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संथाल में आदिवासी घटे, मुस्लिम और ईसाई बढ़े, डेमोग्राफिक बदलाव पर HC में केंद्र का जवाब, कई तथ्य पेश - central government affidavit

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 12, 2024, 7:29 PM IST

Updated : Sep 13, 2024, 12:41 PM IST

Jharkhand High Court. संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट दिया है. इसमें जो जानकारी दी गई है, वो काफी चौंकाने वाले हैं. क्या जानकारी दी गई है, पढ़िए इस रिपोर्ट में

CENTRAL GOVERNMENT AFFIDAVIT
झारखंड के आदिवासी(फाइल फोटो) (ईटीवी भारत)

रांचीः संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से बदल रही डेमोग्राफी मामले में केंद्र सरकार और UIDAI की ओर से हाईकोर्ट में दायर काउंटर एफिडेविट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक घुसपैठ मुख्य रूप से साहिबगंज और पाकुड़ जिले में हुई है, जो पश्चिम बंगाल से सटे हुए हैं. बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में इसी वजह से मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते अमर बाउरी (ईटीवी भारत)

केंद्र सरकार ने माना है कि संथाल में साल 1951 तक आदिवासियों की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 प्रतिशत हो गई है. इसके पीछे पलायन, कम शिशु जन्म दर और ईसाई धर्म में रुपांतरण को सबसे बड़ा कारण बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 2011 तक ईसाई आबादी का ग्रोथ रेट 231 प्रतिशत था जबकि संथाल परगना में यह प्रतिशत काफी ज्यादा रहा.

आदिवासी सिमटे, ईसाई की संख्या बढ़ी

केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि आजादी के बाद साल 2011 तक राष्ट्रीय स्तर पर कुल आबादी की तुलना में हिंदू आबादी में 4.28 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड हुई. लेकिन संथाल परगना में 22.42 प्रतिशत आबादी कम हुई है. इसमें आदिवासी की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत से घटकर 28.11 प्रतिशत पर आ गई है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ईसाई आबादी में 231 प्रतिशत का इजाफा हुआ. वहीं संथाल परगना में ईसाई आबादी का ग्रोथ रेट अप्रत्याशित बताया गया है.

आदिवासी घटे, मुस्लिम की संख्या बढ़ी

केंद्र सरकार के मुताबिक 1961 में साहिबगंज की आबादी 4.14 लाख थी. इसमें मुस्लिम आबादी 82 हजार थी, जो कुल आबादी का करीब 20 प्रतिशत था. लेकिन 2011 में साहिबगंज की कुल आबादी 11.50 लाख की तुलना में मुस्लिम आबादी 3.98 लाख हो गई जो कुल आबादी का 34.61 प्रतिशत है. पाकुड़ में 1961 तक कुल आबादी 3.47 लाख थी. इसमें 76 हजार मुस्लिम थे. लेकिन 2011 में मुस्लिम आबादी 22.02 प्रतिशत से बढ़कर 35.86 प्रतिशत यानी 3.22 लाख हो गई.

जनसंख्या प्रतिशत का लेखा-जोखा

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 1951 में संथाल परगना में हिंदू की आबादी कुल आबादी का 90.37 प्रतिशत थी. इसमें आदिवासी की आबादी 44.67 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 9.43 प्रतिशत, ईसाई आबादी 0.18 प्रतिशत थी. लेकिन 2011 में हिंदू की आबादी 67.95 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 22.73 प्रतिशत, क्रिश्चियन आबादी 4.21 प्रतिशत और आदिवासी की आबादी 28.11 प्रतिशत हो गई.

भूमि कानून में खामियां

केंद्र सरकार ने काउंटर एफिडेविट में संथाल के भूमि कानून की खामियों का भी जिक्र किया है. यहां दानपत्र के जरिए आदिवासी जमीन गैर आदिवासी को दी जाती है. इसी आधार पर मुस्लिम जमीन ले रहे हैं. रिपोर्ट में 18 जुलाई 2024 को पाकुड़ में जमीन को लेकर हुए विवाद का जिक्र किया गया है. हालांकि, केंद्र ने यह भी कहा है कि अभी तक जमीन से जुड़े मामलों में बांग्लादेशी के शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है.

भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति

भारत और बांग्लादेश की सीमा 4,096.7 किमी लंबी है. अबतक 3,922.24 किमी तक फेंसिंग हो चुकी है. कई जगह नदी, नालों की वजह से भी गैप है. सीमा पर अवैध गतिविधि और घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ की 81 बटालियन तैनात है. लेकिन नदी, नाले और पहाड़ों की वजह से घुसपैठ से इनकार नहीं किया जा सकता.

राज्य सरकार को मिलेगा पूरा सहयोग

केंद्र सरकार ने कहा कि अवैध प्रवासन को लेकर भारत सरकार गंभीर है. लेकिन फेडरल स्ट्रक्चर के तहत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अवैध प्रवासियों को चिन्हित कर डिपोर्ट करे. इस काम में केंद्र सरकार हर सहयोग के लिए तैयार है.

क्या है U.I.D.A.I के काउंटर एफिडेविट में

इस मामले में U.I.D.A.I की ओर से भी काउंटर एफिडेविट फाइल की गई है. इसमें बताया गया है कि आधार नंबर कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता है. आधार नंबर केवल प्रमाणीकरण या ऑफलाइन सत्यापन के माध्यम से आधार नंबर धारक की पहचान स्थापित करने के लिए होता है. एविडेंस एक्ट के मुताबिक आधार कार्ड के लिए दर्ज इंट्री को निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाता है.

UIDAI ने 28 फरवरी 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को जारी एडवाइजरी का जिक्र किया है. इसमें कहा गया है कि एजेंसियों के सहयोग से अवैध प्रवासियों की पहचान करना है और अगर किसी ने गलत तरीके से आधार कार्ड बनवा लिया है तो उसकी जानकारी UIDAI के देते हुए कानूनी कार्रवाई करना है.

क्या है जनहित याचिका में

दरअसल, दानियल दानिश नामक शख्स ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनकी दलील है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी बदल रही है. उस इलाके में मदरसों की संख्या में इजाफा हुआ है. आदिवासियों के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है. लिहाजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताना चाहिए कि आखिर कैसे बांग्लादेशी संथाल में घुस रहे हैं. इस मामले में अब 17 सितंबर को एक्टिंग चीफ जस्टिस की खंडपीठ में विस्तृत सुनवाई होगी.

नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने संथाल में हो रहे घुसपैठ को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेस की. उन्होंने राज्य सरकार पर जमकर आरोप लगाया. उन्होंने हाईकोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए एफिडेविट के हवाले से कहा कि केंद्र सरकार ने घुसपैठ को संथाल परगना के लिए बड़ा खतरा बताया है. केंद्र सरकार ने माना है कि इसकी वजह से डेमोग्राफी चेज हुआ है. अमर बाउरी ने कहा कि राज्य में संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का जो उल्लंघन हो रहा है, उसे कहीं न कहीं राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस करते अमर बाउरी (ईटीवी भारत)

केंद्र सरकार ने माना है कि संथाल में साल 1951 तक आदिवासियों की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 प्रतिशत हो गई है. इसके पीछे पलायन, कम शिशु जन्म दर और ईसाई धर्म में रुपांतरण को सबसे बड़ा कारण बताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 2011 तक ईसाई आबादी का ग्रोथ रेट 231 प्रतिशत था जबकि संथाल परगना में यह प्रतिशत काफी ज्यादा रहा.

आदिवासी सिमटे, ईसाई की संख्या बढ़ी

केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि आजादी के बाद साल 2011 तक राष्ट्रीय स्तर पर कुल आबादी की तुलना में हिंदू आबादी में 4.28 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड हुई. लेकिन संथाल परगना में 22.42 प्रतिशत आबादी कम हुई है. इसमें आदिवासी की जनसंख्या 44.67 प्रतिशत से घटकर 28.11 प्रतिशत पर आ गई है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ईसाई आबादी में 231 प्रतिशत का इजाफा हुआ. वहीं संथाल परगना में ईसाई आबादी का ग्रोथ रेट अप्रत्याशित बताया गया है.

आदिवासी घटे, मुस्लिम की संख्या बढ़ी

केंद्र सरकार के मुताबिक 1961 में साहिबगंज की आबादी 4.14 लाख थी. इसमें मुस्लिम आबादी 82 हजार थी, जो कुल आबादी का करीब 20 प्रतिशत था. लेकिन 2011 में साहिबगंज की कुल आबादी 11.50 लाख की तुलना में मुस्लिम आबादी 3.98 लाख हो गई जो कुल आबादी का 34.61 प्रतिशत है. पाकुड़ में 1961 तक कुल आबादी 3.47 लाख थी. इसमें 76 हजार मुस्लिम थे. लेकिन 2011 में मुस्लिम आबादी 22.02 प्रतिशत से बढ़कर 35.86 प्रतिशत यानी 3.22 लाख हो गई.

