हजारीबागः नीट प्रश्न पत्र लीक मामले में सीबीआई की टीम ने ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक और एक संदिग्ध व्यक्ति को लेकर चरही गेस्ट हाउस से पटना की ओर निकल गई. इससे पहले सीबीआई की टीम ने आरोपियों का ट्रांजिट रिमांड लिया. माना जा रहा है कि देर रात तक सीबीआई की टीम आरोपियों को लेकर पटना पहुंचेगी.
सीबीआई की टीम शाम लगभग 4:30 बजे चरही गेस्ट हाउस से दो गाड़ी से उन दोनों को अपने साथ ले गई है. वहीं पुलिस की एक गाड़ी एस्कॉर्ट करते हुए गई है. सीबीआई की टीम ने दो काले ब्रीफकेस और एक आयरन बॉक्स भी अपने साथ यहां से लेकर रवाना हुई है. सूत्रों के मुताबिक ऐसा बताया जाता है कि जिस बक्से से प्रश्न पत्र लीक होने की बात कही जा रही थी उस बक्से को लेकर टीम निकली है. आयरन बॉक्स में कई अहम एविडेंस भी होने की बातें कही जा रही हैं. जिसमें इलेक्ट्रॉनिक गैजट भी शामिल है.
शुक्रवार को लगभग 11:00 के आसपास सीबीआई की टीम ने स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक को अपने साथ रांची रोड की ओर बढ़ी थी. रामगढ़ के ठीक पहले गाड़ी वापस गेस्ट हाउस लौट आई. दिनभर उनकी गाड़ी एक जगह से दूसरी जगह जाती नजर आई. हालांकि इस मामले में अब तक कोई भी आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
इससे पूर्व नीट प्रश्न पत्र लीक मामले में सीबीआई चार दिनों से हजारीबाग में जांच कर रही है. पिछले 60 घंटे से ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक को सीबीआई की टीम ने अपनी कस्टडी में रखा है. बुधवार की शाम 5:00 बजे सीबीआई ने उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया था. बीते गुरुवार को भी दिनभर सीबीआई की टीम शहर के विभिन्न इलाकों में पूछताछ और साक्ष्य की तलाश करती रही. एक बार स्कूल के प्रिंसिपल एहसान उल हक को उनके स्कूल के दफ्तर भी लाई थी और वहां भी 2 घंटे पूछताछ की गई.
जिस ई रिक्शा चालक का जिक्र इस पूरे प्रकरण में हो रहा है उसने ईटीवी भारत के माध्यम से अपनी बात रखी है. उन्होंने बताया कि उनका नाम मनोज है और वे ओरिया का रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम मुंशी चांद है. प्रश्न पत्र की डिलिवरी को लेकर मनोज ने बताया कि उक्त दिन नूतन नगर से उसे बुक किया गया था. प्रश्न पत्र पहुंचने के लिए 170 रुपया भुगतान किया गया. चालक नूतन नगर से बैंक प्रश्न पत्र लोड करके बैंक पहुंचाया. उस दौरान ब्लू डार्ट के एक कर्मी टोटो में बैठे हुए थे और दो मोटरसाइकिल से गए थे.
बैंक तक प्रश्न पत्र उतारने के दौरान उसकी गाड़ी का नंबर सीसीटीवी में कैद हो गया. ऐसे में हजारीबाग डीटीओ ऑफिस की मदद से उसका नंबर सीबीआई के हाथ लग गई. डीटीओ कार्यालय से ही उसे फोन गया और उससे गहन पूछताछ की गई. जब मनोज की संलिप्तता नहीं नजर आई तो सीबीआई ने उन्हें छोड़ दिया. सीबीआई की मनोज से पूछताछ से वे काफी डरे हुए हैं और ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. यहां तक कि उन्होंने खुद को अपने घर में ही बंद रखा है और टोटो चलाना भी उसे मंजूर नहीं है. मनोज का कहना है कि उसे हिदायत भी दी गयी है कोई भी बात किसी से साझा ना करें.
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