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'गवर्नर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी न करें', ममता बनर्जी को कलकत्ता हाईकोर्ट की हिदायत - CV Ananda Bose VS Mamata Banerjee

CV Ananda Bose VS Mamata Banerjee: कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तीन अन्य को राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोक दिया है.

ANI
राज्यपाल सीवी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 16, 2024, 11:09 PM IST

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोक दिया है. न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने अंतरिम आदेश पारित किया. अब मामले पर 14 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी. बता दें कि, गवर्नर बोस ने सीएम बनर्जी और तीन अन्य के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है. सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला स्टाफ सदस्य पर बयान दिया था, जिसने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अदालत ने कहा कि राज्यपाल एक 'संवैधानिक प्राधिकारी' हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके सीएम ममता द्वारा किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का जवाब नहीं दे सकते.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि, उचित मामलों में जहां अदालत का मानना​है कि वादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए बयान लापरवाह तरीके से दिए गए हैं, तो अदालत को निषेधाज्ञा देना उचित होगा. यदि इस स्तर पर, अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, तो इससे प्रतिवादियों को वादी के खिलाफ मानहानिकारक बयान देना जारी रखने और वादी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की खुली छूट मिल जाएगी.'

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि यदि अंतरिम आदेश नहीं दिया गया, तो राज्यपाल को 'अपूरणीय क्षति होगी और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी.' आदेश में कहा गया है, 'बातों को ध्यान में रखते हुए, प्रतिवादियों को 14 अगस्त तक प्रकाशन के माध्यम से और सामाजिक मंच पर वादी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोका जाता है.'

इस बीच, पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला स्टाफ सदस्य, जिसने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, ने संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को दी गई छूट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

ये भी पढ़ें: राज्यपाल के मानहानि मामले में सीएम ममता की दलील- मेरे भाषण में कुछ भी गलत नहीं

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोक दिया है. न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने अंतरिम आदेश पारित किया. अब मामले पर 14 अगस्त को फिर से सुनवाई होगी. बता दें कि, गवर्नर बोस ने सीएम बनर्जी और तीन अन्य के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है. सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल राजभवन की एक महिला स्टाफ सदस्य पर बयान दिया था, जिसने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. अदालत ने कहा कि राज्यपाल एक 'संवैधानिक प्राधिकारी' हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके सीएम ममता द्वारा किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का जवाब नहीं दे सकते.

कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि, उचित मामलों में जहां अदालत का मानना​है कि वादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए बयान लापरवाह तरीके से दिए गए हैं, तो अदालत को निषेधाज्ञा देना उचित होगा. यदि इस स्तर पर, अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, तो इससे प्रतिवादियों को वादी के खिलाफ मानहानिकारक बयान देना जारी रखने और वादी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की खुली छूट मिल जाएगी.'

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि यदि अंतरिम आदेश नहीं दिया गया, तो राज्यपाल को 'अपूरणीय क्षति होगी और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी.' आदेश में कहा गया है, 'बातों को ध्यान में रखते हुए, प्रतिवादियों को 14 अगस्त तक प्रकाशन के माध्यम से और सामाजिक मंच पर वादी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोका जाता है.'

इस बीच, पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला स्टाफ सदस्य, जिसने राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, ने संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को दी गई छूट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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