नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कौशल विकास निगम घोटाले में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को दी गई जमानत रद्द करने का अनुरोध किया और दावा किया कि उनके परिवार के सदस्यों ने जांच में बाधा डालने के लिए लोक सेवकों को 'धमकाने' वाले बयान दिए हैं. राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ को बताया कि नायडू के परिवार के सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया है कि वे सत्ता में आने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
शीर्ष अदालत मामले में नायडू को नियमित जमानत देने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के 20 नवंबर, 2023 के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा, 'हमने अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए एक आवेदन दायर किया है. आरोपी (नायडू) के परिवार के सदस्यों द्वारा बयान दिए गए हैं. परिवार के सदस्य कह रहे हैं कि जब हम सत्ता में आएंगे, तो हम इन सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.'
उन्होंने कहा, 'विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में मेरी (राज्य की) अंतिम प्रार्थना जमानत रद्द करने की है. मैं जमानत के आदेश के खिलाफ अपील करता हूं. मैं आपको एक परिस्थिति दिखा रहा हूं, जो प्रासंगिक है.' वकील महफूज ए. नाजकी के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर आवेदन में राज्य सरकार ने अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति मांगी है. रोहतगी ने पीठ से कहा कि चुनाव से ठीक पहले ऐसे धमकी भरे बयान देने वालों को जमानत का लाभ या रियायत नहीं दी जा सकती.
नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वे आवेदन पर जवाब दाखिल करेंगे. पीठ ने नायडू के वकील से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा तथा मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 नवंबर को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर नायडू से जवाब मांगा था.
शीर्ष अदालत ने 73-वर्षीय तेदेपा नेता की जमानत शर्तों में भी ढील दी थी और उन्हें सुनवाई की अगली तारीख आठ दिसंबर तक सार्वजनिक रैलियों और बैठकों में भाग लेने की अनुमति दी थी. हालांकि, इसमें कहा गया था कि सार्वजनिक बयान न देने या इस मामले के बारे में मीडिया से बात न करने सहित जमानत की अन्य शर्तें लागू रहेंगी. उच्च न्यायालय ने इस मामले में 31 अक्टूबर को नायडू को दी गई चार सप्ताह की अंतरिम चिकित्सा जमानत को 20 नवंबर को पूर्ण जमानत में बदल दिया था और पूर्व मुख्यमंत्री को उनकी उम्र, उम्र से संबंधित बीमारियों तथा अन्य कारणों से नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.
आंध्र प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने के निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपनी अपील में कहा है कि नायडू एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और एक सरकारी कर्मचारी सहित उनके दो प्रमुख सहयोगी पहले ही देश से भाग चुके हैं.
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