नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सख्त रुख अपनाया है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को निर्देश दिया कि मामले में अगली सुनवाई की तारीख 1 अक्टूबर तक कोर्ट की अनुमति के बिना भारत में कहीं भी बुलडोजर से संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाएगा. अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर किसी भी अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होगा.
Supreme Court directs that no demolition of property anywhere in India will take place without permission of the Court till October 1, the next date of hearing but clarifies that this order will not be applicable to any unauthorised construction on public roads, footpaths, among… pic.twitter.com/kdZKpkM0Ue
— ANI (@ANI) September 17, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एक भी अवैध विध्वंस की घटना होती है तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है और निर्देश दिया कि देश में बिना उसकी अनुमति के कोई भी विध्वंस नहीं होना चाहिए.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि जब 2022 में नोटिस जारी किए गए थे तो संरचनाओं को ध्वस्त करने की इतनी जल्दी क्या थी? जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि अगली सुनवाई की तारीख तक अदालत की अनुमति के बिना कोई विध्वंस नहीं होना चाहिए. मेहता ने शीर्ष अदालत के इस निर्देश पर कड़ी आपत्ति जताई और जोर देकर कहा कि एक कहानी गढ़ी जा रही है और उस कहानी ने अदालत को अपील की है.
एक भी अवैध विध्वंस संविधान के मूल्यों के खिलाफ...
इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि बाहरी शोर अदालत को प्रभावित नहीं करता है और अदालत इस सवाल में भी नहीं पड़ेगी कि किस समुदाय पर असर पड़ रहा है लेकिन अगर अवैध विध्वंस का एक भी उदाहरण है तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है.
जस्टिस गवई ने कहा कि न्यायालय की अनुमति के बिना कोई भी विध्वंस नहीं होना चाहिए, लेकिन स्पष्ट किया कि अगर सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, जल निकायों आदि पर कोई अनधिकृत निर्माण है तो यह आदेश लागू नहीं होगा. पीठ ने कहा कि न्यायालय के 2 सितंबर के आदेश के बाद इस पर बहुत अधिक जोर दिया गया है और इसका औचित्य सिद्ध किया गया है.
आसमान नहीं गिरेगा...
पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? जस्टिस गवई ने कहा कि इस कथन ने पीठ के न्यायाधीशों को प्रभावित नहीं किया तथा कहा, "हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम अनधिकृत निर्माण के बीच में नहीं आएंगे...लेकिन कार्यपालिका जज नहीं हो सकती.' सुप्रीम कोर्ट ने एक अक्टूबर तक विध्वंस पर रोक लगाते हुए कहा कि इससे "आसमान नहीं गिरेगा..."
शीर्ष अदालत देश के विभिन्न हिस्सों में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इससे पहले, 2 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 'बुलडोजर न्याय' की आलोचना करते हुए कहा था कि वह इस मामले में पूरे देश में दिशा-निर्देश निर्धारित करेगा. कोर्ट ने टिप्पणी की थी, "किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह एक आरोपी है? भले ही वह एक दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है."
सर्वोच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा कि प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए और कहा कि एक सज्जन पिता का एक बिगड़ा बेटा हो सकता है या इसके विपरीत. लेकिन दोनों को एक-दूसरे के कर्मों को भुगतने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि अचल संपत्तियों को केवल प्रक्रिया के आधार पर ही ध्वस्त किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें- 'सीबीआई पिंजरे में बंद तोता ... इस छवि से बाहर निकलने की जरूरत'