लखीमपुरः जिले में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यवस्त है. लोगों कों छतोंं को अपना आशियाना बनाकर रहने के मजबूर हैं. इसी बीच एक ऐसी घटना आई है, जो दिल दहला देने वाली है. बाढ़ के कारण रास्ते बंद होने से एक किशोरी का इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गई. यहां तक कि किशोरी के शव को घर ले जाने के लिए वाहन जाने का भी रास्ता नहीं बचा. ऐसे में दो भाई अपनी बहन का शव कंधे पर लादकर गांव पहुंचे.
टाइफाइड से किशोरी की मौत
थाना मैलानी के एलनगंज महाराज नगर की रहने वाली शिवानी (15) टाइफाइड होने के बाद मौत हो गई थी. शिवानी के बड़े भाई मनोज ने बताया कि भाई सरोज और बहन पलिया में रुक कर पढ़ाई करते हैं. बहन शिवानी कक्षा 12 की छात्र थी. शिवानी की तबीयत 2 दिन पहले पलिया में खराब हो गई थी. डॉक्टर को दिखाया तो टाइफाइड पता चला. इसके बाद शिवानी को डॉक्टर ने दवा देकर के अस्पताल में एडमिट कर लिया. इसके बाद शिवानी की हालत बिगड़ना शुरू हो गई. इधर बरसात के चलते पलिया शहर टापू में तब्दील हो गया. चारों तरफ के रास्ते शारदा के बढ़ते जल स्तर के कारण बंद हो गए. रेल लाइन भी बाढ़ की चपेट में आ गया, जिससे ट्रेनों का संचालन भी रुक गया. मनोज ने बताया कि वाहनों और ट्रेन का आवागमन बंद होने के कारण बहन का बेहतर इलाज नहीं करा सके, जिसके मौत हो गई. मनोज ने बताया कि वाहन जाने का कोई रास्ता नहीं होने के कारण हम लोग नाव के सहारे नदी पार करके अपनी बहन के शव को अपने गांव लेकर जा रहे हैं. दोनों भाई बारी-बारी से बहन के शव को अपने कंधे पर लेकर रेल लाइन के सहारे अपने गांव जाते हुए दिखाई दिए. इस दौरान शासन-प्रशासन से कोई भी अधिकारी नहीं दिखा. शिवानी के पिता देवेंद्र ने बताया कि जिन भाइयों को बहन की डोली को कंधा देना था, आज वही अपने कंधों पर बहन की लाश को लेकर 5 किलोमीटर तक पैदल चलकर अपने गांव जा रहे हैं.
छतों पर रहने को मजबूर ग्रामीण
बता दें कि जनपद की कई तहसीलों में बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त है. सरकार की राहत बचाओ योजनाएं सिर्फ कागज में ही दम तोड़ रही हैं. कोई भी लाभ बाढ़ पीड़ितों तक नहीं पहुंच रहा है. बाढ़ के चलते कई गांव जलमग्न हो गए हैं. ऐसे में लोगों ने छतोंं को अपना आशियाना बना लिया है. बाढ़ प्रभावित इलाके में लोगों के घरों के अंदर चार -पांच फीट पानी भरा हुआ है. बाढ़ में फंसे लोग जिंदगी और मौत के साथ लड़ रहे हैं. शारदा नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण मंगली पुरवा गांव में लोग अपनी अपनी छतों ऊपर आशियाना बनाए हुए हैं. छोटे-छोटे बच्चे औरतें खुले आसमान के नीचे बरसात और बाढ़ के चलते अपनी जिंदगी जी रही हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि चार-पांच दिन से हम लोग इस बाढ़ में फंसे हुए हैं. अब तक किसी ने हमारी शुध नहीं ली है. प्रशासन से कोई भी मदद हम लोगों को नहीं मिली है. हम लोगों को जिंदगी काटने के लिए केवल एक प्लास्टिक का तिरपाल मिल जाता तो झोपड़ी बनाकर अपने बच्चों और औरतों को बरसात के पानी से ढक सकते हैं. वहीं, बाढ़ की वजह से कई युवाओं के शादी में खलल पड़ गई है. दूल्हों को पैदल और नाव के सहारे ही ससुराल जाना पड़ रहा है.