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सेना में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में ‘लगातार देरी’ पर सीएजी ने उठाए सवाल - CAG ON COURT OF ENQUIRY

कोर्ट ऑफ इन्कायरी की कार्यवाही में देरी होने को लेकर कैग ने सवाल उठाए हैं. कैग ने क्या कहा, जानें

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कैग (IANS)
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By PTI

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली : मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में सेना में ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ (सीओआई) की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में ‘लगातार देरी’ पर सवाल उठाए गए हैं.

इसमें कहा गया है कि सेना के तीन कमानों में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से, सीओआई के एकत्र होने और पूरा होने के लिए निर्धारित समयसीमा ‘केवल 46 और 25 मामलों में’ पूरी हुई. केंद्र सरकार (रक्षा सेवा-सेना) पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई.

सीएजी द्वारा इस पर जारी बयान के अनुसार, इस रिपोर्ट में 2020-21 में रक्षा विभाग, सेना, सैन्य इंजीनियर सेवाएं, सीमा सड़क संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से संबंधित रक्षा मंत्रालय के लेनदेन के ऑडिट के परिणाम शामिल हैं.

इसने रिमाउंट और पशु चिकित्सा सेवाओं के कामकाज और पशु परिवहन इकाइयों के उपयोग का भी ऑडिट किया. महानिदेशक रिमाउंट पशु चिकित्सा सेवा (डीजी आरवीएस) की अध्यक्षता में रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी), भारतीय सेना में अश्व और श्वान प्रजनन, पालन, देखभाल, प्रबंधन और रोग नियंत्रण प्रशिक्षण का काम करती है.

ऑडिट में 2018-19 से 2020-21 तक की अवधि को कवर किया गया है जिसमें 13वीं सेना योजना (2017-22) की अवधि शामिल है. ऑडिट में पाया गया कि आरवीएस के लिए 13वीं योजना में क्षमता विकास और आधुनिकीकरण पहलुओं को शामिल नहीं किया गया था.

ऑडिट 'भारतीय सेना में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी', 'पूर्वी कमान में पोर्टर कंपनियों की स्थापना' और 'मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज द्वारा जल आपूर्ति प्रबंधन' पर भी था. सीएजी ने कहा, ‘‘भारतीय सेना में सीओआई की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में लगातार देरी हो रही है. तीन सैन्य कमानों (मध्य कमान, पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान) में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से सीओआई को एकत्र करने और पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा क्रमशः 46 और 25 मामलों में ही पूरी की गई.’’

इसमें कहा गया कि 11 मामलों में, सीओआई को पूरा करने में लगने वाला समय ‘दो साल से अधिक और यहां तक कि 11 साल तक’ रहा. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘आग की घटनाओं से संबंधित 10 सीओआई में कमांड मुख्यालय को सीओआई बुलाने के लिए अधिकृत किया गया था लेकिन कमांड मुख्यालय से नीचे के प्राधिकारी द्वारा बुलाने का आदेश जारी किया गया.’’

इसमें कहा गया है कि सीओआई के लिए जांच का दायरा बताने वाले विचारार्थ विषयों (टीओआर) में 29 मामलों में जिम्मेदारी तय करने और दोष व हानि के संबंध में विशेष उल्लेख नहीं है. सीएजी ने कहा, ‘‘इन 29 मामलों में से 28 में संबंधित सेना नियमों, आदेशों, निर्देशों आदि का कोई उल्लेख नहीं था और इन 29 मामलों में से 13 में जान-माल के नुकसान का आकलन करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया.’’

बयान में आगे कहा गया है कि 95 मामलों में सीओआई ने 50.76 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का आकलन किया है. बयान के मुताबिक, ‘‘43 मामलों (अप्रैल 2022) के संबंध में 7.12 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान को नियमित किया गया. हालांकि, 43.64 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान वाले 52 मामलों में, सक्षम वित्तीय प्राधिकारी द्वारा नुकसान को नियमित करने से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं थी.’’

इसमें कहा गया है, ‘‘95 में से 57 मामलों में लेखा अधिकारियों यानी रक्षा लेखा नियंत्रकों (सीएसडीए) को हुए नुकसान के ब्योरे की सूचना देने से संबंधित जरूरी दस्तावेज दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं थे. ऑडिट यह पता लगाने में असमर्थ रहा कि सीएसडीए को शुरू में या जांच के बाद नुकसान की सूचना दी गई थी या नहीं.’’ रिपोर्ट में कैंटीन स्टोर्स विभाग द्वारा बैंडविड्थ सेवाओं को समाप्त करने में देरी के कारण अनुचित खर्च को भी चिह्नित किया गया है.

रिपोर्ट में सड़क चिह्नों में आईआरसी विनिर्देशों का पालन नहीं करने और विभिन्न कोड प्रमुखों के तहत समान प्रकृति के कार्यों को मंजूरी देने के कारण 3.20 करोड़ रुपये के परिहार्य व्यय के मामलों का भी उल्लेख किया गया है.

