ETV Bharat / bharat

कलकत्ता हाईकोर्ट की पुलिस को फटकार, आरजी कर मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़ की जांच सीबीआई के हाथ - Calcutta High Court

पश्चिम बंगाल में आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबाई को जांच का पूरा अधिकार दे दिया है. कार्ट ने जांच की रिपोर्ट एक हलफनामे के तौर पर मांगी है.

Calcutta High Court
कलकत्ता हाई कोर्ट (फोटो - ANI Photo)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 16, 2024, 3:46 PM IST

Updated : Aug 16, 2024, 3:55 PM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को यहां आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अंदर हुई तोड़फोड़ की जांच करने का पूरा अधिकार दे दिया और बुधवार को हलफनामे के रूप में घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी, जब मामले की अगली सुनवाई होगी.

अस्पताल के अंदर 31 वर्षीय महिला स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. छात्रा का शव पल्मोनोलॉजी विभाग की तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में मिला था. मामला पहले ही कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंप दिया गया है और केंद्रीय एजेंसी हत्या के मामले की जांच कर रही है.

14 और 15 अगस्त की रात को महिलाओं द्वारा 'रीक्लेम द नाइट' के आह्वान के परिणामस्वरूप पूरे राज्य के साथ-साथ देश भर के कई शहरों और स्थानों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. जैसे-जैसे विरोध जारी रहा, भीड़ ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए और आरजी कर अस्पताल के अंदर घुस गई और उत्पात मचाना शुरू कर दिया.

भीड़ ने इमरजेंसी वार्ड में तोड़फोड़ की और इमारत की दूसरी मंजिल के वार्डों को भी नुकसान पहुंचाया. आज मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने 14 अगस्त की रात आरजी कर अस्पताल के अंदर हुई तोड़फोड़ के सिलसिले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाई.

अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि जब पुलिस खुद की और आम लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो वह कानून-व्यवस्था कैसे बनाए रखेगी? अदालत ने कहा कि "पुलिस का कहना है कि करीब पांच से सात हजार लोग अस्पताल के पास जमा हुए थे और तोड़फोड़ में शामिल थे. यह मानना मुश्किल है कि पुलिस की खुफिया शाखा को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी."

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने अदालत को बताया कि अदालत के निर्देशानुसार अपराध की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया जा चुका है और टीम को 14 और 15 अगस्त की रात को हुई घटनाओं के बारे में जानकारी दे दी गई है. टीम घटनास्थल का दौरा करेगी और स्थिति का जायजा लेगी.

पीठ ने शुक्रवार को राज्य सरकार की आलोचना की और पल्मोनोलॉजी विभाग के सेमिनार हॉल के बगल में चल रहे जीर्णोद्धार कार्य के पीछे का कारण पूछा, जहां छात्र का शव मिला था. अदालत ने पूछा कि घटना की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद जीर्णोद्धार कार्य क्यों शुरू किया गया? इस पर राज्य सरकार ने तर्क दिया कि विभाग के डॉक्टरों के अनुरोध पर जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है, जिन्होंने अलग से विश्राम कक्ष की मांग की थी.

सरकार ने यह भी कहा कि अपराध स्थल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. इस पर सुनवाई के तुरंत बाद अदालत ने राज्य सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि अपराध स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या सुरक्षा उपाय किए गए थे और उन उपायों को लागू करने के लिए वर्तमान में क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

पीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की सुरक्षा की याचिका पर भी सुनवाई की. डॉ. घोष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल सीबीआई के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और उन्होंने अदालत से केंद्रीय या राज्य सुरक्षा कवर के लिए अनुरोध किया. इस पर अदालत ने कहा कि "पूर्व प्रिंसिपल एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और राज्य सरकार उनके साथ है. आपको अतिरिक्त सुरक्षा की क्या जरूरत है? आप एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं."

अदालत ने आगे कहा कि "वह घर पर रहें और शांति से रहें. अगर जरूरत पड़ी तो हम बाहर केंद्रीय बल के जवानों को तैनात करेंगे." पीठ ने शुक्रवार को सभी से अनुरोध किया कि वे सोशल मीडिया सहित किसी भी मंच पर पीड़िता की पहचान उजागर करने के प्रति सतर्क रहें. पीठ ने कहा कि "समाचार आउटलेट सहित सभी को पीड़िता की पहचान उजागर करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए हैं."

