हैदराबाद: भारत राष्ट्र समिति (BRS) के पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश की नागरिकता को लेकर 15 साल से चल रहे विवाद खत्म हो गया है. यह विवाद उस समय खत्म हुआ, जब हाई कोर्ट ने सोमवार को उन पर जर्मन नागरिकता को छिपाकर अदालत को गुमराह करने के लिए 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी ने रमेश को याचिकाकर्ता और वेमुलावाड़ा के मौजूदा विधायक आदि श्रीनिवास को 25 लाख रुपये और तेलंगाना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को 5 लाख रुपये देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने रमेश को जुर्माने की राशि का भुगतान करने के लिए एक महीने का समय दिया है.
बता दें कि कांग्रेस नेता आदि श्रीनिवास ने रमेश की नागरिकता को चुनौती दी. हाई कोर्ट ने पाया कि रमेश जर्मन दूतावास से एक भी ऐसा दस्तावेज पेश नहीं कर सके, जिसमें कहा गया हो कि वह जर्मनी के नागरिक नहीं हैं.
भारतीय नागरिक नहीं होने के बावजूद लड़ा चुनाव
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वेमुलावाड़ा के पूर्व विधायक रमेश ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड के साथ कई बार जर्मनी गए.रमेश की नागरिकता को चुनौती देने वाले आदि श्रीनिवास ने केंद्रीय गृह सचिव से संपर्क कर कहा कि रमेश भारतीय नागरिक नहीं हैं और इसके बावजूद उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा.
2013 में हाई कोर्ट ने घोषणा की थी कि रमेश का विधायक के रूप में चुनाव अमान्य है. साथ ही सरकार को वेमुलावाड़ा विधानसभा के लिए नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया था. हालांकि, रमेश ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
रमेश भारतीय नागरिकता रद्द
गृह मंत्रालय ने भी कहा कि रमेश भारतीय नागरिक नहीं हैं और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रमेश की भारतीय नागरिकता रद्द कर दी. पूर्व बीआरएस विधायक ने गृह मंत्रालय के फैसले को फिर से हाई कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने दलीलें पूरी होने के बाद इस साल अक्टूबर में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत में फर्जी दस्तावेज पेश किए
कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय गृह सचिव के फैसले को चुनौती देने वाली रमेश की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने पाया कि रमेश ने अधिकारियों को गुमराह किया और विधानसभा चुनाव लड़ा और यहां तक कि अपनी जर्मन नागरिकता की डिटेल को छिपाते हुए अदालत में फर्जी दस्तावेज भी पेश किए.
2009 में उठा था विवाद
गौरतलब है कि रमेश की नागरिकता का विवाद 2009 में उस समय शुरू हुआ, जब वे वेमुलावाड़ा से टीडीपी टिकट पर साधारण बहुमत से चुने गए. उनके प्रतिद्वंद्वी आदि श्रीनिवास ने नागरिकता के मुद्दे का हवाला देते हुए रमेश के चुनाव को चुनौती दी.
रमेश 2014 और 2018 में आदि श्रीनिवास के खिलाफ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के टिकट पर विधायक चुने गए थे. 2023 के विधानसभा चुनाव में आदि श्रीनिवास कांग्रेस के टिकट पर वेमुलावाड़ा से बीआरएस उम्मीदवार चालमेदा लक्ष्मी नरसिम्हा राव के खिलाफ चुने गए. हालांकि, बीआरएस ने 2023 के चुनाव में रमेश को मैदान में नहीं उतारा.