ये भी पढ़ें : संसद में अमित शाह ने ऐसा क्या बोला दिया जिसका बचाव करने खुद पीएम मोदी उतरे, जानें पूरा विवाद

नई दिल्ली : मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में सेना में ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ (सीओआई) की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में ‘लगातार देरी’ पर सवाल उठाए गए हैं.

इसमें कहा गया है कि सेना के तीन कमानों में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से, सीओआई के एकत्र होने और पूरा होने के लिए निर्धारित समयसीमा ‘केवल 46 और 25 मामलों में’ पूरी हुई. केंद्र सरकार (रक्षा सेवा-सेना) पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई.

सीएजी द्वारा इस पर जारी बयान के अनुसार, इस रिपोर्ट में 2020-21 में रक्षा विभाग, सेना, सैन्य इंजीनियर सेवाएं, सीमा सड़क संगठन और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से संबंधित रक्षा मंत्रालय के लेनदेन के ऑडिट के परिणाम शामिल हैं.

इसने रिमाउंट और पशु चिकित्सा सेवाओं के कामकाज और पशु परिवहन इकाइयों के उपयोग का भी ऑडिट किया. महानिदेशक रिमाउंट पशु चिकित्सा सेवा (डीजी आरवीएस) की अध्यक्षता में रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी), भारतीय सेना में अश्व और श्वान प्रजनन, पालन, देखभाल, प्रबंधन और रोग नियंत्रण प्रशिक्षण का काम करती है.

ऑडिट में 2018-19 से 2020-21 तक की अवधि को कवर किया गया है जिसमें 13वीं सेना योजना (2017-22) की अवधि शामिल है. ऑडिट में पाया गया कि आरवीएस के लिए 13वीं योजना में क्षमता विकास और आधुनिकीकरण पहलुओं को शामिल नहीं किया गया था.

ऑडिट 'भारतीय सेना में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी', 'पूर्वी कमान में पोर्टर कंपनियों की स्थापना' और 'मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज द्वारा जल आपूर्ति प्रबंधन' पर भी था. सीएजी ने कहा, ‘‘भारतीय सेना में सीओआई की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में लगातार देरी हो रही है. तीन सैन्य कमानों (मध्य कमान, पूर्वी कमान और पश्चिमी कमान) में वित्तीय नुकसान से जुड़े 95 मामलों में से सीओआई को एकत्र करने और पूरा करने के लिए निर्धारित समयसीमा क्रमशः 46 और 25 मामलों में ही पूरी की गई.’’

इसमें कहा गया कि 11 मामलों में, सीओआई को पूरा करने में लगने वाला समय ‘दो साल से अधिक और यहां तक कि 11 साल तक’ रहा. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘आग की घटनाओं से संबंधित 10 सीओआई में कमांड मुख्यालय को सीओआई बुलाने के लिए अधिकृत किया गया था लेकिन कमांड मुख्यालय से नीचे के प्राधिकारी द्वारा बुलाने का आदेश जारी किया गया.’’

इसमें कहा गया है कि सीओआई के लिए जांच का दायरा बताने वाले विचारार्थ विषयों (टीओआर) में 29 मामलों में जिम्मेदारी तय करने और दोष व हानि के संबंध में विशेष उल्लेख नहीं है. सीएजी ने कहा, ‘‘इन 29 मामलों में से 28 में संबंधित सेना नियमों, आदेशों, निर्देशों आदि का कोई उल्लेख नहीं था और इन 29 मामलों में से 13 में जान-माल के नुकसान का आकलन करने का कोई उल्लेख नहीं किया गया.’’

बयान में आगे कहा गया है कि 95 मामलों में सीओआई ने 50.76 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का आकलन किया है. बयान के मुताबिक, ‘‘43 मामलों (अप्रैल 2022) के संबंध में 7.12 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान को नियमित किया गया. हालांकि, 43.64 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान वाले 52 मामलों में, सक्षम वित्तीय प्राधिकारी द्वारा नुकसान को नियमित करने से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं थी.’’

इसमें कहा गया है, ‘‘95 में से 57 मामलों में लेखा अधिकारियों यानी रक्षा लेखा नियंत्रकों (सीएसडीए) को हुए नुकसान के ब्योरे की सूचना देने से संबंधित जरूरी दस्तावेज दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं थे. ऑडिट यह पता लगाने में असमर्थ रहा कि सीएसडीए को शुरू में या जांच के बाद नुकसान की सूचना दी गई थी या नहीं.’’ रिपोर्ट में कैंटीन स्टोर्स विभाग द्वारा बैंडविड्थ सेवाओं को समाप्त करने में देरी के कारण अनुचित खर्च को भी चिह्नित किया गया है.

रिपोर्ट में सड़क चिह्नों में आईआरसी विनिर्देशों का पालन नहीं करने और विभिन्न कोड प्रमुखों के तहत समान प्रकृति के कार्यों को मंजूरी देने के कारण 3.20 करोड़ रुपये के परिहार्य व्यय के मामलों का भी उल्लेख किया गया है.

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