जनसंख्या प्रतिशत का लेखा-जोखा

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 1951 में संथाल परगना में हिंदू की आबादी कुल आबादी का 90.37 प्रतिशत थी. इसमें आदिवासी की आबादी 44.67 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 9.43 प्रतिशत, ईसाई आबादी 0.18 प्रतिशत थी. लेकिन 2011 में हिंदू की आबादी 67.95 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 22.73 प्रतिशत, क्रिश्चियन आबादी 4.21 प्रतिशत और आदिवासी की आबादी 28.11 प्रतिशत हो गई.

भूमि कानून में खामियां

केंद्र सरकार ने काउंटर एफिडेविट में संथाल के भूमि कानून की खामियों का भी जिक्र किया है. यहां दानपत्र के जरिए आदिवासी जमीन गैर आदिवासी को दी जाती है. इसी आधार पर मुस्लिम जमीन ले रहे हैं. रिपोर्ट में 18 जुलाई 2024 को पाकुड़ में जमीन को लेकर हुए विवाद का जिक्र किया गया है. हालांकि, केंद्र ने यह भी कहा है कि अभी तक जमीन से जुड़े मामलों में बांग्लादेशी के शामिल होने की पुष्टि नहीं हुई है.

भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति

भारत और बांग्लादेश की सीमा 4,096.7 किमी लंबी है. अबतक 3,922.24 किमी तक फेंसिंग हो चुकी है. कई जगह नदी, नालों की वजह से भी गैप है. सीमा पर अवैध गतिविधि और घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ की 81 बटालियन तैनात है. लेकिन नदी, नाले और पहाड़ों की वजह से घुसपैठ से इनकार नहीं किया जा सकता.

राज्य सरकार को मिलेगा पूरा सहयोग

केंद्र सरकार ने कहा कि अवैध प्रवासन को लेकर भारत सरकार गंभीर है. लेकिन फेडरल स्ट्रक्चर के तहत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अवैध प्रवासियों को चिन्हित कर डिपोर्ट करे. इस काम में केंद्र सरकार हर सहयोग के लिए तैयार है.

क्या है U.I.D.A.I के काउंटर एफिडेविट में

इस मामले में U.I.D.A.I की ओर से भी काउंटर एफिडेविट फाइल की गई है. इसमें बताया गया है कि आधार नंबर कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता है. आधार नंबर केवल प्रमाणीकरण या ऑफलाइन सत्यापन के माध्यम से आधार नंबर धारक की पहचान स्थापित करने के लिए होता है. एविडेंस एक्ट के मुताबिक आधार कार्ड के लिए दर्ज इंट्री को निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाता है.

UIDAI ने 28 फरवरी 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को जारी एडवाइजरी का जिक्र किया है. इसमें कहा गया है कि एजेंसियों के सहयोग से अवैध प्रवासियों की पहचान करना है और अगर किसी ने गलत तरीके से आधार कार्ड बनवा लिया है तो उसकी जानकारी UIDAI के देते हुए कानूनी कार्रवाई करना है.

क्या है जनहित याचिका में

दरअसल, दानियल दानिश नामक शख्स ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उनकी दलील है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से डेमोग्राफी बदल रही है. उस इलाके में मदरसों की संख्या में इजाफा हुआ है. आदिवासियों के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है. लिहाजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय को बताना चाहिए कि आखिर कैसे बांग्लादेशी संथाल में घुस रहे हैं. इस मामले में अब 17 सितंबर को एक्टिंग चीफ जस्टिस की खंडपीठ में विस्तृत सुनवाई होगी.

नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने संथाल में हो रहे घुसपैठ को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेस की. उन्होंने राज्य सरकार पर जमकर आरोप लगाया. उन्होंने हाईकोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए एफिडेविट के हवाले से कहा कि केंद्र सरकार ने घुसपैठ को संथाल परगना के लिए बड़ा खतरा बताया है. केंद्र सरकार ने माना है कि इसकी वजह से डेमोग्राफी चेज हुआ है. अमर बाउरी ने कहा कि राज्य में संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का जो उल्लंघन हो रहा है, उसे कहीं न कहीं राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है.

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Last Updated : Sep 13, 2024, 12:41 PM IST
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