले चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी हैं. लेकिन वो खुद कह चुकी हैं कि आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान लेगा और उनकी गेंद अब दिल्ली के पाले में है. ऐसे में ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व के आदेश पर मंडी से एक बार फिर उम्मीदवारी प्रतिभा सिंह को मिल सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो मंडी में मुकाबला 'रानी' बनाम 'क्वीन' हो सकता है.
कौन हैं प्रतिभा सिंह ?
प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं. वीरभद्र सिंह हिमाचल की बुशहर रियासत के राजा थे. हिमाचल की जनता उन्हें राजा वीरभद्र के नाम से जानती थी और प्रतिभा सिंह को रानी कहा जाता हैं. वीरभद्र सिंह भी 3 बार मंडी से सांसद रहे और प्रतिभा सिंह भी तीसरी बार सांसद हैं. वो 2004 लोकसभा चुनाव के अलावा 2013 और 2021 में हुए उपचुनाव में जीतकर संसद पहुंची थी.
दरअसल 2021 में मंडी से बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा का निधन होने के बाद उपचुनाव हुआ था. 8 जुलाई 2021 को वीरभद्र सिंह का भी निधन हुआ था. जिसके बाद कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को उपचुनाव में उतारा और उनकी जीत के साथ ही हिमाचल में पिछले दो लोकसभा चुनाव के दौरान पहली सीट जीती थी. हिमाचल में कुल 4 लोकसभा सीटें हैं. 2014 और 2019 में चारों सीटें बीजेपी ने जीती थीं. उपचुनाव में जीत के बाद प्रतिभा सिंह को हिमाचल में संगठन की कमान भी सौंपी गई थी. वो वर्तमान में भी प्रदेश अध्यक्ष हैं. प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं.
प्रतिभा सिंह का मजबूत और पक्ष
वीरभद्र सिंह हिमाचल की राजनीति का सबसे बड़ा नाम कहे जा सकते हैं. 6 बार मुख्यमंत्री, 4 बार सांसद, राज्य से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री, नेता विपक्ष से लेकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रहे वीरभद्र सिंह का नाम, ख्याति और इमोशन प्रतिभा सिंह के साथ हैं. पार्टी और प्रतिभा सिंह इसे भुनाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं. सियासी इतिहास पर नजर डालें तो मंडी लोकसभा सीट पर ज्यादातर राजघराने का ही दबदबा रहा है. अब तक यहां 17 लोकसभा चुनाव के अलावा दो उपचुनाव हुए हैं. जिनमें से कुल 13 बार राज परिवार के चेहरे को जीत मिली हैं. ये ऐतिहासिक आंकड़े और वीरभद्र सिंह से जुड़ा इमोशन प्रतिभा सिंह के पक्ष में जाते हैं.
सियासी अनुभव के मामले में भी प्रतिभा सिंह का पलड़ा पहली बार चुनाव लड़ रही कंगना रनौत से बहुत भारी है. अगर प्रतिभा सिंह चुनाव लड़ती हैं तो उनके नाम पर किसी को आपत्ति भी नहीं होगी और कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के नेताओं की इसमें सर्वसम्मति से हामी होगी. प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते संगठन का पूरा समर्थन भी उनके साथ होगा.
पार्टी में लगभग हमेशा चलती अंतर्कलह और राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में हुई टूट का असर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी पड़ना लाजमी है. प्रतिभा सिंह खुद अपनी ही सरकार पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगा चुकी हैं. वो कह चुकी हैं कि कार्यकर्ता फील्ड में नहीं है और हताश, निराश है. इस अनदेखी को ही वो 6 विधायकों की बगावत और बीजेपी में शामिल होने को वजह मान चुकी हैं. जिसके बाद वो खुद भी चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी हैं. प्रतिभा सिंह 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी के आम कार्यकर्ता राम स्वरूप शर्मा से हार चुकी हैं. प्रदेश में 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की 4-0 की हार को भी पार्टी और प्रतिभा सिंह भुलाना चाहेंगी हालांकि दोनों के पास 2021 लोकसभा उपचुनाव की अच्छी याद भी है. जिसके सहारे प्रतिभा सिंह कॉन्फिडेंट होकर मैदान में उतर सकती हैं.
