कोलकाता : बीएसएफ ने बांग्लादेशी लड़की को अपने मृत पिता को देखने का आखिरी मौका दिया. उनकी बेटी ने अपने मृत पिता को आखिरी बार भारत-बांग्लादेश सीमा की जीरो लाइन पर देखा. ये मामला नादिया के पुट्टीखली बॉर्डर का है. इस घटना ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ और बीजीबी के बीच दोस्ती की एक और मिसाल कायम की है.
बीएसएफ के मुताबिक, नादिया की सीमा पर स्थित नालूपुर गांव की रहने वाली लिपि बीबी बीएसएफ की चौथी बटालियन के कंपनी कमांडर के पास गई थीं. उन्होंने अर्धसैनिक अधिकारी को बताया कि नलूपुर गांव के रहने वाले महाबुल मंडल की कल रात मौत हो गई है. उनकी बेटी और रिश्तेदार बांग्लादेश के एक गांव में रहते हैं. वे महाबुल मंडल को आखिरी बार देखना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने बीएसएफ से लड़कियों और रिश्तेदारों को महाबुल मंडल को आखिरी बार देखने का मौका देने का अनुरोध किया.
उनके अनुरोध को सुनने के बाद, कंपनी कमांडर ने मानवीय कारणों से बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से संपर्क किया. बीजीबी ने भी मानवीय आधार पर बीएसएफ के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की. इसके बाद दोनों देशों के सीमा रक्षक बांग्लादेश के नागरिक महाबुल मंडल की बेटी और उसके रिश्तेदारों को अंतरराष्ट्रीय सीमा की जीरो लाइन पर ले गए. वहां महाबुल मंडल को आखिरी बार देखने की व्यवस्था की गई.
बीएसएफ के जनसंपर्क अधिकारी, डीआइजी, दक्षिण बंगाल सीमा एके आर्य ने कहा, 'बल हमेशा सामाजिक और मानवीय मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है. बीएसएफ के जवान सीमा पर दिन-रात देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. हालांकि, यह उनका एकमात्र काम नहीं है. वे सीमावर्ती निवासियों के मानव और सामाजिक कल्याण के बारे में भी सोचते हैं. बीएसएफ मानवता और मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.'