सरगुजा: कोलाहल अधिनियम का उल्लंघन सरेआम होता रहता है. हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद भी सरकार या स्थानीय प्रशासन इस पर विराम नहीं लगा पा रहा है. इस बीच सरगुजा में एक युवक का ब्रेन हेमरेज डीजे के साउंड से हुआ है. इस अजब घटना से डॉक्टर भी हैरान रह गए. एक व्यक्ति जिसे ना ब्लडप्रेशर है ना अन्य कोई बीमारी, ना उसका एक्सीडेंट हुआ, ना ही किसी ने वार किया फिर भी उसका ब्रेन में हेमरेज कैसे हुआ? जब मरीज से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि तेज डीजे बज रहा था, तभी उसको चक्कर आया. जिसके बाद यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
मरीज का सीटी स्कैन देख हैरत में पड़ गए डॉक्टर: मामला सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले का है. दो दिन पहले जिले के सनावल क्षेत्र के रहने वाले संजय जायसवाल को अचानक चक्कर और उल्टी की शिकायत हुई. वो इलाज कराने अम्बिकापुर पहुंचे. यहां ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने जब मरीज का सीटी स्कैन कराया तो वो हैरत में पड़ गए, क्योंकि युवक के सिर के पीछे के हिस्से की नस फटने से ब्लड क्लॉटिंग हुई थी. सामान्यतः ऐसा हाई ब्लड प्रेशर, एक्सीडेंट या मारपीट की घटनाओं में होता है.
डीजे साउंड से ब्रेन हेमरेज: डॉक्टर ने मरीज से सच बताने को कहा. मरीज ने बताया कि उसके साथ कोई दुर्घटना नहीं हुई है. उसे हाई बीपी की भी शिकायत नहीं रही है. इलाज के वक्त भी उसका बीपी नॉर्मल था, लेकिन मरीज संजय और उसके परिजनों ने डाक्टर से बताया कि उसके घर में पास ही तेज डीजे बज रहा था. वो भी उस वक्त वहीं था, जब उसको चक्कर आया. फिलहाल मरीज की गंभीर हालत के कारण उसे रायपुर रेफर कर दिया गया है.
ध्वनि प्रदूषण बहरेपन का कारण: इस बारे में डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया, "मरीज की जांच और उससे बात करने के बाद प्रथम दृष्टया यही समझ आता है कि डीजे की तेज ध्वनि के कारण इनको हेमरेज हुआ है. डीजे या कोई भी साउंड अगर अधिक साउंड में बजाया जाएगा तो उसका बुरा असर पड़ता है. हाल ही में एक मामला ब्रेन हेमरेज का देखा गया. इससे पहले लगातार ऐसे मरीज आते रहे हैं, जो ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरे पन का शिकार हो जाते हैं. 150 डेसिबल से अधिक का साउंड अगर है तो उसमें सुनने की क्षमता पूरी तरह से चली जाती है."
"साल 2022 में हम लोगों ने शहर के चौराहे जहां अधिक हल्ला रहता है, इन चौराहों में ड्यूटी करने वाले ट्रैफिक कर्मियों की जांच की थी. इनमें 50 लोगों में 12 लोगों में कम सुनाई देने की समस्या और 25 लोगों में हाई बीपी, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन की शिकायत पाई गई थी. वर्तमान में तीज त्योहार और फिर शादियों में तेज डीजे बजाया जा रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से जिले के कलेक्टर और एसपी महदोय से मिलकर उनसे निवेदन करेंगे कि इस पर नियंत्रण किया जाए." -डॉ शैलेंद्र गुप्ता, ईएनटी डॉक्टर
तेज डीजे की आवाज से लोगों को हो रही दिक्कत: एस के सिंह कहते हैं कि "तेज डीजे के कई नुकसान हैं. ये वातावरण को दूषित करता है. स्वास्थ्य खराब होता है. लोग बहरे हो रहे हैं. हार्ट अटैक का कारण बन रहा है. हार्ट के मरीज के बगल से अगर डीजे निकल जाए तो सोचिए उसकी क्या हालत होती है. बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है. जानवर और चिड़िया घबराने लगते हैं. दुकानों के शीशे हिलने लगते हैं. सरकार का काम है इसको नियंत्रित करना. एनवायरमेंट फ्रेंड्ली साउंड आप यूज करिए. ढोल नगाड़े का यूज करिए, तेज डीजे से आप क्या हासिल कर लेंगे? इससे तो कोई देवता भी खुश नहीं होंगे, वो भी परेशान हो जाएंगे."
10 बजे रात के बाद नहीं बजनी चाहिए डीजे: इस बारे में योग प्रशिक्षक कमलेश सोनी ने कहा कि, " गाइडलाइन है कि डीजे की तीव्रता तय होनी चाहिए. 10 बजे के बाद नहीं बजना चाहिए, लेकिन तेज डीजे बज रहे हैं. इससे लोगों के मानसिक विकार उत्पन्न हो रहा है. ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक हो रहा है. बुर्जुगों को इससे बहुत दिक्कत होती है. जब शहर की सड़कों से डीजे गुजरता है तो वो घर के एकदम पीछे वाले हिस्से में चले जाते हैं."
बता दें कि सरगुजा में डीजे से ब्रेन हेमरेज के केस से डॉक्टर तो हैरान हैं ही. साथ ही व्यापारी वर्ग भी इस पर आपत्ति जता रहे हैं. वहीं प्रशासन को भी इसे लेकर एक गाइडलाइन तय करने की मांग कर रहे हैं.