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पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामला: नाबालिग आरोपी को जमानत मिली, बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला - Bombay Hc on pune porsche case

Bombay Hc on pune porsche case:कल्याणीनगर हिट एंड रन मामले में एक बड़ी अपडेट सामने आई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी को जमानत देने का आदेश दिया है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 25, 2024, 4:05 PM IST

Updated : Jun 25, 2024, 4:23 PM IST

मुंबई: पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज (25 जून) नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी है. अदालत ने आरोपी किशोर को निगरानी गृह से रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे ने 21 जून इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है. नाबालिग आरोपी के रिश्तेदार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पुणे पोर्शे कार हिट एंड रन मामला पूरे देश में चर्चा में है. पुणे के कल्याणीनगर इलाके में एक चौंकाने वाली घटना हुई जहां एक युवक ने पोर्शे कार से दो युवकों को कुचल दिया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि पिछले महीने पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना में कथित तौर पर शामिल 17 वर्षीय लड़के को तुरंत निगरानी गृह से रिहा किया जाए. वहीं, पुलिस का दावा है कि किशोर, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि उसने नशे की हालत में लक्जरी कार चलाते हुए 19 मई की सुबह एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी, जिसमें दो तकनीशियनों की मौत हो गई. नाबालिग को महाराष्ट्र के पुणे शहर के एक निगरानी गृह में रखा गया था.

लड़के की चाची ने याचिका में दावा किया कि राजनीतिक एजेंडे के साथ सार्वजनिक हंगामे के कारण, पुलिस नाबालिग लड़के के संबंध में जांच के सही रास्ते से भटक गई, जिससे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम का पूरा उद्देश्य ही विफल हो गया.

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा नाबालिग को निगरानी गृह में भेजने के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'हम याचिका को स्वीकार करते हैं और उसकी रिहाई का आदेश देते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा याचिकाकर्ता चाची की कस्टडी में रहेगा.'

बॉम्बे हाई कोर्ट में पुणे पोर्श कार हादसा मामले को लेकर बीते शुक्रवार को भी सुनवाई हुई थी. इस दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग आरोपी को पहले जमानत देना और फिर उसे हिरासत में ले लेना व सुधार गृह में रखना क्या कैद के समान नहीं है? जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी.

अदालत ने कहा, ‘दो लोगों की जान चली गई... यह बहुत दर्दनाक हादसा तो था ही, लेकिन बच्चा भी मेंटल ट्रॉमा में था. बेंच ने पुलिस से यह भी पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे निगरानी गृह में किस आधार पर रखा गया. इससे पहले पुणे की एक अदालत ने पोर्श दुर्घटना से जुड़े मामले में किशोर आरोपी के पिता को जमानत दी थी.

ये भी पढ़ें: पोर्श कार दुर्घटना: नाबालिग आरोपी के पिता को किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित मामले में जमानत मिली

मुंबई: पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज (25 जून) नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी है. अदालत ने आरोपी किशोर को निगरानी गृह से रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस भारती डांगरे और मंजूषा देशपांडे ने 21 जून इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है. नाबालिग आरोपी के रिश्तेदार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पुणे पोर्शे कार हिट एंड रन मामला पूरे देश में चर्चा में है. पुणे के कल्याणीनगर इलाके में एक चौंकाने वाली घटना हुई जहां एक युवक ने पोर्शे कार से दो युवकों को कुचल दिया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि पिछले महीने पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना में कथित तौर पर शामिल 17 वर्षीय लड़के को तुरंत निगरानी गृह से रिहा किया जाए. वहीं, पुलिस का दावा है कि किशोर, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि उसने नशे की हालत में लक्जरी कार चलाते हुए 19 मई की सुबह एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी, जिसमें दो तकनीशियनों की मौत हो गई. नाबालिग को महाराष्ट्र के पुणे शहर के एक निगरानी गृह में रखा गया था.

लड़के की चाची ने याचिका में दावा किया कि राजनीतिक एजेंडे के साथ सार्वजनिक हंगामे के कारण, पुलिस नाबालिग लड़के के संबंध में जांच के सही रास्ते से भटक गई, जिससे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम का पूरा उद्देश्य ही विफल हो गया.

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा नाबालिग को निगरानी गृह में भेजने के आदेश को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'हम याचिका को स्वीकार करते हैं और उसकी रिहाई का आदेश देते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाला बच्चा याचिकाकर्ता चाची की कस्टडी में रहेगा.'

बॉम्बे हाई कोर्ट में पुणे पोर्श कार हादसा मामले को लेकर बीते शुक्रवार को भी सुनवाई हुई थी. इस दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग आरोपी को पहले जमानत देना और फिर उसे हिरासत में ले लेना व सुधार गृह में रखना क्या कैद के समान नहीं है? जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी.

अदालत ने कहा, ‘दो लोगों की जान चली गई... यह बहुत दर्दनाक हादसा तो था ही, लेकिन बच्चा भी मेंटल ट्रॉमा में था. बेंच ने पुलिस से यह भी पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे निगरानी गृह में किस आधार पर रखा गया. इससे पहले पुणे की एक अदालत ने पोर्श दुर्घटना से जुड़े मामले में किशोर आरोपी के पिता को जमानत दी थी.

ये भी पढ़ें: पोर्श कार दुर्घटना: नाबालिग आरोपी के पिता को किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित मामले में जमानत मिली

Last Updated : Jun 25, 2024, 4:23 PM IST
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