गांधीनगर: गुजरात का गौरव माने जाने वाले एशियाई शेर कई वर्षों से सौराष्ट्र क्षेत्र के गिर संरक्षित क्षेत्र में पल-बढ़ रहे हैं. इन शेरों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. गुजरात सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने गिर संरक्षित क्षेत्र के आसपास के 1.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) घोषित किया है.
राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री मुलुभाई बेरा का कहना है कि यह गुजरात के लिए गौरव की बात है. उन्होंने कहा कि गिर वन्यजीव अभ्यारण्य से इको-सेंसिटिव जोन की दूरी 2.78 किमी से 9.50 किमी तक होगी. वन एवं पर्यावरण मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एशियाई शेरों सहित अन्य जानवरों की सुरक्षा के लिए कई कानून लागू किए हैं. उन्होंने कहा कि नए ईएसजेड में 17 नदी गलियारे और 4 प्रमुख शेरों की आवाजाही वाले गलियारे शामिल होंगे, जिससे शेरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
ईएसजेड में तीन जिलों के 196 गांव शामिल
आधिकारिक बयान के अनुसार, ईएसजेड में जूनागढ़ जिले के 59 गांव (जूनागढ़, विसावदर, मालिया हटिना और मेंदर्दा तालुका), अमरेली जिले के 72 गांव (धारी, खंभा और सावरकुंडला तालुका) और गिर-सोमनाथ जिले के 65 गांव (उना, गिर सोमनाथ, कोडिनार और तलाला तालुका) शामिल हैं. इस क्षेत्र में 24,680.32 हेक्टेयर वन भूमि और 1,59,785.88 हेक्टेयर गैर-वन भूमि शामिल होगी.
शेरों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी
मंत्री मुलुभाई बेरा का कहना है कि इस क्षेत्र को ईएसजेड के रूप में नामित करने से इन क्षेत्रों में घूमने वाले शेरों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी. इसके अलावा ईएसजेड की सीमा को पिछले 10 किलोमीटर से कम करने से स्थानीय विकास गतिविधियों में और तेजी आएगी.
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल ने कहा कि गुजरात ने शेरों और वन्यजीवों के लिए 1,468.16 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र निर्धारित किया है, जिसमें गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर, पनिया और मिटियाला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य के वन विभाग ने गिर राष्ट्रीय उद्यान, गिर, पनिया और मिटियाला वन्यजीव अभयारण्यों के लिए ईएसजेड घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंपा. हाल ही में, भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और इको-सेंसिटिव जोन के लिए प्रारंभिक अधिसूचना जारी की. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने नए इको-सेंसिटिव जोन को अंतिम रूप देते समय गिर संरक्षित क्षेत्र के आसपास के गांवों में पिछले 10 वर्षों के रेडियो कॉलर आधारित शेरों की आवाजाही के आंकड़ों, शेरों द्वारा शिकार की घटनाओं, महत्वपूर्ण गलियारों और नदी गलियारों पर विचार किया.
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