कुमारगंज: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा उन्हें और उनके भतीजे एवं टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को निशाना बना रही है. वे सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. उनका यह आरोप विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'सोमवार को एक बड़ा विस्फोट होगा जो टीएमसी और उसके शीर्ष नेतृत्व को हिला देगा'.
बालुरघाट लोकसभा सीट के कुमारगंज में पार्टी उम्मीदवार और राज्य मंत्री बिप्लब मित्रा के पक्ष में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'भाजपा मुझे और अभिषेक को निशाना बना रही है. हम सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन हम भगवा पार्टी की साजिश से भी नहीं डरते हैं. हम सभी से टीएमसी नेताओं और पश्चिम बंगाल के लोगों के खिलाफ साजिश के खिलाफ सतर्क रहने का आग्रह करते हैं'.
अधिकारी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, टीएमसी सुप्रीमो ने कहा, 'एक गद्दार है जो अपने परिवार और अवैध संपत्ति की रक्षा के लिए भाजपा में शामिल हो गया है. मैं उसे बता दूं, चॉकलेट बम विस्फोट करने की उसकी धमकी को हमारे द्वारा अवमानना के साथ लिया जाता है. हम पटाखे फोड़कर उनका मुकाबला करेंगे. हमारे लिए पटाखे पीएम केयर फंड में विसंगतियों को उजागर कर रहे हैं. प्रत्येक नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा करने का जुमला है. वह केवल झूठ फैलाते हैं'.
दूरदर्शन के लोगो के रंग में बदलाव पर, बनर्जी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर दूरदर्शन जैसे स्वतंत्र संस्थानों को भगवा रंग में रंगने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा का 'रंग को उचित ठहराना' देश के भिक्षुओं और आध्यात्मिक नेताओं द्वारा सदियों से किए गए बलिदान का अपमान है. उन्होंने आश्चर्य जताया कि चुनाव के दौरान दूरदर्शन के लोगो को भगवा रंग में कैसे रंगा जा सकता है.
बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह भाजपा की 'धर्म-आधारित वोट बैंक की राजनीति और एजेंडे' के अनुरूप किया गया था. उन्होंने सवाल किया, 'डीडी का लोगो अचानक भगवा क्यों हो गया? सेना के जवानों के आधिकारिक आवासों को भगवा रंग में क्यों रंगा गया? काशी (वाराणसी) में पुलिस की वर्दी भगवा रंग में क्यों बदल दी गई?'.
टीएमसी सुप्रीमो ने कहा, 'हम फैसले (डीडी लोगो का रंग बदलने) का कड़ा विरोध करते हैं. यह भाजपा के सत्तावादी शासन का एक और उदाहरण है. अगर वह सत्ता में लौटती है, तो भविष्य में कोई और चुनाव नहीं होंगे. वहां एक आदमी, एक होगा पार्टी शासन और विभिन्न समुदायों के धार्मिक अधिकार खतरे में पड़ जाएंगे'.
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