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को यहां आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अंदर हुई तोड़फोड़ की जांच करने का पूरा अधिकार दे दिया और बुधवार को हलफनामे के रूप में घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी, जब मामले की अगली सुनवाई होगी.

अस्पताल के अंदर 31 वर्षीय महिला स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में कई जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. छात्रा का शव पल्मोनोलॉजी विभाग की तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में मिला था. मामला पहले ही कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंप दिया गया है और केंद्रीय एजेंसी हत्या के मामले की जांच कर रही है.

14 और 15 अगस्त की रात को महिलाओं द्वारा 'रीक्लेम द नाइट' के आह्वान के परिणामस्वरूप पूरे राज्य के साथ-साथ देश भर के कई शहरों और स्थानों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. जैसे-जैसे विरोध जारी रहा, भीड़ ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए और आरजी कर अस्पताल के अंदर घुस गई और उत्पात मचाना शुरू कर दिया.

भीड़ ने इमरजेंसी वार्ड में तोड़फोड़ की और इमारत की दूसरी मंजिल के वार्डों को भी नुकसान पहुंचाया. आज मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने 14 अगस्त की रात आरजी कर अस्पताल के अंदर हुई तोड़फोड़ के सिलसिले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाई.

अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि जब पुलिस खुद की और आम लोगों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो वह कानून-व्यवस्था कैसे बनाए रखेगी? अदालत ने कहा कि "पुलिस का कहना है कि करीब पांच से सात हजार लोग अस्पताल के पास जमा हुए थे और तोड़फोड़ में शामिल थे. यह मानना मुश्किल है कि पुलिस की खुफिया शाखा को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी."

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अशोक चक्रवर्ती ने अदालत को बताया कि अदालत के निर्देशानुसार अपराध की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया जा चुका है और टीम को 14 और 15 अगस्त की रात को हुई घटनाओं के बारे में जानकारी दे दी गई है. टीम घटनास्थल का दौरा करेगी और स्थिति का जायजा लेगी.

पीठ ने शुक्रवार को राज्य सरकार की आलोचना की और पल्मोनोलॉजी विभाग के सेमिनार हॉल के बगल में चल रहे जीर्णोद्धार कार्य के पीछे का कारण पूछा, जहां छात्र का शव मिला था. अदालत ने पूछा कि घटना की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद जीर्णोद्धार कार्य क्यों शुरू किया गया? इस पर राज्य सरकार ने तर्क दिया कि विभाग के डॉक्टरों के अनुरोध पर जीर्णोद्धार कार्य किया जा रहा है, जिन्होंने अलग से विश्राम कक्ष की मांग की थी.

सरकार ने यह भी कहा कि अपराध स्थल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. इस पर सुनवाई के तुरंत बाद अदालत ने राज्य सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि अपराध स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या सुरक्षा उपाय किए गए थे और उन उपायों को लागू करने के लिए वर्तमान में क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

पीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की सुरक्षा की याचिका पर भी सुनवाई की. डॉ. घोष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल सीबीआई के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और उन्होंने अदालत से केंद्रीय या राज्य सुरक्षा कवर के लिए अनुरोध किया. इस पर अदालत ने कहा कि "पूर्व प्रिंसिपल एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और राज्य सरकार उनके साथ है. आपको अतिरिक्त सुरक्षा की क्या जरूरत है? आप एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं."

अदालत ने आगे कहा कि "वह घर पर रहें और शांति से रहें. अगर जरूरत पड़ी तो हम बाहर केंद्रीय बल के जवानों को तैनात करेंगे." पीठ ने शुक्रवार को सभी से अनुरोध किया कि वे सोशल मीडिया सहित किसी भी मंच पर पीड़िता की पहचान उजागर करने के प्रति सतर्क रहें. पीठ ने कहा कि "समाचार आउटलेट सहित सभी को पीड़िता की पहचान उजागर करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट आदेश दिए गए हैं."

Last Updated : Aug 16, 2024, 3:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.