कंगना रनौत का मजबूत और कमजोर पक्ष
कंगना रनौत पहचान की मोहताज नहीं है. वो भले अपने बेबाक बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हों लेकिन फिल्मी पर्दे पर निभाए उनके किरदारों ने उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ाई है और इसे कोई नहीं नकार सकता. वैसे एक विवाद टिकट मिलते ही कंगना के साथ जुड़ गया था. लेकिन इस बार विवाद की वजह कंगना नहीं बल्कि कंगना पर दिया एक बयान था, जो कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिया और देशभर में बीजेपी को मानो हथियार मिल गया. बीजेपी ने इस मुद्दे को देशभर में भुनाने की कोशिश की है और चुनाव आते-आते इसकी गूंज और भी सुनाई दे सकती है. हिमाचल में बीजेपी ने इसे हिमाचल की बेटी और अस्मिता से जोड़कर मोर्चा खोल दिया है. जो कंगना रनौत के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
उधर विरोधी भी कांग्रेस के पुराने ट्वीट और विवाद खोदकर निकाल रहे हैं. जो कंगना के खिलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं. सियासत मंच पर कंगना का ये पहला टेस्ट है. वो खुद भी कह चुकी हैं कि नरेंद्र मोदी के नाम और उनके काम पर ही हम चुनाव लड़ रहे हैं. कंगना भले हिमाचल की हैं लेकिन सीधे चुनाव लड़ाने का फैसला कई भाजपाईयों को रास नहीं आ रहा है. खासकर टिकट का इंतजार कर रहे महेश्वर सिंह और ब्रिगेडियर खुशाल जैसे नेता और उनके कार्यकर्ता इस फैसले से नाराज हैं. महेश्वर सिंह भी राज घराने से ताल्लुक रखते हैं और 3 बार मंडी सीट से सांसदी का चुनाव जीत चुके हैं. करगिल वॉर हीरो के रूप में फेमस ब्रिगेडियर खुशाल को पार्टी ने 2021 में हुए मंडी लोकसभा उपचुनाव में टिकट दिया था. तब वो सिर्फ 6 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. पार्टी अपने हिसाब से नाराज नेताओं को मनाने में जुटी है. देखना होगा कि ये पहल कंगना और बीजेपी के लिए कितनी कारगर साबित होती है.
हिमाचल की सियासत पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक कृष्ण भानू कहते हैं कि बीजेपी ने कंगना को टिकट देकर मंडी सीट को VVIP बना दिया है. कंगना के नेम, फेम और भाजपा के प्रति रुझान को कोई नहीं नकार सकता. फिलहाल वो मजबूत उम्मीदवार नजर आ रही हैं ऐसे में कांग्रेस को उनकी टक्कर का उम्मीदवार ही मैदान में उतारना होगा. इस लिहाज से मंडी की मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह कांग्रेस के पास सबसे बड़ा चेहरा है. कांग्रेस आलाकमान भी इस बात को जानता है और वक्त के साथ-साथ प्रतिभा सिंह को चुनाव लड़ने के लिए मनाया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो मंडी का मुकाबला बहुत ही दिलचस्प हो जाएगा.
राजनीतिक मामलों के जानकार नरेंद्र शर्मा और हरी राम भी मानते हैं कि मंडी लोकसभा चुनाव कंगना की एट्री से दिलचस्प तो हुआ है लेकिन यहां उनकी राह आसान नहीं होगी. कंगना को टिकट देने से कई वरिष्ठ नेता भी नाराज हुए हैं और सबको मनाकर साथ लेकर चलना बीजेपी के लिए टेढी खीर साबित हो सकता है. ऐसे में अगर कांग्रेस प्रतिभा सिंह को उतारती है तो काफी फायदा होगा, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक अभी भी उनका साथ देने को तैयार होंगे और प्रतिभा सिंह पहले भी यहां से जीत हासिल कर चुकी हैं.
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