ETV Bharat / bharat

15 साल की प्रेग्नेंट किशोरी को बच्चा जन्म देने या गर्भपात की अनुमति, हाईकोर्ट ने कहा- लड़की को निर्णय लेने का अधिकार - Bombay High Court

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 12, 2024, 10:59 PM IST

Bombay HC Allows Rape Victim To Terminate Pregnancy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि महाराष्ट्र सरकार लड़की के लिए बच्चा को जन्म देने या गर्भपात होने तक चेंबूर के एक छात्रावास में रहने की व्यवस्था करे.

Bombay HC Allows Rape Victim To Terminate Pregnancy
बॉम्बे हाईकोर्ट (ANI)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़ित लड़की के 27 सप्ताह और 2 दिन के भ्रूण का गर्भपात या प्रसव की अनुमति दे दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह लड़की को बच्चा जन्म देने या गर्भपात होने तक चेंबूर के एक छात्रावास में रहने की व्यवस्था करे. यौन शोषण की शिकार 15 वर्षीय लड़की गर्भवती हो गई. जब गर्भ का पता चला तो लड़की ने गर्भपात के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की पीठ ने सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान लड़की और उसकी मां ने पीठ के समक्ष मेडिकल रिपोर्ट पेश की. इसके बाद पीठ ने लड़की को गर्भपात या जन्म देने की अनुमति दे दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पा पवार और अतिरिक्त लोक अभियोजक एडवोकेट एमपी ठाकुर ने मामले की पैरवी की.

दुष्कर्म पीड़ित गर्भवती किशोरी की गर्भपात के लिए दायर याचिका पर पहली सुनवाई 5 अगस्त को हुई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि भ्रूण 27.2 सप्ताह का है और किशोरी गर्भपात के योग्य है. हालांकि, अगर अभी गर्भपात कराया जाता है, तो इस बात की अधिक संभावना है कि शिशु जीवित पैदा होगा. ऐसी स्थिति में समय पूर्व प्रसव के कारण शिशु को चिकित्सीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

अतिरिक्त सरकारी वकील एमपी ठाकुर ने कहा कि सुनवाई के दौरान यह सारी स्थिति किशोरी तथा उसकी मां को समझाई गई. इसके बाद किशोरी और उसकी मां ने गर्भपात कराए बिना पूर्ण विकास के पश्चात शिशु को जन्म देने का निर्णय लिया. उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि राज्य सरकार को जन्म लेने वाले शिशु के पुनर्वास अथवा गोद लेने की प्रक्रिया की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. याचिकाकर्ता लड़की का अपने शरीर पर पूरा अधिकार है. इसलिए, पीठ ने लड़की को बच्चे को जन्म देने या न देने का पूरा निर्णय लेने देने पर सहमति जताई.

सारे खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किए जाएं...
उन्होंने कहा कि पीठ ने निर्देश दिया कि लड़की को बच्चे को जन्म देने या गर्भपात कराने तक चेंबूर के एक छात्रावास में रहना चाहिए. यह निर्देश दिया गया कि अगर प्रसव होता है तो सारे खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किए जाने चाहिए. बच्चे को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. चूंकि यह बाल यौन शोषण का मामला है, इसलिए पीठ ने निर्देश दिया है कि प्रसव के बाद लड़की की काउंसलिंग की जानी चाहिए.

बता दें, किशोरी से दुष्कर्म करने वाले आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 4, 6, 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान के चर्चित जर्मन महिला दुष्कर्म मामले में दोषी बिट्टी मोहंती की मौत, एम्स भुवनेश्वर में चल रहा था इलाज

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़ित लड़की के 27 सप्ताह और 2 दिन के भ्रूण का गर्भपात या प्रसव की अनुमति दे दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह लड़की को बच्चा जन्म देने या गर्भपात होने तक चेंबूर के एक छात्रावास में रहने की व्यवस्था करे. यौन शोषण की शिकार 15 वर्षीय लड़की गर्भवती हो गई. जब गर्भ का पता चला तो लड़की ने गर्भपात के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस डॉ. नीला गोखले की पीठ ने सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान लड़की और उसकी मां ने पीठ के समक्ष मेडिकल रिपोर्ट पेश की. इसके बाद पीठ ने लड़की को गर्भपात या जन्म देने की अनुमति दे दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पा पवार और अतिरिक्त लोक अभियोजक एडवोकेट एमपी ठाकुर ने मामले की पैरवी की.

दुष्कर्म पीड़ित गर्भवती किशोरी की गर्भपात के लिए दायर याचिका पर पहली सुनवाई 5 अगस्त को हुई थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि भ्रूण 27.2 सप्ताह का है और किशोरी गर्भपात के योग्य है. हालांकि, अगर अभी गर्भपात कराया जाता है, तो इस बात की अधिक संभावना है कि शिशु जीवित पैदा होगा. ऐसी स्थिति में समय पूर्व प्रसव के कारण शिशु को चिकित्सीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

अतिरिक्त सरकारी वकील एमपी ठाकुर ने कहा कि सुनवाई के दौरान यह सारी स्थिति किशोरी तथा उसकी मां को समझाई गई. इसके बाद किशोरी और उसकी मां ने गर्भपात कराए बिना पूर्ण विकास के पश्चात शिशु को जन्म देने का निर्णय लिया. उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि राज्य सरकार को जन्म लेने वाले शिशु के पुनर्वास अथवा गोद लेने की प्रक्रिया की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. याचिकाकर्ता लड़की का अपने शरीर पर पूरा अधिकार है. इसलिए, पीठ ने लड़की को बच्चे को जन्म देने या न देने का पूरा निर्णय लेने देने पर सहमति जताई.

सारे खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किए जाएं...
उन्होंने कहा कि पीठ ने निर्देश दिया कि लड़की को बच्चे को जन्म देने या गर्भपात कराने तक चेंबूर के एक छात्रावास में रहना चाहिए. यह निर्देश दिया गया कि अगर प्रसव होता है तो सारे खर्च राज्य सरकार की तरफ से वहन किए जाने चाहिए. बच्चे को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. चूंकि यह बाल यौन शोषण का मामला है, इसलिए पीठ ने निर्देश दिया है कि प्रसव के बाद लड़की की काउंसलिंग की जानी चाहिए.

बता दें, किशोरी से दुष्कर्म करने वाले आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 4, 6, 8 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान के चर्चित जर्मन महिला दुष्कर्म मामले में दोषी बिट्टी मोहंती की मौत, एम्स भुवनेश्वर में चल रहा था इलाज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.